तबादले के नाम पर शिक्षा विभाग में खेला होबे की तर्ज पर खेल जरूर हो रहा…
ओंकार पांडेय-
सूरजपुर ,21 जून 2022(घटती-घटना)। मुख्यमंत्री के निर्देश के करीब दो माह बाद भी बिहारपुर के एक भी शिक्षकों का तबादला नहीं हुआ है । अलबत्ता तबादले के नाम पर शिक्षा विभाग में खेला होबे की तर्ज पर खेल जरूर हो रहा है। बकायदा दुकानदारी चल रही है। बीते 7 मई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात अभियान के दौरान भटगांव विधानसभा क्षेत्र के बिहारपुर में पहुँचे थे। जहाँ के लोगों ने तमाम समस्याएं गिनाई जिनमें शिक्षा व्यवस्था को लेकर भी थी। ग्रामीणों ने बताया था कि यहां के स्कूलों में शिक्षक नहीं आते,कई स्कूल तो ऐसे है, जहाँ शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाने के लिए ठेके पर आदमी रखे है। जो स्कूल आकर बच्चों को केवल अक्षर ज्ञान करा दे रहे है। इन शिकायतों को मुख्यमंत्री ने काफी गम्भीरता से लिया और मौके पर ही मौजूद अधिकारियों को इस पर ध्यान देने को कहा, लेकिन दूसरे दिन इस दौरे के बाद मुख्यमंत्री ने जब अधिकारियों की बैठक ली,तो इस मामले में उन्होंने बेहद तल्ख अंदाज में शिक्षा विभाग की खिंचाई करते हुए कहा था कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिहारपुर क्षेत्र में एवजीदार पढा रहे है । मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में शिक्षा विभाग से कह दिया था कि ऐसे शिक्षकों को तत्काल बदल दे। यही नहीं उन्होंने वर्षों से एक ही स्थान पर जमे लोगों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सीएम के इस निर्देश तल्ख अंदाज को लगभग दो माह होने को है,पर शिक्षा विभाग के लिए मुख्यमंत्री का निर्देश आई – गई बात हो गई लगता है। यही वजह है कि अब तक बिहारपुर के एक भी शिक्षक को न तो बदला गया है और न किसी पर कार्यवाही हुई है। ऐसे में बिहारपुर के लोग यह कहने से नहीं चूक रहे है कि यहां पदस्थ शिक्षक बेहद पावरफुल है। जब मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद भी उनका बाल बांका नहीं हो सकता तो फिर किससे उम्मीद करें…? ऐसे में ग्रामीणों के मन में यह सवाल तब और उठ रहा, जब मुख्यमंत्री के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में अब तक सबसे ज्यादा कार्यवाही सूरजपुर जिले में ही हुई है। जहाँ जिला पंचायत सीईओ से लेकर डीएफओ,रेंजर,डॉक्टर सहित कई अन्य पर गाज गिरी है। पर शिक्षा विभाग में मुख्यमंत्री की नहीं चलती तभी तो आज तक कुछ नहीं हो पा रहा। बिहारपुर क्षेत्र में वर्षों से शिक्षा का बुरा हाल है और यहां वर्षों से कई ऐसे शिक्षक अंगद की तरह जमे है पर वे स्कूल कभी नहीं जाते, बल्कि वे खुद अम्बिकापुर व सूरजपुर आदि में रह कर नौकरी कर रहे है। यहां तक कई स्कूल तो ऐसे है जो खास मौकों पर ही खुलते हैं – जैसे 15 अगस्त,26 जनवरी आदि । इस तरह की खबरे कई बार सुर्खियां भी बनी है पर आज तक कार्यवाही नजीर नहीं बनी है ,जिससे इनके हौसले बुलंद रहना लाजिमी है। इससे ग्रामीण इस बात को लेकर हताश है कि उनके बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे ही रहना है यही उनकी नियति भी है।
हो रहा खेला………!!
बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद नवनियुक्त शिक्षकों की पदस्थापना के नाम पर जम कर खेला हो रहा है। जहाँ एक भी शिक्षक नहीं वहां कोई पदस्थापना नहीं जबकि जहां अतिशेष शिक्षक है, वहाँ फिर नये शिक्षक की पदस्थापना की गई है। यानी ऐसे स्कूल जो सड़क से लगे हुए है। यहां जाने के रेट तय है। कहीं कहीं तो हालत यह है कि औसत बच्चे कम है शिक्षक ज्यादा। अब खेला यह सूत्र बताते है कि इन स्कूलों में पदस्थापना के नाम पर दलाल सक्रिय है। जो सड़क से लगे स्कूल में है,उन्हें गांव व दूरस्थ अंचल में भेज देने का खौफ है, तो जो जंगल मे है उन्हें इन सड़क से लगे स्कूलों में आना है। अब आप समझ सकते है कि कैसे शिक्षा विभाग की लॉटरी लगी हुई है।
इन स्कूलों का
यह है हाल……
ओड़गी ब्लॉक के लुल,भुंडा, टेलीपतथ,बेजनपाठ व खोहिर में एक शिक्षक है, जबकि भुंडा के एक पारा में तो एक भी शिक्षक नहीं है। ऐसा हाल जिले के कई अन्य गांव के स्कूलों का भी है।
कई बार संपर्क किया गया लेकिन कॉल रिसीव नहीं किया
इस संबंध में कलेक्टर इफ्फत आरा व जिला पंचायत सीईओ लीना कोसम एवं जिला शिक्षा अधिकारी विनोद राय को उनके मोबाइल पर कॉल किया गया कॉल रिसीव ना किए जाने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका
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