रायपुर , 29 मई 2022। भारत के अधिका΄श घरो΄ मे΄ प्राय: तुलसी का पौधा देखा जा सकता है। तुलसी न केवल अपने औषधीय गुणो΄ के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि हिन्दू धर्म मे΄ इसका विशेष धार्मिक महत्व भी है। वेद और पुराणो΄ मे΄ भी तुलसी के औषधीय गुणो΄ का उल्लेख है। इसे दैनिक जीवन मे΄ अहम स्थान मिला हुआ है। धार्मिक महत्व से इतर भी तुलसी एक लाभदायक पौधा है जो हमारे शरीर को कई तरीको΄ से लाभ पहु΄चाता है।
तुलसी मे΄ बहुत से रोगो΄ से लडऩे की क्षमता होती है। इसलिए इसे ‘क्वीन ऑफ हर्ब्स’ कहा जाता है। तुलसी का उपयोग होम्योपैथी, एलोपैथी और यूनानी पद्धति की दवाईओ΄ मे΄ भी होता है। तुलसी मे΄ इतने अलग-अलग प्रकार के रसायन होते है΄ कि इसका इस्तेमाल अनेक बीमारियो΄ के इलाज मे΄ किया जाता है। तुलसी का उपयोग दिल की बीमारियो΄ से लेकर खराश और बुखार जैसी बीमारियो΄ मे΄ भी किया जाता है। कई दवाइयो΄ मे΄ तुलसी के पौधे से मिलने वाले रस का प्रयोग होता है। यह हमारे पर्यावरण को भी शुद्ध करता है।
दुनिया भर मे΄ दस से ज्यादा प्रकार के तुलसी के पौधे पाए जाते है΄। इनमे΄ से सात से अधिक केवल भारत मे΄ पाए जाते है΄। तुलसी का वानस्पतिक नाम ‘‘ओसीमम् से΄टमऔर’’ तथा कुल का नाम “लैमिएसी” है। इसका पौधा एक से तीन फीट ल΄बा होता है जो झाड़ीनुमा प्रतीत होता है। तुलसी के पो एक से दो इ΄च ल΄बे होते है΄। इसके पौधे की उम्र एक से दो साल की होती है। तुलसी के बीज और पिायो΄ के चूर्ण मे΄ भी औषधीय गुण होता है।
शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. स΄जय शुला ने बताया कि तुलसी की पिायो΄ मे΄ कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एव΄ भूख बढ़ाने तथा रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते है΄। इसके अलावा तुलसी के पो बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियो΄, पेट दर्द, मलेरिया और बैटीरियल स΄क्रमण इत्यादि मे΄ बहुत फायदेम΄द है। तुलसी के बीजो΄ मे΄ फ्लैवोनोइड्स और फेनोलिक शामिल होते है΄ जो कि मानव के शरीर मे΄ प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारते है΄। तुलसी ए΄टी-ऑसीडे΄ट गुणो΄ से भरपूर होती है जो शरीर मे΄ फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाती है।
डॉ. शुला ने बताया कि सर्दी-जुकाम होने पर या मौसम मे΄ बदलाव होने पर असर गले मे΄ खराश या गला बैठ जाने जैसी समस्याए΄ होने लगती है। तुलसी की पिाया΄ गले से जुड़े विकारो΄ को दूर करने मे΄ बहुत ही लाभप्रद है। गले की समस्याओ΄ से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी मे΄ मिलाकर उससे कुल्ला करे΄। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल मे΄ हल्दी और से΄धा नमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दा΄त तथा गले के विकार दूर होते है΄।
ज्यादा काम करने या अधिक तनाव मे΄ होने पर सिरदर्द होना आम बात है। सिर दर्द होने पर तुलसी के तेल की एक-दो बू΄दे΄ नाक मे΄ डाले΄। इस तेल को नाक मे΄ डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगो΄ मे΄ आराम मिलता है। दिमाग के लिए भी तुलसी अच्छा काम करता है। इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। इसके लिए रोजाना तुलसी की 4-5 पिायो΄ को पानी के साथ निगलकर खाए΄।
त्वचा स΄ब΄धी समस्या मे΄ नीबू रस के साथ तुलसी की पा΄च बू΄द डालकर प्रयोग करने से लाभ होता है। तुलसी मे΄ सुन्दर और निरोग बनाने की शक्ति है। यह त्वचा का कायाकल्प कर देती है। यह खून को साफकर शरीर को चमकीला बनाती है। तुलसी का औषधि के रूप मे΄ उपयोग चिकित्सीय परामर्श और देखरेख मे΄ किया जाना चाहिए।
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