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अम्बिकापुर@लोकतंत्र और संवैधानिक मर्यादा के लिए ग्रामीणों की मांगों को माना जाये:मधु

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अम्बिकापुर 30 मई 2022 (घटती-घटना)। एक बार फिर से जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में परसा कोल ब्लॉक एंव उदयपुर क्षेत्र हेतु प्रस्तावित अन्य कोल उत्खनन को लेकर मामला उठा। यह लगातार दूसरी बार है जब उदयपुर क्षेत्र में कोल उत्खनन एवं आवंटन को लेकर जिला पंचायत के सदस्यों ने सवाल उठाया है। लगभग 3 महीने से धरने पर बैठे ग्रामीणों एवं क्षेत्र में लगातार फैल रहे आक्रोश एवं असंतोष को लेकर जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में चर्चा हुई। बैठक में मामले पर चर्चा करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष मधु सिंह ने कहा कि जब लोग बोल रहे हैं कि ग्राम सभा से जो पूर्व में अनुमति मिलना बतायी जा रही है, वह गलत है, फर्जी है और अवैध है तो फिर क्यों दूसरी ग्राम सभा नहीं बुलाई जा रही है। ग्रामीणों की मांगों को माना जाये, सुना जाये यहीं लोकतंत्र है और संवैधानिक मर्यादा है।
वहीं जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने इस बैठक में ऑनलाईन शामिल होते हुए अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैंने उच्च न्यायालय के उस आदेश का भी अध्ययन किया है, जिसका हवाला देकर जिला प्रशासन दुबारा ग्राम सभा नहीं बुलाने की बात करती है। छ.ग. उच्च न्यायालय, बिलासपुर के प्रकरण क्रमांक डब्ल्यू.पी.सी. 2541/2020, 302/2022, 560/22, 698/22 एवं 1247/22 में पारित आदेश के अध्ययन से यह जानकारी मिली है की बहस के दौरान यह तथ्य रखा गया कि भूमि अधिग्रहण कोल बेरिंग एक्ट 1957 के माध्यम से किया गया है। कोलबेरिंग एक्ट के प्रावधानों के अनुसार भूमि अधिग्रहण के लिए ग्रामसभा की अनिवार्यता की आवश्यकता नहीं है, इस कारण माननीय उच्च न्यायालय ने ग्रामसभा की वैधता एवं अवैधता पर विचार न करते हुए उस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। जबकि वन अधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार वनों के संरक्षण, संवर्धन, उपयोग सहित अन्य अधिकार ग्राम सभा को दिये गये हैं। इसके लिये वन भूमि के डायवर्जन अथवा अन्य कार्य हेतु ग्रामसभा की अनुमति आवश्यक है। वहीं उन्होनें यह भी कहा कि ग्रामसभा के अवैध प्रस्ताव को मान्य कर कलेक्टर, सरगुजा द्वारा जारी वन अधिकार कानून के विधिवत पालन प्रमाण-पत्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी वन अधिकारों के निर्धारण, खनन प्रमाण-पत्र एवं सहमति के आधार पर भारत सरकार ने वनभूमि के डायवर्सन की अनुमति दी है, जिसके बाद राज्य सरकार ने 06 अप्रैल, 2022 को वन भूमि डायवर्सन का अंतिम आदेश पारित किया है। जिसे लेकर ग्रामीणों में असंतोष एवं आक्रोश का माहौल दिख रहा है। ऐसी स्थिति में जब कि ग्रामीणों द्वारा उक्त ग्राम सभा के अनुमति को अवैध बताया जा रहा है, तत्काल जिला प्रशासन को चाहिए कि प्रत्येक प्रभावित ग्रामों में पुरे कोरम के साथ ग्राम सभा बुलाकर ग्रामीणों की मंशा एवं उनकी बातों को सुनना चाहिए। हालांकि पुरे चर्चा को जिला पंचायत के मिनटस में शामिल किया गया है, लेकिन आगे जिला प्रशासन क्या अपने ही आदेश अथवा एनओसी के विरूद्ध जिला पंचायत में पारित प्रस्ताव के आधार पर ग्रामसभा बुलायेगी, इसे लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति है।
फिलहाल इस पुरे मामले को लेकर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने कलेक्टर सरगुजा को भी पत्र लिखा है और उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेश एवं वन अधिनियम 2006 के अधिकारों को वर्णन करते हुए पुन: ग्राम सभा बुलाये जाने की मांग की है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने कलेक्टर सरगुजा को सम्बोधित करते हुए लिखे पत्र में यह भी कहा है कि इस विषय पर माननीय अध्यक्ष, जिला पंचायत सरगुजा के पत्र क्र. 11, दिनांक 27 मई, 2022 के माध्यम से माननीय अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा परसा कोल ब्लाक एवं विकासखण्ड उदयपुर में प्रस्तावित उत्खनन को लेकर क्षेत्र की वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए प्रभावित समस्त ग्रामों में विशेष ग्रामसभा आयोजित कराने की मांग की गयी थी। वहीं आज यह भी जानकारी मिल रही है कि बड़ी संख्या में पुलिस की उपस्थिति में पेड़ की कटाई हो रही है। इस विषय पर बिना किसी दबाव के स्पष्ट एवं पारदर्शी तरीके से मीडिया, सोशल मीडिया एवं वेबपोर्टल में सही जानकारी डाल कर ग्रामसभा की स्पष्ट अनुमति ली जाये। ग्रामवासियों की पुरे कोरम के साथ ग्रामसभा बुलाये बिना, उनकी मंशा जाने बिना इस विषय पर कोई भी कार्यवाही आगे बढ़ाना अनैतिक है। आपसे अनुरोध है कि जब तक ग्रामसभा नहीं होती तब तक पेड़ कटाई सहित विभिन्न गतिविधियां रोक दी जाये।


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