अपनी ही सरकार में जिला कार्यालय के गेट पर चढ़कर की नारेबाजी
रवि सिंह –
बैकु΄ठपुर 06 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के केंद्र के कृषि बिल के विरोध में जारी धरना व रैली के दौरान हुई किसानों की मौत मामले में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी 5 अक्टूबर को प्रदेश के समस्त केलेक्ट्रेट कार्यालयों का घेराव करते हुए शांतिपूर्ण ढंग से ज्ञापन सौंपने का प्रत्येक जिला कमेटी को निर्देश दिया था, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में भी जिलेभर से कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता विरोध दर्ज करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन सौंपने के नाम से जिला संयुक्त कार्यालय कोरिया के समक्ष इकट्ठा हुए थे। शान्तिपूर्ण आह्वान कब उग्र हो गया जिसकी वजह से कांग्रेस के ही पदाधिकारी कार्यालय के गेट तक पर चढ़कर नारा लगाने लगे अब इसको लेकर सवाल उठने लगा है और यह सवाल प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के ही कुछ लोग उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रदेश में सरकार कांग्रेस की है विरोध उत्तरप्रदेश सरकार के खिलाफ दर्ज करने की कांग्रेस की मंशा थी तो ऐसे में इस तरह के उग्र प्रदर्शन की आवस्यकता क्यों।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि विपक्ष में लंबे अर्से तक रहने की वजह से वहीं कुछ कांग्रेसियो को आज तक बेहतर तवज्जो कांग्रेस में ही नहीं मिलने की वजह से ऐसी स्थिति उत्तपन्न हुई और कुछ कार्यकर्ता और संगठन पदाधिकारी विपक्ष की भूमिका जैसा आचरण कर गए वहीं कुछ बेहतर तवज्जो नहीं पाने वाले अपने ही पार्टी में आक्रोश में ऐसा कर गए ऐसा लगता है। कुल मिलाकर सरकार में रहकर इस तरह के विरोध प्रदर्शन को किसी ने सही नहीं कहा वहीं यह भी आरोप लगे कि संयुक्त कार्यालय का गेट चढ़ने की कोई आवस्यकता नहीं जान पड़ती थी लेकिन उत्साही व कुछ आक्रोश की वजह से कार्यकर्ता व पदाधिकारी ऐसा कर गए जो कांग्रेस कमेटी के शान्तिपूर्ण आंदोलन को उग्र बनाने के लिए काफी था।
सरकारी सम्पतियों को नुकसान पहुंचाना ही असल विरोध की धारणा ही वजह
राजनीतिक दलों को सरकारी संपत्तियों का नुकसान पहुंचाना ही असल विरोध समझ मे आता है और यही वजह है कि राजनीतिक दल चाहे व सत्ताधारी हो या विपक्ष विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी सम्पतियों को नुकसान पहुंचाने से बाज नहीं आते। कमोबेश सभी राजनीतिक दलों की यही स्थिति है वह विरोध के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर ही विरोध को सफल मानते हैं।
वरिष्ठ पदाधिकारियों की भी भूमिका
राजनीतिक दलों में खासकर किसी आंदोलन के दौरान वरिष्ठ पदाधिकारियों का सम्पूर्ण विरोध प्रदर्शन या आंदोलन के दौरान यदि भूमिका की बात की जाय तो एक बात जरूर समझ मे आती है आजकल युवावर्ग राजनीति में तेजी से प्रवेश कर रहा है वहीं वह उत्साह व अपनी ऊर्जा को साबित करने की जल्दबाजी में गलतियां करने लगता है जबकि वरिष्ठ पदाधिकारियों को उनपर आंदोलनों के दौरान नियंत्रण रखना चाहिए व किसी भी विरोध प्रदर्शन के दौरान मामला उग्र न होने पाए इसबात का ध्यान रखते हुए निर्देश जारी करने चाहिए, कई मामलों में वरिष्ठ पदाधिकारी की बात भी अनसुनी कर जाते है युवा वर्ग के नेता लेकिन फिर भी किसी आंदोलन में वरिष्ठ पदाधिकारियों का नियंत्रण बना रहे वहीं आंदोलन नियंत्रण में रहे यह वरिष्ठ लोगों को ध्यान रखना चाहिए।