अम्बिकापुर@रामगढ़ महोत्सव में जिला प्रशासन ने किया कवि-सम्मेलन का आयोजन

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अम्बिकापुर,16 जून 2022(घटती-घटना)। जिला प्रशासन के तत्वावधान और मानव कल्याण एवं सामाजिक विकास संगठन, सरगुजा के संयोजन में रामगढ़ महोत्सव में कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में कवि अंचल सिन्हा ने ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक स्थल रामगढ़ की प्राचीन विरासत का प्रभावी वर्णन किया- अलबेला, अकेला विश्व में, होती जहां मेघ की पूजा, नहीं कोई नाट्यशाला कहीं, इससे प्राचीन मिली है दूजा। प्रकाश कश्यप ने कविता- रामगढ़ से राम का जुड़ा हुआ है नाम, उदयपुर का क्षेत्र यह, है पावन सुखधाम। रामगढ़ की महिमा पर कवयित्री चंदना सिदार ने संस्कृत में एक श्रेष्ठ कविता का वाचन कर अपनी काव्य-प्रतिभा का लोहा मनवाया- प्रकृत्याः सुरम्यं विशालं तुंगम्, मंदिरं ललाटे पदे चैव हस्तीपोलम्। सरगुजा मण्डले उदयपुर नगरम्, अस्माकं रमणीय इदं रामगढ़ विनोद हर्ष ने रामगढ़ पर गीत प्रस्तुत करते हुए सही फरमाया कि- मोक्ष देता है स्मरण प्रतिपल जिनके नाम का, अमूल्य धरोहर है हमारी यह पावन पर्वत राम का।
कवि संतोष सरल ने करम के डार नोनी सरना कर पूजा,सबले सुघ्घर ऐदे हमर सरगुजा सुंदर सरगुजिहा गीत प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया श्याम बिहारी पांडे ने रामगढ़ पर पंक्तियां पढ़ते हुए कहा की राम का नाम लेकर खड़ा हो गया रामगढ़ राम से भी बड़ा हो गया इन्होंने ली शरण राम की अब अवध के महालसा खड़ा हो गया. सरगुजा की महिमा पर अनिता मंदिलवार ने रामगढ़ महोत्सव की सुंदर झांकी प्रस्तुत की- महा महोत्सव रामगढ़ में, मिलकर सब हैं मना रहे। रामवनगमन पथ है सजता, सब ढोल-नगाड़े बजा रहे। कवयित्री अर्चना पाठक ने महाकवि कालिदास के विराट् व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए यहां तक कह डाला कि- कालिदास-जैसी उपमा न कोई दे सका है, शब्द योजना में आप सबसे महान् हैं। प्रतिभा से युक्त, अभ्यास में भी हैं निपुण, बोधयुक्त, भावयुक्त आप गुणवान् हैं।
आषाढ़ के प्रथम दिवस को लक्ष्य करके कवयित्री पूर्णिमा पटेल ने धरती के उल्लास का मनोहारी चित्रण किया- काले-काले मेघ देखकर पुलकित, तन्मय हुई धरा। सूखे तृण में प्राण पड़ गए, उपकृत हुई वसुंधरा। वॉटर हार्वेस्ंटिग के प्रति जनचेतना जगाने का कार्य माधुरी जायसवाल ने अपनी सरगुजिहा रचना में बखूबी किया- रोका-रोका गा बरखा कर पानी ला, रोका गा। मुहीं ला बांधा, भुरका ला पाटा। हालु-हालु धरा धियान। वरिष्ठ गीतकार रंजीत सारथी ने अपने सरगुजिहा गीत में आषाढ़ माह में गगन में अठखेलियां करते काले घने बादलों के द्वारा की जा रही वर्षा की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया- पानी बरसे आषाढ़ में रिमझिम। कोन कति उंधे रे करिया बदरी हर, कोन कति बरसे रे सुपाधारे। गीत-कवि कृष्णकांत पाठक ने अपने गीत में वर्षा के नृत्य का अद्भुत दृश्यांकन किया- धरती करने श्रृंगार मचल रहा बादल। नाच रही वर्षा बूंदों की पहन पायल। इन कवियों के अलावा शायरे शहर यादव विकास, एसपी जायसवाल, आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर, डॉ0 अजयपाल सिंह, डॉ0 पुष्पा सिंह,डॉ0 उमेश पाण्डेय, आशा पाण्डेय,मंशा शुक्ला, पूनम दुबे, सुशीला साहू, राजलक्ष्मी पाण्डेय, मुकुंदलाल साहू, अजय चतुर्वेदी, सीमा तिवारी, कमल कुमार पटेल, अम्बरीश कश्यप, दिनेश मिश्र आदि कवियों ने भी रामगढ़, भगवान राम और आषाढ़ के प्रथम दिवस पर विरचित अपनी उम्दा कविताओं की प्रस्तुतियां देकर कवि-सम्मेलन को रोचक और यादगार बनाया। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री आशा पाण्डेय और कवि संतोष सरल ने और आभार संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ0 उमेश कुमार पाण्डेय ने जताया। कार्यक्रम के अंत में श्री जीआर चुरेन्द्र, आयुक्त सरगुजा संभाग, मृतलाल ध्रुवे, अपर कलेक्टर सरगुजा, अम्बिकापुरअ और गिरीश गुप्ताम, जिला परियोजना अधिकारी द्वारा सभी प्रतिभागी कवियों को प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिन्ह और सम्मान निधि देकर सम्मानित किया गया।


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