क्या जिले में केवल चिरमिरी नाम जुड़ने से निगम की बड़ी आबादी खुश होगी? विधायक महापौर की भी भूमिका को लेकर शहरवासियों में बयानबाजी व नाराजगी जारी
पूरे मामले में आखिर जिम्मेदारी किसकी,सत्याग्रही पदयात्रियों की यात्रा भी काम न आई,राजनीति से जुड़े लोगों को जिला मुख्यालय बनाओ संघर्ष समिति से अलग करने चर्चा जारी
रवि सिंह –
बैकु΄ठपुर 11 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। नवीन जिला एमसीबी का जिला मुख्यालय अब मनेंद्रगढ़ में ही बनेगा यह तय हो गया वहीं यह भी तय हो गया कि नवीन जिले का पूरा श्रेय अब भरतपुर सोनहत विधायक गुलाब कमरों को मिल गया, क्योंकि मनेंद्रगढ़ शहर के आसपास जिला मुख्यालय बनने से सबसे ज्यादा लाभान्वित क्षेत्र विधानसभा अनुसार भरतपुर सोनहत होगा यह निश्चित है क्योंकि मनेंद्रगढ़ व उसके आसपास की भौगोलिक परिस्थिति ऐसी है जिसमें विधानसभा अनुसार यदि देखा जाय तो भरतपुर सोनहत के क्षेत्र ज्यादा शामिल हैं।
चिरिमिरी नगर निगम जो मनेंद्रगढ़ विधानसभा के लिए निर्णायक मतों वाला शहर है और राजस्व मामले में संयुंक्त जिले का सबसे बड़ा स्रोत है उसका नाम जिले के नाम मे दूसरे नम्बर पर केवल जुड़ा रहेगा यह भी एक अटल सत्य बन चुका है जिसे अब इसलिए बदला नहीं जा सकता क्योंकि मनेंद्रगढ़ के लिए प्रदेश के मुखिया का जबान एक तीर की तरह मयान से निकल चुका है जो अब वापस नहीं आ सकता। चिरिमिरी जिला मुख्यालय बनाओ संघर्ष समिति के अनवरत जारी आंदोलन के बीच चिरिमिरी शहर के कुछ लोगों ने चिरिमिरी को जिला मुख्यालय बनाने की मांग को सत्याग्रह का रूप प्रदान करते हुए पैदल चलते हुए राजधानी जाकर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री से शहर की मांग जो शहर के अस्तित्व के लिए थी को रखने का निर्णय लिया और 13 दिनों तक अनगिनत कठिनाइयों के बावजूद राजधानी पहुंचकर शहर की मांग को प्रदेश के मुखिया के समक्ष रखा।
सत्याग्रही पदयात्रियों का पैदल चलते हुए 13 दिनों तक का उत्साह तब धरासाई हो गया जब उन्हें यह पता चला कि प्रदेश के मुखिया से मुलाकात पैदल यात्रियों की तभी हो सकती है जब लग्जरी गाçड़यों से पहुंचे उनके क्षेत्र के विधायक और महापौर उनका प्रतिनिधित्व करेंगे बस फिर क्या था सत्याग्रही पदयात्री मौन हो गए और जो कुछ क्षेत्रीय विधायक और महापौर ने कहा उसको मानना अपनी मजबूरी समझ कर और सत्ता का दबाव समझकर सहमत हुए और इस आस्वासन के साथ लौटने का मन बनाया की अब क्षेत्र में क्षेत्रवासियों के बीच बैठकर मुख्यालय का मुद्दा सुलझाना है और मनेंद्रगढ़ को मनाकर कुछ छोटे कार्यालय की स्थापना चिरिमिरी नगर निगम में कराना है जैसी मंशा मुख्यमंत्री जी की भी है और विधायक और महापौर की भी।
मनेंद्रगढ़ शहरवासी का निर्णय चिरिमिरी का भविष्य
नवीन एमसीबी जिले का मुख्यालय मनेंद्रगढ़ होगा यह अब तय है,वहीं अब मनेंद्रगढ़ शहरवासी किन किन कार्यालयों को लेकर चिरिमिरी के लिए सहमति देते हैं यह देखने वाली बात होगी क्योंकि बिना मनेंद्रगढ़ वासियों की मंशा के चिरिमिरी को मुख्यालय का एक भी कार्यालय मिलना मुश्किल है,एकबात और यहां सोचने वाली है वह यह कि क्या मनेंद्रगढ़ के लोग जिला कार्यालय के बंटवारे को लेकर कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के वासियों की तरह बड़ा दिल दिखा पाएंगे क्योंकि बैकुंठपुर शहर ने मनेंद्रगढ़ में कई जिला स्तरीय कार्यालयों की सहमति प्रदान कर रखी थी और वह कार्यालय आज भी वहीं स्थापित हैं।
सत्याग्रही पदयात्रियों की यात्रा राजनीति चमकाती भी नजर आई
13 दिनों तक पैदल चलकर चिरिमिरी शहर को जिला मुख्यालय का दर्जा दिलाने की मांग मुख्यमंत्री से रखने और वहां से मायूसी हांथ लगने के बावजूद कुछ पदयात्रियों ने जिस तरह अपने अपने राजनीतिक आकाओं से मुलाकात की उससे यह साबित हो गया कि भले ही सत्याग्रह का फल अपेक्षित नहीं मिल सका क्षेत्रवासी निराश हुए,लेकिन जब रायपुर तक का सफर पैदल तय किया ही है तो कुछ अपना भी मतलब साध लिया जाय,राजनीति चमकाने अपने आकाओं से मुलाकात कर लिया जाय। इन मुलाकातों को लेकर अब शहर में कहीं कहीं आक्रोश भी देखा जा रहा ।
राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को संघर्ष समिति से अलग करने की चर्चा जारी
जिला मुख्यालय बनाओ संघर्ष समिति अब यह निर्णय लेने विचार कर रहा है कि राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को समिति से दूर किया जाय और आंदोलन आगे जारी रखा जाय।
आंदोलन जारी रखने का निर्णय
जिला बनाओ संग्रह समिति के सदस्यों का साफ कहना है अब जिला बनाओ संघर्ष आंदोलन को और तेज किया जाएगा वहीं यह जारी रहेगा जबतक मुख्यालय की मांग पूरी न हो जाय।
हमें कोरिया में ही रहने दिया जाय
वहीं चिरिमिरी के ही कुछ लोगों का कहना है ही जिस जगह मनेंद्रगढ़ में जिले का मुख्यालय संभावित नजर आ रहा है वहां से कम दूरी पर ही बैकुंठपुर जिला मुख्यालय स्थित है और ऐसे में चिरिमिरी को बैकुंठपुर में ही शामिल रहने दिया जाय।
विधायक महापौर ने नहीं निभाया क्षेत्रीयता का फर्ज
चिरिमिरी वासियों के कहना है कि विधायक व महापौर होने के बावजूद चिरिमिरी का जिला मुख्यालय नहीं बनना बहोत बड़ी विडंबना है वहीं यह राजनीतिक रूप से बहोत बड़ी असफलता व क्षेत्र के प्रति उपेक्षात्मक रैवैया है। चिरिमिरी शहर का निवासी होकर चिरिमिरी का साथ न देना यह उनके लिये बहोत बड़ी राजनीतिक चूक साबित होगी यह भी लोगों का कहना है।