रायपुर@सीएम बघेल ने की छेरापहरा की रस्म से श्री जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरूआत,पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियो के सुख-समृद्धि की कामना

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रायपुर, 01 जुलाई 2022। मुख्यमत्री ने जगन्नाथ मदिर मे पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियो के सुख-समृद्धि की कामना कीमुख्यमत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहा गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मदिर मे छेरापहरा की रस्म पूरी कर सोने की झाड़ू से बुहारी लगाकर रथ यात्रा की शुरुआत की। इसके पहले मुख्यमत्री ने यज्ञशाला के अनुष्ठान मे सम्मलित हुए और हवन कुण्ड की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना की। उन्होने श्री जगन्नाथ मदिर मे महाप्रभु जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की आरती की। मुख्यमत्री भूपेश बघेल ने मदिर मे पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियो की सुख, समृद्धि और खुशहाली तथा प्रदेश मे अच्छी बारिश की कामना की।
उल्लेखनीय है कि भगवान जगन्नाथ ओडिशा और छाीसगढ़ की सस्कृति से समान रूप से जुड़े हुए है। रथ-दूज का यह त्यौहार ओडिशा की तरह छाीसगढ़ की सस्कृति का भी अभिन्न हिस्सा है। छाीसगढ़ के शहरो मे आज के दिन भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की परपरा सदियो से चली आ रही है। उत्कल सस्कृति और दक्षिण कोसल की सस्कृति के बीच की यह साझेदारी अटूट है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छाीसगढ़ का शिवरीनारायण-तीर्थ है। यही से वे जगन्नाथपुरी जाकर स्थापित हुए।
शिवरीनारायण मे ही त्रेता युग मे प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के मीठे बेरो को ग्रहण किया था। यहाँ वर्तमान मे नर-नारायण का मदिर स्थापित है। शिवरीनारायण मे सतयुग से ही त्रिवेणी सगम रहा है, जहा महानदी, शिवनाथ और जोक नदियो का मिलन होता है। छाीसगढ़ मे भगवान राम के वनवास-काल से सबधित स्थानो को पर्यटन-तीर्थ के रूप मे विकसित करने के लिए शासन ने राम-वन-गमन-परिपथ के विकास की योजना बनाई है। इस योजना मे शिवरीनारायण भी शामिल है। शिवरीनारायण के विकास और सौदर्यीकरण से ओडिशा और छाीसगढ़ की सास्कृतिक साझेदारी और गहरी होगी।
छाीसगढ़ मे भगवान जगन्नाथ से जुड़ा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र देवभोग भी है। भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण से पुरी जाकर स्थापित हो गए, तब भी उनके भोग के लिए चावल देवभोग से ही भेजा जाता रहा। देवभोग के नाम मे ही भगवान जगन्नाथ की महिमा समाई हुई है।
बस्तर का इतिहास भी भगवान जगन्नाथ से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। सन् 1408 मे बस्तर के राजा पुरुषोामदेव ने पुरी जाकर भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया था। उसी की याद मे वहा रथ-यात्रा का त्यौहार गोचा-पर्व के रूप मे मनाया जाता है। इस त्यौहार की प्रसिद्धि पूरे विश्व मे है। उार-छाीसगढ़ मे कोरिया जिले के पोड़ी ग्राम मे भी भगवान जगन्नाथ विराजमान है। वहा भी उनकी पूजा अर्चना की बहुत पुरानी परपरा है।
ओडि़शा की तरह छाीसगढ़ मे भी भगवान जगन्नाथ के प्रसाद के रूप मे चना और मूग का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद से निरोगी जीवन प्राप्त होता है। जिस तरह छाीसगढ़ से निकलने वाली महानदी ओडिशा और छाीसगढ़ दोनो को समान रूप से जीवन देती है, उसी तरह भगवान जगन्नाथ की कृपा दोनो प्रदेशो को समान रूप से मिलती रही है।


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