अम्बिकापुर@किया गया फर्जी तरीके से जमीन का रजिस्ट्री

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सरगुजा व सूरजपुर फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री करने के मामले में 3 पर अपराध दर्ज

अम्बिकापुर 26 जून 2022 (घटती-घटना)। सरगुजा व सूरजपुर जिला मुख्यालय में फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री करने का मामला सामने आया है। पुलिस में जांच के पश्चात 3 लोगों के विरुद्ध धारा 120(ब),420, 467, 468, 471, आईपीसी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है लेकिन इस मामले में जमीन खरीददार एवं तत्कालीन राजस्व निरीक्षक को बचाने का प्रयास भी पुलिस के द्वारा किया जा रहा है ऐसा प्रतीत हो रहा है।
इस बारे में बताया जा रहा है कि सूरजपुर निवासी ओमप्रकाश राजवाड़े पिता दीवान चंद राजवाड़े व तीन लोगों ने सूरजपुर पुलिस अधीक्षक को 28 जनवरी 2022 को एक शिकायत किया था जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया था कि सूरजपुर के ही निवासी अंबिका प्रसाद राजवाड़े द्वारा अक्टूबर 2021 को राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक के साथ मिलकर खसरा नंबर 58 का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री अंबिकापुर के उप पंजीयन कार्यालय में सुरजपुर निवासी विमला उपाध्याय के नाम से कर दिया है। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि इस फर्जी तरीके से जमीन बिक्री के मामले में क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक दयाशंकर प्रसाद सिन्हा व सरगुजा मुख्यालय के उप पंजीयक सिद्धार्थ मिश्रा की भूमिका भी संदिग्ध है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सूरजपुर के द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के आदेश दे दिया गया। जांच पुलिस अनुभाग अधिकारी के द्वारा किया गया इसमें उन्होंने पुरी पारदर्शिता अपनाते जांच को अंजाम दिया। जांच में जो तथ्य सामने आए वह आश्चर्यजनक थे जांच के दौरान उप पंजीयक सिद्धार्थ मिश्रा ने पुलिस को बताया कि सूरजपुर निवासी अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं श्रीमती विमला उपाध्याय के द्वारा जमीन बेचने व खरीदने के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किया गया लेकिन उक्त भूमि का जब ऑनलाइन रिकॉर्ड चेक किया गया तो यह पाया गया कि उक्त भूमि का प्रकरण न्यायालय में लंबित है जिससे उन्होंने उक्त भूमि का पंजीकरण करने से मना कर दिया गया। लेकिन इसके पश्चात दो-तीन दिन बाद अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं विमला उपाध्याय के द्वारा पुनः जमीन खरीदी बिक्री के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किया गया लेकिन इस बार ऑनलाइन राजस्व रिकॉर्ड चेक करने पर न्यायालय में विचाराधीन लिखा तथ्य हट चुका था जिसके कारण उन्होंने उक्त भूमिका पंजीयन किया। वही दूसरी ओर राजस्व निरीक्षक दयाशंकर प्रसाद सिन्हा ने पुलिस को जांच में यह बताया कि अंबिका प्रसाद राजवाड़े के द्वारा खसरा क्रमांक 58 का कोरा नक्शा किसी अन्य प्रयोजन हेतु उनसे मांगा गया था से उन्हें प्रदान किया गया लेकिन उक्त नक्शा में उनके द्वारा बिक्री हेतु कोई भी टीप नहीं लिखा गया हैहै ना ही कोरा नक्सा में बांका किया गया है! लेकिन राजस्व निरीक्षक श्री सिंहा ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आन लाईन रिकार्ड में लिखा गये तथ्यों को किसने हटाया है।ओम ओम प्रकाश राजवाड़े अन्य चार आवेदक गणों की माने तो माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ अपने फैसले में अनावेदक गणों के आदेशों को निरस्त कर हमारे पक्ष में फैसला दिया है इसके बावजूद अंबिका प्रसाद राजवाड़े के द्वारा फर्जी तरीके से जमीन को बेचा गया है।


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