जनपद पंचायत उपाध्यक्ष पति की बात नहीं मानना पड़ा समिति प्रबंधक को महंगा।
समिति से यूरिया निजी दुकान संचालक को प्रबंधक ने देने से किया मना, हुआ तबादला।
समिति प्रबंधक विधायक के दरबार तक भी पहुंचे पर केवल आश्वासन मिला।यविधायक के खास हैं जिन्हें चाहिए था सहकारी समिति का यूरिया-सूत्र।
समिति प्रबंधक का वैसे तो विवादों से रहा है गहरा नाता है,इसबार नियम से काम करना मंहगा पड़ गया।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 25 मई 2022 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर विकासखण्ड के तरगवां सहकारी समिति के प्रबंधक जितेंद्र मिश्रा का आनन-फानन में तबादला कर दिया गया है। तबादला भी केवल इसलिए किया गया है क्योंकि उन्होंने नियम अनुसार काम किया है और गलत करने से मना कर दिया है। हमेशा विवादों में ही रहने वाले उक्त समिति प्रबंधक ने पहली बार नियम से कोई काम करने की ठानी और वही काम उनके लिए भारी पड़ गया और उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया। तरगवां आदिम जाति सेवा सहकारी समिति अभी हाल में ही अलग समिति बनी है और यह पटना सहकारी समिति से अलग होकर बनी है। तरगवां सहकारी समिति के प्रबंधक के रूप में जितेंद्र मिश्रा जिम्मेदारी सम्हाल रहे थे जिनका अभी स्थानांतरण कर दिया गया है और सूत्रों के अनुसार स्थानांतरण की वजह भी बड़ी अजीब है जो भ्रष्टाचार नहीं करने की वजह से किया गया है। तबादला भी ऐसा कि उन्हें जिले के भीतर जहां कई समिति प्रबंधकों की जगह खाली है वहां स्थापित करने के बजाए सीधे सरगुजा जिले में तबादला किया गया जबकि समिति प्रबंधक जितेंद्र मिश्रा के पास हाई कोर्ट का स्टे आर्डर है जिसके तहत यदि वे निलंबन के बाद बहाल होते हैं तो उन्हें पटना सहकारी समिति या उनके आश्रित समिति में ही पदस्थापना दी जाएगी।
जनपद उपाध्याय पति की बात नहीं मानने पर हुआ तबादला
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समिति प्रबंधक का तबादला केवल इसलिए कर दिया गया है क्योंकि उन्होंने जनपद उपाध्यक्ष पति की बात मानने से इंकार कर दिया था। समिति प्रबंधक पर जनपद उपाध्यक्ष पति ने दबाव बनाया था और वह दबाव सहकारी समिति से किसानों को मिलने वाले यूरिया को लेकर था और इंकार करने पर तबादला किया गया यह बताया जा रहा है।
दुकान संचालक को यूरिया प्रदान नहीं करने की मिली सजा
सूत्रों का कहना है कि सहकारी समिति के यूरिया को एक दुकान संचालक को देने का समिति प्रबंधक पर दबाव था और समिति प्रबंधक ने यूरिया दुकान संचालक को नहीं दिया और इसीलिए उनका तबादला कर दिया गया। विगत वर्ष तत्कालीन प्रबंधक के कार्यकाल में सहकारी समिति पटना, तरगवां के जारी परमिट से यह जानकारी मिली कि जहां किसानों को यूरिया के चंद बोरों के लिए भटकना पड़ता है वहीं निजी दुकान संचालक के नाम पर सैकड़ों बोरी यूरिया की परमिट काटी गई एवं प्रदान किया गया।
विधायक ने भी नहीं सुनी समिति प्रबंधक की बात
बताया यह भी जा रहा है कि जिस दुकानदार को यूरिया देने का समिति प्रबंधक पर दबाव था वह विधायक के खास हैं और इसलिए जब समिति प्रबंधक अपनी गुहार लेकर विधायक के दरबार पहुंचे उनकी नहीं हुई सुनवाई, मिला केवल आश्वासन। समिति प्रबंधक की जगह दुकानदार की बातों पर ही समिति प्रबंधक का तबादला कर दिया गया।
यूरिया की कालाबाजारीसे जुड़ा है मामला
पूरा मामला यूरिया के कालाबाजारी से जुड़ा हुआ है जिसके लिए समिति प्रबंधक ने मना कर दिया। बताया जा रहा है कि एक दुकानदार को यूरिया समिति से उपलब्ध कराने का दबाव था और वह दुकानदार ज्यादा दाम पर उसी यूरिया को किसानों को बेचना चाहता था, और जिसके लिए समिति प्रबंधक तैयार नहीं हुए और उनका तबादला कर दिया गया। पूरा मामला इसलिए भी खास है कि विगत वर्ष नवीन गठित तरगवां समिति जिसके खाद के भंडारण एवं वितरण की व्यवस्था पटना सहकारी समिति में की गई थी, जहां किसानों को यूरिया के लिए परमिट तो काटा गया परंतु सैकड़ों किसानों को यूरिया प्रदान नहीं किया गया जबकि धान खरीदी के वक्त बगैर प्रदान किए गए यूरिया के ऋण वसूली भी कर दी गई। इस वर्ष जब किसानों ने वर्तमान समिति प्रबंधक जितेंद्र मिश्रा से विगत वर्ष का बकाया खाद मांगा तो उन्होंने संबंधितो को कई पत्र लिखे। जिन का जवाब नहीं मिलने पर जिसकी शिकायत उन्होंने उच्चाधिकारियों तक प्रेषित की। तबादले का यह भी एक बड़ा कारण बना। सूत्रों के अनुसार विगत वर्ष किसानों की परमिट कटने के बाद भी उन्हें यूरिया की प्राप्ति नहीं हुई जबकि कई निजी दुकान संचालकों को थोक मात्रा में पटना समिति प्रबंधक अनूप कुशवाहा द्वारा खुले बाजार में विक्रय करने के लिए यूरिया प्रदान किया गया। व्यवस्था की विडंबना यह है कि पटना समिति प्रबंधक को ही तरगांवा समिति प्रबंधक की अतिरिक्त जवाबदारी दे दी गई।
मुख्यमंत्री के आगमन की सूचना उपरांत भी नहीं सुधर रही व्यवस्था
जिले के प्रत्येक विधानसभा में मुख्यमंत्री का आगमन होना है उसके बावजूद भी जिले के विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली साथ ही जारी व्यवस्था नहीं सुधर रही है। भ्रष्टाचार जैसे मामले प्रतिदिन सुनाई दे रहें हैं और यह ताजा मामला है जिसमें किसानों के यूरिया के ही कालाबाजारी को लेकर खेल खेला जा रहा है। अब मुख्यमंत्री इन पूरे मामलों में क्या संज्ञान लेते हैं यह देखने वाली बात होगी।वहीं उनके आगमन पर शिकायतों का अंबार लगेगा यह भी तय नजर आ रहा है। वहीं वे किसान जिन्हें विगत वर्ष का बकाया खाद अभी तक नहीं मिला है वे एकजुट और लामबंद होकर तत्कालीन पटना समिति प्रबंधक अनूप कुशवाहा के विरुद्ध मुख्यमंत्री तक अपनी शिकायत पहुंचाने के लिए आतुर हैं।
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