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बैकु΄ठपुर@चिरमिरी के सत्याग्रहियों ने कहा विधायक महापौर ने नहीं निभाई जिम्मेदारी

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क्या पदयात्रियों की 14 दिनों की कठिन तपस्या को विधायक महापौर ने ठेकेदारी के लिए भुनाया?जिला मुख्यालय की मांग को भी मुख्यमंत्री के सामने नहीं रखा

रवि सिंह –

बैकु΄ठपुर 09 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। जनता के लिए जनता द्वारा ही चुने गए जनप्रतिधि निर्वाचित होने के बाद ही जनता को केवल अपने लाभ के लिए एक माध्यम मानते हैं उनके दुख और तकलीफों में भी अपनी रोटियां सेकतें हैं यह आज मनेंद्रगढ़ विधायक ने और चिरमिरी नगर निगम महापौर ने साबित कर दिया। 14 दिनों से पैदल चलकर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नवीन जिले एमसीबी के जिला मुख्यालय को चिरमिरी में स्थापित किये जाने की मांग करने राजधानी रायपुर पहुंचे सत्याग्रही पदयात्रियों को तब तगड़ा झटका मिला जब उन्हें यह पता चला कि प्रदेश के मुखिया के पास मुख्यमंत्री के पास पहले ही विधायक व उनकी महापौर पत्नी अपनी लग्जरी गाçड़यों से पहुंच चुके हैं और अब वही उनके प्रदेश के मुखिया से मिलने का जरिया बनेंगे,वहीं सत्याग्रही पदयात्रियों को तब और बड़ा आघात लगा जब प्रदेश के मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान विधायक व उनकी महापौर पत्नी ने जिला मुख्यालय चिरमिरी में स्थापित किये जाने की मांग को अपनी तरफ से रखने की कोशिश भी नहीं कि और न ही सत्याग्रही पदयात्रियों की ही इस मामले में मदद की। बकौल सत्याग्रही पदयात्री विधायक व महापौर ने उनकी यात्रा और चिरिमिरी कि जनता के विश्वास को अपनी ठेकेदारी की भेँट चढ़ाते हुए पदयात्रियों की दुख तकलीफ रास्ते मे जानने की कोशिश किये बगैर सीधे उनके मुख्यमंत्री जी के समक्ष पहुंचने के समय पहुंचकर पूरी तपस्या का फल 10 करोड़ रुपये स्वीकृत कराकर केवल अपनी ठेकेदारी की भेंट चढ़ा दिया। सभी सत्याग्रही पदयात्री अब मायूस होकर चिरमिरी लौटने मजबूर है।

मनेंद्रगढ़ को जवाब दे दिया हूँ,जूठा साबित हो जाऊंगा मुख्यमंत्री

चिरमिरी से 13 दिनों से पैदल चलकर जिला मुख्यालय की मांग करने राजधानी रायपुर पहुंचे सत्याग्रही पदयात्रियों की मुलाकात जब प्रदेश के मुखिया से हुई तो उन्होंने सत्याग्रही पदयात्रियों को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि मनेंद्रगढ़ के लोगों को जवाब दे चुका हूं अब झूठा साबित हो जाऊंगा, वहीं मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आप सभी नवीन जिले के निवासी आपस मे बैठकर तय कर लें कि मुख्यालय कहाँ बनना उचित रहेगा और यही अब बेहतर भी रहेगा, ऐसा पैदल सत्याग्रही लोगों ने बताया।

विधायक महापौर ने केवल जल आवर्धन की मांग रखी

सत्याग्रही पदयात्रियों का कहना है कि विधायक जी और महापौर जी ने चिरमिरी को जिला मुख्यालय बनाया जाय ऐसा एकबार भी मुख्यमंत्री के समक्ष मांग नहीं रखी वहीं विधायक व महापौर जो न तो जिला मुख्यालय बनाओ संघर्ष समिति के मंच पर ही समर्थन के लिए कभी गए और ना ही दोनों ने 13 दिनों तक अपने ही शहर के उन सत्याग्रही पदयात्रियों का हाल जानने की कोशिश की जो बड़ी ही कठिनाई से और दिक्कतों का सामना करते हुए चिरिमिरी को जिला मुख्यालय का दर्जा दिलाने की मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचाने चिरिमिरी वासियों के प्रतिनिधि बतौर रखने निकले थे। जल आवर्धन के लिए 10 करोड़ की स्वीकृति ही विधायक और महापौर के लिए ज्यादा जरूरी था यही समझ में आया ऐसा भी अब चिरिमिरी वासियों का कहना है।

त्याग्रह भी अब करने का फायदा नहीं,अंत मे निष्कर्ष शून्य ही मिलना तय

कुछ सत्याग्रही पदयात्रियों ने कहा कि अब अपनी बात रखने के लिए तपस्या करना सत्याग्रह करना कहीं से सही नजर नहीं आता, आज की राजनीति में किसी के सत्याग्रह का भी सौदा बिना सत्याग्रह करने वाले कि जानकारी के पहले ही राजनीतिक लोग कर लेते हैं जैसा उनके साथ हुआ,उनका कहना है कि वह 10 करोड़ रुपये नगर निगम के जलावर्धन के लिए स्वीकृत कराने पैदल मार्च कर रहे थे अब उनको यही समझ मे आ रहा है।


चिरमिरी के साथ उपेक्षा तय


सत्याग्रही पदयात्रियों ने बताया कि अब यह तय नजर आ रहा है कि चिरिमिरी में जिले का मुख्यालय बनना मुश्किल है। चिरिमिरी शहर की विडंबना है कि यहीं के निवासी यहां की मांग को लेकर मौन हैं और जनप्रतिधि खासकर।

आंदोलन जारी रहेगा

सत्याग्रही पदयात्रियों ने स्पष्ट किया कि चिरिमिरी को जिला मुख्यालय बनाओ संघर्ष जारी रहेगा और वापस जाकर आंदोलन को नए तरीके से गति दी जाएगी। वहीं अब पदयात्री वापसी की तैयारियों में। जुटे हुए हैं जिनके कल तक वापस आने की संभावना है।

चिरमिरी क्षेत्र में भारी आक्रोश

पूरे मामले में सत्याग्रही पदयात्रियों की मांग और चिरमिरी पूरे शहर की मांग को विधायक व महापौर ने तव्वजो नहीं दिया और ना ही मुख्यमंत्री से ही इस विषय मे आग्रह किया कि खबर जैसे ही चिरिमिरी वासियों को लगी क्षेत्र में लोग भारी आक्रोश में हैं ऐसी भी खबर है।
चिरमिरी की आबादी मनेंद्रगढ़ से ज्यादा, राजनीतिक नुकसान संभावित
मनेंद्रगढ़ की तुलना में चिरमिरी की आबादी दो गुने से भी ज्यादा है और ऐसे में अब यही आंकलन लगाया जा रहा है कि भविष्य में राजनीतिक नुकसान होने की पूरी संभावना है।


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