मां के असमायिक निधन से मन कुछ ऐसा व्यथित हुआ कि युवा बन गया सन्यासी
-ओंकार पांडेय-
सूरजपुर, 25 जून 2022(घटती-घटना। मां के असमायिक निधन से मन कुछ ऐसा व्यथित हुआ कि युवा बन गया सन्यासी और सन्यास के बाद नागा साधु और अब पांच वर्ष तक खड़े रहने का संकल्प….! दिनेश उर्फ दौलत गिरी जो नागा साधु है इन दिनों रुनियाडीह में रेन नदी के किनारे स्थित शिव मंदिर परिसर में आकर्षण का केंद्र बने हुए है।युवा साधु ने सनातन धर्म के जागृति व विश्व शांति के लिए संकल्प लिया है कि वे पांच वर्ष तक केवल खड़े रहेंगे।यानी वे इस बीच न बैठेंगे और न बिस्तर में सोयेंगे।उनके इस संकल्प को फिलहाल करीब चार महीने होने को है।इस बीच उनका संकल्प न डिगा है और न डिगे इसके लिए वे भोले बाबा का आशीर्वाद चाहते है।वे कहते है कि भोले बाबा का आशीर्वाद रहा तो उनका संकल्प पूरा होकर रहेगा।उन्होंने बताया कि इस संकल्प से पहले एक महीने दिक्कत हुई ,जिससे पैरो में सूजन आदि रहे पर अब शरीर उनके हिसाब से ढल गया है।डाक्टरो ने चेक आदि के बाद ऐसा नही करने का सलाह दिया था पर वे अपने संकल्प पर कायम है जान भले चली जाए।सूरजपुर जिला मुख्यालय से करीब पांच किमी दूर नमदगिरी में रेन नदी पुल से लगे रुनियाडीह में बने शिव मंदिर परिसर नागा साधु ने यह धूनी रमाया है जहाँ श्रद्धालुओं के कोतुहल का विषय है।धर्म व संस्कृति को बचाने व हिन्दू धर्म ध्वजा लहराने के निश्चय से 28 वर्षीय दौलत गिरी बाबा इसके पहले पचिरा व गिरवरगंज के मंदिरों में रहे। रुनियाडीह के एक श्रदालु उन्हें यहां लेकर आए जहा उन्होंने अपने संकल्प के सम्बंध में बताया तो चैत्र नवरात्र के पहले दिन से खड़े रहने का निश्चय कर लिया जो अब तक अनवरत जारी है। इसके लिये गांव के श्रद्वालुओ ने मंदिर परिसर।में ही एक विशेष चबूतरा (कुटीया)बनाया हुआ है और बाबा जी उस चबूतरे पर अपना सिर रखते है साथ एक विशेष तरह का बेल्ट भी लटकाया हुआ है जिसको वे बांध लेते है जिससे वे जमीन में ना गिर पडे।महंत दौलत गिरी नागा बाबा कोरिया जिले के कुडेली के है जो 20 वर्ष आयु में सांसारिक मोहमाया परिवार को त्याग कर प्रयागराज चले गये वहा अपना पिंडदान कर जूना अखाडे में वैदिक विधि विधान और अखाडे की परंपरा अनुसार जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से दीक्षा लेकर पूर्णतया नागा महंत बने। सीएमडी कालेज बिलासपुर से बीकाम की पढाई करने वाले दौलत बाबा माता के निधन के बाद से ऐसा टूटे कि संसांरिक मोहमाया से मोह भंग हो गया।
गांव के लोग कर रहे है सहयोग
शिव मंदिर के संस्थापक नंदलाल राजवाडे ने बताया कि मंदिर की नीव 20 वर्ष पूर्व रखी थी 2021 में ग्रामीणो के सहयोग से मदिर पूर्ण हुआ। मंहंत दौलत गिरी महराज को वे 4 सालो से मिलते रहे इसी दौरान उनके गांव आगमन हुआ तो वे रेणुका नदी के तट पर बने शिव जी की मंदिर को देखकर अभिभूत हो गये और वे यहा पर अभिषेक भी किये और वे खडे होकर 5 वर्षो तपस्या करने की इच्छा प्रगट किये और मेरे से संकल्प कराया गया और पुरे विधि विधान से चैत नवरात्र के प्रथम दिन ज्योति दीप प्रज्वलित कर खडे होकर तप कर रहे है सभी ग्रामीण इसमें सहयोग भी कर रहे।
अखण्ड ज्योत व रामायण
दौलत गिरी बाबा ने बताया कि मंदिर में पांच वर्ष के लिए अखण्ड ज्योत भी प्रज्वलित है इसके अतिरिक्त रामायण भी नित्य किया जा रहा है उन्होंने बताया कि आने वाले 13 जुलाई से एक महीने का अखण्ड रामायण पाठ शुरू करायेंगे उसके बाद 108 रामायण का भी संकल्प लिया जाएगा। इसकी तैयारी की जा रही है।उन्होंने बताया कि गांव के लोगो इसमे भरपूर सहयोग मिल रहा है।गांव के लोगो के ऐसे ही सहयोग मिलता रहा तो वे निश्चय ही अपने संकल्प को पूरा कर पाएंगे।