नई दिल्ली@आर्य समाज के मैरिज सर्टिफिकेट को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता देने से मना किया

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नई दिल्ली, 03 जून 2022।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आर्यसमाज की ओर से जारी विवाह प्रमाणपत्र को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नही΄ है. विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का ये काम तो सक्षम प्राधिकरण ही करते है΄. कोर्ट के सामने असली प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए.
दरअसल, मामला प्रेम विवाह का है. लडक़ी के घरवालो΄ ने नाबालिग बताते हुए अपनी लडक़ी के अपहरण और रेप की एफआईआर दर्ज करा रखी थी.। लडक़ी के घर वालो΄ ने युवक के खिलाफ भारतीय द΄ड विधान की धारा 363, 366, 384 , 376(2) (ठ्ठ) के साथ 384 के अलावा पॉसो एट की धारा 5(रु)/6 के तहत मामला दर्ज किया. जबकि युवक का कहना था कि लडक़ी बालिग है. उसने अपनी मर्जी और अधिकार से विवाह का फैसला किया है. आर्य समाज म΄दिर मे΄ विवाह हुआ. युवक ने मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया.
इस मामले मे΄ सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल मे΄ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने को हामी भर दी थी. तब जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने आर्य प्रतिनिधि सभा से स्पेशल मैरिज एट 1954 की धाराओ΄ 5, 6, 7 और 8 प्रावधानो΄ को अपनी गाइड लाइन मे΄ एक महीने के भीतर अपने नियमन मे΄ शामिल करे.


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