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बैकुण्ठपुर@प्रतिबंध के बाद भी हो रहा रेत का अवैध उत्खनन

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खनिज अधिकारियों को अब तक जानकारी नहीं…शिकायत मिलने पर करेंगे…जांच कर कार्यवाही…


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 28 जून 2022(घटती-घटना)। मध्यप्रदेश की सीमा से लगे कोरिया जिले के केल्हारी, भरतपुर विकासखंड में गोपद व बनास नदी के साथ ही जिले के विभिन नदियों जैसे मनेन्द्रगढ़ के हसदों, खड़गवां के चिरमी सहित पटना के डुमरिया ग्राम से रेत का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। जब कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक के बावजूद बारिश में रेत का उत्खनन किया जा रहा है। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद रेत उत्खनन व भंडारण से ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। नदी से रेत उत्खनन व परिवहन में वाहन संलग्न है। यहां स्थिति ऐसी है कि ग्रामीण लगातार अवैध रेत खनन का विरोध कर रहे हैं लेकिन ठेकेदार रेत उत्खनन बंद करने कोई रुचि नहीं ले रहा है। ऐसे में ठेकेदारों के गुर्गों एवं ग्रामीणों के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित होने की पूरी संभावना बनी रहती है।जब कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अवैध उत्खनन बंद नही होने पर अधिकारियों पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे किंतु कोरिया जिले में इन निर्देशों का पालन न होना समझ से परे हैं जब कि विगत तीन दिन मुख्यमंत्री जी का कोरिया प्रवास हैं।
विदित हैं कि जब से जिले के विभिन्न नदी में रेत उत्खनन के लिए रेत खदान की नीलामी हुई है तब से लेकर आज तक लगातार नियमों के विपरीत अवैध रेत उत्खनन करने का आरोप ग्रामीण विगत तीन वर्ष से लगातार लगाते रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि लीज कहीं का है एवं रेत खनन कहीं और किया जा रहा है।प्रशासन और खनिज विभाग की बेबसी इस मामले में खुलकर सामने आई है। खनिज विभाग के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के विपरीत जाकर भी खनन कार्य लगातार किए गए जिसे लेकर ग्रामीण कई बार लामबंद भी हुए, यहां तक कि कई बार आंदोलन भी हुए एवं संघर्ष की भी स्थिति निर्मित हुई परंतु इसके बाद भी रेत उत्खनन में जमकर क्षेत्र में मनमानी की जा रही है।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के रोक के बाद भी जनकपुर क्षेत्र सहित पटना ,केल्हारी ,खड़गवां व मनेन्द्रगढ़ में धड़ल्ले से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। स्थिति यहां ऐसी है कि प्रतिदिन रेत उत्खनन से निकाली गई रेत जिले से मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश ले जाने कई वाहन संलग्न है। जहा हाल ही सूरजपुर जिले में कार्यवाही भी हुई जिसे कोरिया जिले से सड़क मार्ग से होकर ले जाये जाने की सुगबुगाहट हैं किंतु जिले के अधिकारियों को भनक तक नही लगना समझ से परे हैं ।
ग्रामीणों ने किया था अवैध रेत उत्खनन का विरोध
नदी में हो रहे अवैध रेत उत्खनन का भरतपुर विकासखण्ड में ग्रामीणों ने भी पुरजोर विरोध किया था।बड़ी संख्या में ग्रामीण पूर्व में नदी में कई दिन हड़ताल पर बैठे थे। रात-दिन ग्रामीणों का धरना नदी तट पर चल रहा था।विरोध को देखते हुए आखिरकार प्रशासन ने पहल की थी और आंदोलनकारियों से चर्चा कर समुचित कार्रवाई का भरोसा दिया था लेकिन यह आश्वासन भी कोरा ही साबित हुआ।
गांवों की सड़कों का बुरा हाल
जिन गांवों में रेत का उत्खनन हो रहा है,उन ग्रामों के विकास को भी ग्रहण लग रहा है क्योंकि ओवरलोड ट्रकें या तो कच्ची या फिर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित सड़कों पर चल रही है जिससे सड़कों की भी स्थिति अत्यंत दयनीय होती जा रही है। बारिश के दिनों में टूटी और उधड़ी सड़कों पर पैदल चलना भी संभव नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण लगातार नियम विरुद्ध उत्खनन की शिकायत कर रहे है लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही है।
अधिकारी ने नहीं उठाया फोन
जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी भी चरम पर है। कुछ विभागों के अधिकारी ऐसे है जो फोन ही रिसीव नहीं करते। भौगोलिक रूप से कठिन परिस्थितियों वाले जिले में दूर दराज के गांवों में रहने वाले लोग मांगों, समस्याओं से अधिकारियों को फोन के माध्यम से अवगत कराना चाहते है लेकिन ग्रामीणों के अनुसार अधिकारी फोन नहीं उठाते। एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद रेत उत्खनन को लेकर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन खनिज विभाग के अधिकारी ने शिकायत नही मिलने की बात कही वही शिकायत मिलने के पस्चात जाच कर कार्यवाही की बात कही। बहरहाल जिले में अवैध तरीके से रेत उत्खनन का मामला ग्रामीणों ने भी कई बार आंदोलन के माध्यम से उठाया था परंतु इसके बाद भी शासन के द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाना समझ से परे है। क्षेत्र के नदियों के अस्तित्व पर अवैध उत्खनन के कारण संकट खड़ा हो गया है। ग्रामीणों के द्वारा लगातार अवैध रेत उत्खनन का विरोध किया जा रहा है परंतु इसक बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किया जाना समझ से परे है। वर्तमान में एनजीटी की रोक है उसके बाद भी धड़ल्ले से रेत उत्खनन हो रहा है। भाजपा के पूर्व विद्यायक भईया लाल राजवाड़े ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं के द्वारा अवैध रेत उत्खनन में संलग्न होकर इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। यही कारण हैं कि जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी सब कुछ जानकर अंजान बने हुए हैं।


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