सरकार बनाने के लिए पहल करने से क्यो बच रही है पार्टी
भोपाल/मुबई, 23 जून 2022। महाराष्ट्र मे जारी राजनीतिक सकट पर भाजपा की चुप्पी काफी कुछ बता रही है। पार्टी विपक्ष मे है लेकिन शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार पर छाये सकट पर मौन है। पार्टी के रख से स्पष्ट है कि वह इस मामले से तब तक खुद को सीधे तौर पर दूर रखेगी, जब तक शिवसेना के बागी विधायको की अलग पार्टी न बन जाए और उसके साथ भागीदारी से राज्य मे सरकार बनाने के रास्ते खुलते न दिखाई दे।
एकनाथ शिदे के दल को मान्यता मिली तो ही पार्टी लगाएगी दाव- बागी विधायको का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिदे शिवसेना से अलग होने के लिए पार्टी के कुल विधायको की दो-तिहाई सख्या पा लेते है, तो उद्धव सरकार की विदाई तय होगी। इन परिस्थितियो मे भाजपा इस नए दल के साथ गठबधन सरकार बना सकती है। हालाकि भाजपा सीधे तौर पर पहल करने से बच रही है क्योकि उसे एक आशका बागी विधायको के शिवसेना मे ही लौट आने को लेकर भी है। यह स्थिति उद्धव के किसी भावनात्मक दाव से बन भी सकती है।
2019 मे भाजपा ने की थी सरकार बनाने की असफल कोशिश- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 मे एनसीपी नेता अजीत पवार के समर्थन से भाजपा की सरकार बनाने की कोशिश असफल हो गई थी। इसमे पार्टी को खासी फजीहत का सामना करना पड़ा था। उस समय देवेद्र फड़नवीस ने मुख्यमत्री और अजीत पवार ने उप मुख्यमत्री पद की शपथ ली थी और दोनो को इस्तीफा देना पड़ा था। इस कटु अनुभव के चलते इस बार भाजपा पूरे परिदृश्य से फिलहाल कोई ठोस सभावना न बनने तक खुद को दूर रख रही है।
लबा खिच सकता है सियासी सकट- पार्टी नेताओ का कहना है कि महाराष्ट्र का ताजा सकट भी वर्ष 2020 मे मध्य प्रदेश के सियासी बदलाव की तरह लबा खिच सकता है। अल्पमत वाली उद्धव सरकार और बागी नेता एकनाथ शिदे सुप्रीम कोर्ट की शरण भी ले सकते है। भाजपा को एक आशका यह भी है कि विधानसभा अध्यक्ष के न होने पर उनका कार्यभार सभाल रहे उपाध्यक्ष नरहरी सिताराम झिरवाल एनसीपी से है और कई विधायी निर्णयो को लबा खीच सकते है। कानूनी विशेषज्ञ मानते है कि ऐसे मे राष्ट्रपति शासन की सभावना भी बन सकती है।
हर कदम फूक-फूककर रख रही भाजपा- विधानसभा की मौजूदा सदस्य सख्या से स्पष्ट है कि उद्धव सरकार की विदाई की दशा मे भाजपा की भूमिका साा के लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाएगी। ऐसे मे वह बिना किसी जोखिम हर कदम फूक-फूककर रखेगी। पार्टी किसी भी दशा मे सरकार गिराने या साा तक पहुचने के लिए किसी तरह का आरोप नही झेलना चाहती। उसकी नजर मुख्यमत्री उद्धव ठाकरे की हर गतिविधि पर है, क्योकि वे सरकार बचाने के लिए किसी भी दशा मे एकनाथ शिदे के साथ बागी विधायको की नई पार्टी नही बनने देगे।
राजनीतिक सकट शिवसेना का अदरूनी मामला- यदि वे सफल होते है तो भी भाजपा के लिए मुश्किल होगी। भाजपा के पहल नही करने का यह भी एक कारण है। यह भी तथ्य है कि उद्धव ठाकरे फिलहाल विधानसभा चुनाव का सामना नही करना चाहते है। महाराष्ट्र भाजपा के सह प्रभारी जयभान सिह पवैया कहते है कि उद्धव सरकार पर आया राजनीतिक सकट शिवसेना का अदरूनी मामला है, भाजपा का इससे कोई लेना-देना नही है।
हमने एकनाथ शिदे से बात नही की: रावसाहेब पाटिल दानवे
वही, दूसरी ओर भाजपा नेता और केद्रीय मत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने बुधवार को कहा था कि महाराष्ट्र मे राजनीतिक सकट शिवसेना का आतरिक मामला है और भाजपा राज्य मे सरकार गठन का दावा पेश नही कर रही है।
- पार्टी नेता देवेद्र फडणवीस से मुलाकात करने वाले दानवे ने कहा कि शिवसेना का कोई भी विधायक पार्टी के सपर्क मे नही है। केद्रीय राज्य मत्री दानवे ने कहा कि हमने एकनाथ शिदे से बात नही की है। यह शिवसेना का आतरिक मामला है। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नही है। हम सरकार बनाने का दावा नही कर रहे है।