एमसीबी जिले का कांग्रेस पार्टी से जिलाध्यक्ष कौन होगा,इसको लेकर सुगबुगाहट हो गई है शुरू।
क्या चिरमिरी को जिला अध्यक्ष मिलेगा और यदि मिलेगा तो किस नाम पर लगेगी मुहर ?
एमसीबी जिला कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष के दावेदार प्रमोद सिंह व डमरू रेड्डी चिरमिरी से हो सकते हैं।
मनेंद्रगढ़ कांग्रेस पार्टी के लोग भी मनेंद्रगढढ़ से जिलाध्यक्ष बनाने लगाएंगे जोर।
मनेंद्रगढ़ से रमेश सिंह, कृष्ण मुरारी तिवारी व राजकुमार केसरवानी हो सकते हैं जिलाध्यक्ष के दावेदार।
चिरमिरी से प्रमोद सिंह तो मनेंद्रगढ़ से रमेश सिंह जिला अध्यक्ष बनने की दौड़ में सब से आगे।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 10 जून 2022 (घटती-घटना)। लाख प्रयासों के बावजूद कोरिया का विभाजन रुक ना सका कोरिया से पृथक होकर एमसीबी नया जिला स्थापित होने जा रहा है जिसे लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी है, इस बीच राजनीतिक संगठन भी दोनों जिलों में अपने पदाधिकारियों को नियुक्ति करने की रणनीति बनाने में लगे होंगे, वर्तमान में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने तो युवक कांग्रेस का चुनाव शुरू भी करा दिया है दोनों जिले में अलग-अलग जिला अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है पर अब सवाल यह उठता है की कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष जो अभी तक अविभाजित कोरिया के एक ही बने हुए हैं कब सत्ताधारी दल नवीन जिले एमसीबी का नया जिलाध्यक्ष नियुक्त करती है, इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव भी अगले साल होना है जिसे लेकर संगठन को अभी से ही कमर कसनी होगी, बिना जिलाध्यक्ष के दोनों जिलों में चुनाव विधानसभा का होना मुश्किल होगा, इसलिए अब जल्द से जल्द दोनों जिलों के जिलाअध्यक्ष के चेहरे साफ हो जाने चाहिए अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर चिरमिरी को शायद मुख्यालय ना मिले पर क्या जिलाध्यक्ष मिलेगा या फिर जिलाध्यक्ष भी सत्ताधारी दल का मनेंद्रगढ़ से ही नियुक्त हो जाएगा, इसे लेकर सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है जहां चिरमिरी शहर से प्रमोद सिंह, डमरू रेड्डी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के दावेदार माने जा रहे हैं तो वही मनेंद्रगढ़ से रमेश सिंह, कृष्ण मुरारी तिवारी व् राजकुमार केसरवानी जिलाध्यक्ष के दावेदार हो सकते हैं अब जिलाध्यक्ष सत्ताधारी दल से कौन बनता है यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
सत्ताधारी दल का जिलाध्यक्ष चिरमिरी से हो तो चुनाव में मिलेगा इसका फायदा
राजनीतिक जानकारों की जिले की माने तो एमसीबी नवीन जिले का जिलाध्यक्ष चिरमिरी से बने तो सत्ताधारी दल को चुनाव में ज्यादा फायदा होगा क्योंकि चिरमिरी में वोटों के हिसाब से निर्णायक वोट बैंक किसी भी राजनीतिक दल के लिए मनेंद्रगढ़ विधानसभा के हिसाब से उपलब्ध है और चिरमिरी से जिलाध्यक्ष बनाये जाने पर फायदा पार्टी को होना तय होगा।
मनेंद्रगढ़ में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक ज्यादा- चिरमिरी की अपेक्षा मनेंद्रगढ़ में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक ज्यादा है और इसीलिए मनेंद्रगढ़ को ही जिला मुख्यालय बनाये जाने का निर्णय लिया गया। मनेंद्रगढ़ को चूंकि जिला मुख्यालय मिल चुका है इसलिए वहां के लोग संतुष्ट भी हैं और आने वाले चुनाव में भी मनेंद्रगढ़ से जिलाध्यक्ष सत्ताधारी दल का नहीं होने पर कांग्रेस को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि मनेंद्रगढ़ वैसे भी कांग्रेस का गढ़ है वोटों के हिसाब से वह हमेशा भाजपा से मनेंद्रगढ़ में आगे रही है।
खड़गवां से जिलाध्यक्ष के किसी दावेदार को विधायक का नहीं मिलेगा समर्थन
कांग्रेस पार्टी के 4 सालों के कार्यकाल में मनेंद्रगढ़ विधानसभा के कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की स्थिति देखते हुए यह बिल्कुल नहीं लगता की खड़गवां से किसी की दावेदारी को विधायक पसंद भी करेंगे या किसी के नाम पर सहमति ही देंगे। खड़गवां के कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेसी विगत 4 सालों से विपक्ष की भूमिका में ही नजर आते हैं जिसको देखते हुए खड़गवां से दावेदारी का सवाल नहीं उठता।
भरतपुर और सोनहत से भी सत्ताधारी दल का जिलाध्यक्ष चुना जा सकता है
वैसे सत्ताधारी दल का जिलाध्यक्ष भरतपुर और सोनहत से भी चुना जा सकता है और इसकी जो वजह है वह यह भी है कि भरतपुर सोनहत विधायक के ही अंतिम प्रयास से जिला एमसीबी गठित हुआ यह सर्वविदित हो चुका है और मनेंद्रगढ़ मुख्यालय होगा यह भी उन्ही की मंशानुसार हो भी रहा है ऐसे में जिलाध्यक्ष को लेकर भी उनकी मंशा चले इसमे कोई संदेह नजर नही आता।
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