- अंत भला सबकुछ भला की चाहत में आखिरी बार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं भैयालाल राजवाड़े
- कैबिनेट मंत्री भैयालाल का राजनीतिक सफर काफी शानदार रहा है।
- जनता से सीधे जुड़ड़ाव रखने वाले जनप्रतिनिधि रहें हैं भैयालाल राजवाड़े।
- क्या भाजपा भैयालाल के राजनीतिक सफर विदाई को लेकर एक मौका और देगी?
- कोरिया जिले के लिए के इतिहास के पन्नों में भैयालाल राजवाड़े का नाम दर्ज हो चुका है।
- सर्व सहज रूप से सर्वत्र उपलब्ध होना रही है खासियत, जनता से सीधा जुड़ड़ाव ही उनकी है काबलियत।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 12 मई 2022 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ सरकार में एकबार संसदीय सचिव रह चुके व एकबार कैबिनेट मंत्री रह चुके बैकुंठपुर विधानसभा से दो बार के विधायक भी चुने जा चुके भइयालाल राजवाड़े अपने राजनीतिक जीवन की समाप्ति के पूर्व एकबार और चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं, भइयालाल राजवाड़े अपने राजनीतिक जीवन से संन्यास लेने की इक्षा के साथ यह चुनाव लड़ेंगे और बाकायदा इसकी घोषणा करते हुए वह भाजपा से 2023 के विधानसभा चुनावों में बैकुंठपुर विधानसभा से टिकट की मांग कर रहें हैं, भइयालाल राजवाड़े का राजनीतिक सफर कैसे जारी हुआ यह भी एक रोचक विषय है।
25 जनवरी 1952 को जन्मे भइयालाल राजवाड़े की शिक्षा मैट्रिक स्तर तक कि रही, जबकि जिस समय उनकी शिक्षा का समय था शैक्षणिक संस्थाओं की कमी थी, भइयालाल राजवाड़े ने प्राथमिक पूर्व माध्यमिक स्तर तक कि शिक्षा अपने ही ग्राम स्तर के शासकीय विद्यालय से पूर्ण की वहीं उन्होंने हाईस्कूल हायरसेकंडरी की पढ़ाई बैकुंठपुर से पूर्ण की थी। भइयालाल राजवाड़े बैकुंठपुर विकासखण्ड के सरडी ग्राम अंतर्गत निवास करते हैं और उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत सरपंच पद से आरंभ हुई।
जनसेवा का ऐसा शौक की सरपंच बनने के लिए एसईसीएल की नौकरी छोड़ी
पूर्व कैबिनेट मंत्री भइयालाल राजवाड़े की सन 1970 में एसईसीएल में नौकरी लगी और इन्होंने 1978 तक माइनिंग सरदार पद पर रहते हुए एसईसीएल की नौकरी की इसी दौरान 1972 में जिस समय सरपंच का चुनाव नहीं होता था ग्रामीण ही अपने से सरपंच चुनते थे उस दौरान सरडी गांव के लोगों ने इन्हें सरपंच चुना इसके बाद 1978 में जब ग्राम पंचायत का चुनाव होना शुरू हुआ तब उन्होंने एसईसीएल की नौकरी छोड़ लोगों की सेवा के लिए निर्वाचित होकर सरपंच बनना पसंद किया और 20 साल उन्होंने सरपंची की 1993-94 में सरपंच निर्वाचित होने के साथ-साथ उन्होंने जनपद पंचायत सदस्य का भी चुनाव लड़ा और वहां पर भी उन्होंने जीत हासिल की और अध्यक्ष निर्वाचित हुए इसके बाद 1998 में कोरिया जिला पांचवी अनुसूची में शामिल हो गया जिस वजह से इन्होंने सरपंच पद का चुनाव नहीं लड़ पाने की वजह से जिला पंचायत लडऩा शुरू किया दो बार इन्होंने जिला पंचायत सदस्य बनकर कार्य किया जिला पंचायत सदस्य का चुनाव उन्होंने 1998, 2003 व 2008 में जिला पंचायत सदस्य बने भइयालाल राजवाड़े ने 2003 में विधानसभा चुनाव भी लड़ा पर डॉ रामचन्द्र सिंहदेव कोरिया कुमार से बड़ी ही कम अंतरों से उन्हें हारना पड़ा लेकिन उन्होंने राजनीति नहीं छोड़ी और जनता से जुड़ाव बना रहे इसलिए उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और विजयी हुए।
कोरिया कुमार कहां करते थे भईया लाल राजवाड़े जितना शायद मैं नहीं कर पाता
उन्होंने कोरिया कुमार डॉ रामचंद्र सिंहदेव से हुई एक बातचीत को लेकर भी बताया कि एकबार बातों ही बातों में कुमार साहब ने यहां तक कह डाला कि भइयालाल राजवाड़े जो काम कर रहें हैं वह काम वह इस तरह इतना नहीं कर पाते जितना भइयालाल राजवाड़े कर रहें हैं। कोरिया कुमार भइयालाल राजवाड़े के कार्यकाल से संतुष्ट नजर आते थे जनता की जरूरतों को पूरा होता हुआ पाते थे फरियादियों की फरियाद सुनी जा रहीं थीं ऐसा पाते थे यह भी उनका कहना था। भइयालाल राजवाड़े में लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा रहती थी यही वजह था कि वह अपना रायपुर का भवन तक लोगों को इलाज के लिए सौंप दिया था, उनकी इलाज कराने की भावना से कोरिया कुमार ज्यादा प्रेरित की थी, भइयालाल राजवाड़े का लोगों के बीच जाना लोगों के लिए कुछ करना यहां तक की सबसे ज्यादा जनता के लिए कुछ करने का भाव रखना यह ओरिया कुमार को पसंद।
कुमार साहब के बाद केवल भैयालाल राजवाड़े में ही है जनसरोकार
फलेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि जिस तरह वह कुमार साहब डॉ रामचन्द्र सिंहदेव से प्रभावित थे उसी तरह कुमार साहब डॉ रामचंद्र सिंहदेव भइयालाल राजवाड़े से प्रभावित थे, उन्होंने कहा कि कुमार साहब स्वयं जब भइयालाल राजवाड़े के लिए यह कहा करते थे कि वह उनसे भी बेहतर काम कर रहें हैं जनसरोकार रख रहें हैं ऐसे में फलेंद्र सिंह ने कहा कि कुमार साहब के बाद भइयालाल राजवाड़े ही बेहतर जन सरोकार वाले नेता हैं मैं भी कह सकता हूँ क्योंकि उनका जनता से जुड़ाव जमीनी है और वह जनता के लिए उनके समस्याओं के समाधान के लिए किसी भी स्तर तक जाकर समाधान कराने तत्तपर रहने वाले नेता है।
2008 में फिर दूसरी बार भाजपा से इन्हें विधानसभा का टिकट दिया
2008 में फिर दूसरी बार भाजपा से इन्हें विधानसभा का टिकट मिला और इन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें जीत मिली जीत के साथ और 2 वर्षों बाद ही सरकार ने भइयालाल राजवाड़े की योग्यता और जनता से जुड़ाव को समझा और उन्हें संसदीय सचिव बनाया, 2013 में तीसरी बार भाजपा से इन्हें टिकट मिला और इन्होंने ने विधानसभा चुनाव लड़ा और फिर इन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की विधायक बनने और पूर्व के संसदीय सचिव कार्यों की योग्यता साथ ही लोकप्रियता के कारण इसबार उन्हें दो वर्ष बीतते बीतते ही कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। 2018 विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा इस तरह उन्होंने चार बार विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें 2 बार जीत और दो बार हार हुई।
मंच से ही घोषणा और उसके क्रियान्वयन को लेकर आदेश किया करते थे जारी
भइयालाल राजवाड़े मंच से उद्बोधन के दौरान ही उपस्थित जनों की मांगों का निराकरण करते थे यही नहीं वह मंच से घोषणा भी मांगो के संदर्भ में तत्काल किया करते थे, वह घोषणा करने तक ही नहीं रुका करते थे वह घोषणा पर अमल हो यह आदेश भी मंच से ही अधिकारियों को दिया करते थे जो पूरा भी हुआ करता था और यही उनकी लोकप्रियता की सबसे महत्वपूर्ण पहलू है अपने कार्यकाल के दौरान मंच पर लोगों की मांग पर घोषणा करने से भी नहीं घबराते थे जो चाहता था वह उनसे मांग सकता था और वह तत्काल मंचो से घोषणा भी कर दिया करते थे जिस वजह से उन्हें घोषणा वाले बाबा भी कहा जाने लगा था, खास कर इन्होंने हर गांव गांव में पंडाल दिए जहां आज भी उनके नाम उन पंडालो लिखा मिलता है पूरे जिले में काफी सारे स्टेडियम बनाए गए जो इनकी देना है।
इलाज वाले बाबा बनकर पूरे प्रदेश के लोगों की उन्होंने की सेवा
भइयालाल राजवाड़े जिस तरह अपने संसदीय सचिव व कैबिनेट मंत्री रहते अपने विभागीय जिम्मेदारियों को लेकर सजग और तत्पर रहा करते थे उसके अलावा उनकी ख्याति एक अन्य उनकी खूबी या यह कहें जनसेवा से जुड़े कार्य को लेकर रही, भइयालाल राजवाड़े को इलाज वाले बाबा के नाम से यूंही नहीं जाना जाता यह उनका नाम प्रसिद्ध हो चुका था क्योंकि उन्होंने अपने निजी शासकीय बंगले जो कि संसदीय सचिव व मंत्री रहते उन्हें प्राप्त हुआ था उसे उन्होंने प्रदेशभर के बीमार लोगों के लिए आश्रय बना डाला था।
लोगों की सुविधा के लिए शासकीय बंगले भी दे दिया था
उन्होने अपने शासकीय बंगले में अपना एक कमरा छोड़कर अन्य सभी कमरे बीमार और लाचार जो राजधानी इलाज करवाने पहुंचते थे उनके लिए समर्पित कर दिया था, वह इकलौते ऐसे जनप्रतिनिधि थे जिन्होंने इलाज के लिए जबकि उनके विभाग स्वास्थ्य नहीं था फिर भी अपने बंगले पर किसी के आने जाने के प्रतिबंध को समाप्त कर दिया था। भइयालाल राजवाड़े केवल मरीजों को रहने की ही जगह नहीं देते थे वह अपनी एक टीम बनाकर मरीजों की देखभाल भी किया करते थे और मरीजों की जरूरतें भोजन दवा यहाँ तक कि रक्त आवश्यकता भी पूरा करने की कोशिश करते थे। वह यहीं तक सीमित नहीं थे समय मिलने पर गंभीर मरीजों जो उनके यहां आकर इलाज के लिए गुहार लगाते थे उनके लिए समय समय पर राजधानी के सभी अस्पतालों में भी जाते थे और इसी तरह उनका नाम इलाज वाले बाबा पड़ गया।
जापान की विदेश यात्रा से सीख कर आए तब पूरे जिले में मिनी स्टेडियम बनवाया
भइयालाल राजवाड़े ने मंत्री रहते हुए जापान की यात्रा की और वापस आकर उन्होंने प्रदेशभर में खेलों के आयोजन के लिए मिनी स्टेडियम बनवाया।खेल मंत्री के तौर पर की गई इस यात्रा के बाद उन्होंने सुसुप्त पड़े जिला खेल विभाग को भी जीवित किया और स्थायी रूप से जिला खेल अधिकारी की नियुक्ति कर जिले के प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए खेल के अवसरों को सरल व सहज बनाया। यह सर्वविदित है कि भइयालाल राजवाड़े के कार्यकाल में खेल विभाग को नई पहचान मिली और जिले सहित प्रदेश के खिलाड़ियों को बेहतर अवसर भी मिले, कोरिया जिले में ही यदि बात की जाए तो पूर्व की बात हो या वर्तमान की खेल विभाग को उन्होंने जीवंत किया था जो अब पुन: सुसुप्त हो चुका है।
जर्मनी की विदेश यात्रा के बाद मजदूरों का पलायन को रोका
भइयालाल राजवाड़े ने श्रम मंत्री रहते भी विदेश यात्रा की और जर्मनी जाकर वहां से मजदूरों का पलायन कैसे रोका जाए इसको लेकर अध्धयन किया और वापस आकर उसे लागू किया जिससे प्रदेश से मजदूरों का पलायन रुक भी सका।श्रम विभाग जिसको लेकर किसी को कोई जानकारी भी नहीं हुआ करती थी उसकी जिलेवार स्थापना साथ ही श्रम विभाग की स्थापना के पश्चात विभाग में सतत रूप से मजदूरों से जुड़ी योजनाओं के संचालन साथ ही प्रचार प्रसार से श्रम विभाग को भी एक अलग पहचान मिल सकी और आज हर मजदूर यह जान रहा है कि यह एक ऐसा विभाग है जहां पंजीयन होने मात्र से वह आर्थिक गतिविधियों से जुड़ सकता है और यह देन भइयालाल राजवाड़े के कार्यकाल की ही है।
जिले में सभी विभागों मे अंकुश लगाने में रहे थे सफल
भइयालाल राजवाड़े के कार्यकाल में जिले के सभी विभाग अंकुश के साथ कार्य किया करते थे, जनसरोकार सबसे ज्यादा आवश्यक समझते थे और जनता से जुड़े विषयों को लेकर सजग रहा करते थे क्योंकि सभी विभाग प्रमुखों की यह मालूम था कि भइयालाल राजवाड़े जमीन स्तर से राजनीति के शीर्ष पर हैं और उन्हें सभी योजनाओं और उसके क्रियान्वयन को लेकर सभी जानकारियां हैं और वह जनता को उसका लाभ मिल सके इसको लेकर कोई समझौता नहीं करने वाले।
विपक्ष नहीं लगा सका कोई भी भ्रष्टाचार का आरोप
भइयालाल राजवाड़े पर विपक्ष भले ही कभी जबान फिसलने को लेकर आरोप लगा चुका है लेकिन भ्रस्टाचार को लेकर कोई आरोप उनके ऊपर विपक्ष नहीं लगा सका यह उनके कार्यकाल की गुणवत्ता को बताता है।