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फर्जी एफआईआर,निशर्त जेल में बंद पत्रकारों की रिहाई की मांग को लेकर पत्रकार बैठे धरने पर

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  • प्रदेश के पत्रकार जेल भरो आंदोलन में शामिल हो मुख्यमंत्री
  • के नाम एसपी को सौपा ज्ञापन।
  • पत्रकारों पर दर्ज फर्जी एफआईआर वापस लेने व पत्रकार सुरक्षा कानून जल्द लागू करने की माँगा पर अड़ड़े पत्रकार।
  • अपनी मांगों को लेकर डेढ़ सौ पत्रकारों ने सामूहिक दी गिरफ्तारी।
  • पत्रकारों के समर्थन में भाजपा,गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सहित कई समाजसेवी संगठन के लोग हुए शामिल।
  • गिरफ्तारी ना लेने पर पत्रकार एसपी ऑफिस के गेट के सामने बैठे। पत्रकारों की सामूहिक गिरफ्तारी व एडिशनल एसपी के 15 दिवस के भीतर जांच करने के आश्वासन पर पत्रकार लौटे वापस।
  • एडिशनल एसपी ने पत्रकारों को दिया आश्वासन कहा आपकी मांगो को ऊपर तक पहुंचाई जाएगी, वही जितेन्द्र जयसवाल मामले में तत्काल जांच कर भेजा जाएगा।
  • पत्रकारों को समर्थन देने राज्यसभा सांसद, पूर्व सांसद सरगुजा, भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रदेश अध्यक्ष, अम्बिकापुर भाजपा जिला युवामोर्चा अध्यक्ष पँहुचे धरने स्थल।


-रवि सिंह-
अम्बिकापुर/बैकुण्ठपुर 07 मई 2022 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के अंबिकापुर स्थित गांधी चौक के समीप 6 मई को पत्रकारों ने धरना प्रदर्शन व जेल भरो आंदोलन का आयोजन किया गया, यह आंदोलन पत्रकार अधिकार सुरक्षा कानून लागू करने व पत्रकारों पर फर्जी हो रहे एफआईआर को वापस लेने के लिए की गई, वर्तमान सरकार जिसने पत्रकार सुरक्षा कानून लाने की बात की थी आखिर उसी के शासनकाल में पत्रकारों पर लगातार एफआईआर दर्ज किए गए, जिसे लेकर सुबह 6 मई की सुबह 10 बजे से अंबिकापुर के गांधी चौक के समीप पूरे प्रदेश भर से पत्रकार एकत्रित हो कर शाम 4 बजे तक धरना स्थल पर बैठे रहे, इसके बाद रैली निकाल कर सभी पत्रकार एसपी कार्यालय पहुंचे जहां मेन गेट पर ही पत्रकारों को पुलिस द्वारा रोक दिया गया, अंदर नहीं जाने दिया गया, पुलिस अधीक्षक से मुलाकात नहीं हुई डीएसपी पत्रकारों को समझाने में असफल रहे, जिसके बाद एडिशनल एसपी को भेजा गया एडिशनल एसपी विवेक शुक्ला ने काफी देर पत्रकारों को सुना और पत्रकार अपनी गिरफ्तारी देने पर अड़े रहे, पर एडिशनल एसपी ने कहा कि आप लोगों ने क्या गलती की है जो हम गिरफ्तार करे तो पत्रकारों ने कहा कि हम विरोध बस अपनी गिरफ्तारी देना चाहते हैं क्योंकि हमारे पत्रकार साथियों पर फर्जी एफआईआर दर्ज हो रहे हैं जिस पर एडिशनल एसपी विवेक शुक्ला ने कहा कि सभी की गिरफ्तारी संभव नहीं है इसलिए सामूहिक गिरफ्तारी पर सभी की सहमति बनी उसके बाद यह आंदोलन को ज्ञापन पश्चात समाप्त किया गया, मांग पूरी नहीं हुई तो अगला आंदोलन रायपुर में करने की चेतावनी भी दी गई। सरगुजा जिले के अंबिकापुर में पूरे प्रदेश के पत्रकार जेल भरो आंदोलन में भाग लिए और पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू करवाने में और फर्जी एफआईआर में पत्रकारों को जेल रखें है उन्हें निशर्त रिहा करने के लिए एसपी ऑफिस में ज्ञापन सौंपा गया है।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द शर्मा ने भूपेश सरकार को अपना वादा याद दिलाया कि भूपेश बघेल ने कहा था कि सरकार बनने पर पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करेंगे लेकिन सरकार को 4 वर्ष होने जा रहे लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर रही है यदि भूपेश सरकार इस विधानसभा सत्र के पहले सुरक्षा कानून लाने की बात नही करती है तो आने वाले विधानसभा सत्र के पहले राजधानी में प्रदेश के पत्रकार सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश परिहार, राष्ट्रीय महासचिव महफूज खान ने भूपेश बघेल को याद दिलाया की ये वही पत्रकार है जिनके बलबूते कांग्रेस ने अपनी सरकार छत्तीसगढ़ में बनाई है यदि इनकी पत्रकार सुरक्षा कानून की जायज मांग पूरी नही की जाती तो ये ही वो पत्रकार होंगे जिनके चलते आपको सत्ता भी गंवानी पड़ी सकती है, राष्ट्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ के पत्रकारों के साथ है आने वाले विधानसभा सत्र के पहले राजधानी में होंने वाले धरना में देश के अन्य राज्यो के पत्रकार भी शामिल होंगे। धरना को प्रदेश से आये वरिष्ठ पत्रकार कमलेश स्वर्णकार राजनांदगांव, दीपक साहू कोरबा,राजेश सोनी सूरजपुर, सुशील बखला अम्बिकापुर, प्रवीण निशी मनेंद्रगढ़, रमेश वशिष्ठ बैकुंठपुर, शैलेन्द्र सिंह बलरामपुर, रवि रजक, विनोद नामदेव, नाहिदा कुरैशी, रायपुर, सुधीर तम्बोली, राजन सोनी सरगुजा, नरेश चौहान सारंगढ, ज्ञानेश तिवारी, गोविन्द तिवारी गरियाबंद, अन्य जिलों से आये पत्रकरो ने सम्बोधित किया और सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने कहा।
यह पत्रकारों की माँगा
सरगुजा संभाग में इक_ा हुए पत्रकारों ने छत्तीसगढ़ सरकार से अपनी जायज मांगों को रखा, जिसने पहला मांग था पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो, छत्तीसगढ़ में फर्जी एफआईआर पत्रकारों पर बंद हो, वर्तमान में जो पत्रकार पर फर्जी एफआईआर साजिश के तहत हुए हैं उन्हें जेल से निशर्त रिहा किया जाए, पत्रकारों का शोषण बंद हो। इसलिए सीएम भूपेश बघेल से प्रदेश के पत्रकार निवेदन कर रहे हैं कि अपने वादे को निभाए। अम्बिकापुर के धरना एवं जेल भरो आंदोलन में प्रदेश के तीन सौ से अधिक पत्रकरो ने पहुच कर समर्थन दिया आगे होने वाले विधानसभा सत्र के पहले राजधानी में होने वाले आंदोलन में इससे अधिक संख्या में पत्रकार के साथ राजधानी पहुच हल्ला बोलेगे।
पत्रकारों के समर्थन में भाजपा,गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सहित कई
समाजसेवी संगठन हुए शामिल

सरगुजा जिले अंबिकापुर में गांधी चौक में पूरे प्रदेश के पत्रकार व अखिल भारतीय विद्या परिषद मंच खुलकर समर्थन में आए, गोड़वाना गणतंत्र पार्टी के संभागीय अध्यक्ष जय नाथ केराम ने भी खुलकर समर्थन दिया। वही भाजपा के दिग्गज नेता राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, नेता आलोक दुबे, पूर्व सांसद कमलभान सिंह, अखिलेश सोनी, नेता समाजसेवी सीताराम भास्कर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य इन्होंने भी खुलकर पत्रकारों का समर्थन किया, पत्रकारों की जायज मांगों पर सरकार को चेताया कि पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है वो सही नहीं है भाजपा के कद्दावर नेता रामविचार नेताम ने पत्रकारों का समर्थन करते हुए राज्यसभा संसद में भी आवाज उठाएंगे और छत्तीसगढ़ के विधानसभा में भी भाजपा के नेता सरकार को घेरने काम करेंगे और प्रश्न करेंगे पत्रकार देश के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ है पत्रकारों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए और पत्रकारों को सभी जायज मांगों को सरकार को माननी चाहिए जिन्होंने अपने घोषणापत्र में वादा किए थे कि हम पत्रकार सुरक्षा लागू करेंगे उल्टा पत्रकारों पर फर्जी एफआईआर रोजाना हो रहा है।
क्या इस समय की पत्रकारिता कठिन
दौर से गुजर रही

इस समय पत्रकारिता का दौर काफी कठिन दौर माने जाने लगा है इसकी वजह यह है कि एक बार फिर पत्रकारिता पुराने जमाने की तरह दोबारा उसी लय में लौटने लगी पत्रकारों में सच लिखने व बोलने की हिम्मत आने लगी है, पर सच लिखने व बोलना में उनके सामने परेशानियां भी उतनी ही तेजी से आ रही जान जोखिम में है परिवार परेशान हैं फिर भी सच तो लिखना है डर भी अंदर है फिर भी सच तो लिखना पर सच लिखने के लिए सुरक्षा नहीं मिलेगी एफआईआर दर्ज होंगे या तो इसे पुरस्कार समझा जाए या फिर पावर व पैसे वालों का जलवा, वह चाहे तो कुछ भी करा सकते हैं पर खुद सच्चाई को स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि सच्चाई स्वीकार करना उनके लिए कठिन व मुश्किल है। पर पत्रकारिता के क्षेत्र में यह भी उतना ही सच है की पत्रकार का दुश्मन पत्रकार ही है क्यों इस समय निष्पक्ष पत्रकार को दिक्कत समाचार के व्यापारी पत्रकारों से ज्यादा है इसकी वजह यह है कि यदि वह भी निष्पक्ष हो जाएंगे तो उनके समाचार के व्यापार में नुकसान होगा साथ ही उन पत्रकारों को भी डर है जो मंत्रियों विधायकों के शिल्पा सलाहकार हैं क्योंकि उनसे उनकी घनिष्ठता निष्पक्ष समाचार लिखने में उनके आड़े आती है पर यदि वह निष्पक्ष पत्रकार के साथ खड़ा होगा तो मंत्री विधायकों से उनके संबंध खराब हो जाएंगे, इसलिए वह मंत्री विधायकों से संबंध ना खराब कर के अपने बिरादरी के पीठ के पीछे छुरा भोंकने का काम बखूबी करते हैं जो आज के परिवेश में देखा जा सकता है।
पत्रकारिता से जुड़े कुछ सवाल
क्या पत्रकारो पर झूठा एफआईआर दर्ज करा आदतन अपराधी बनाना चाहते है?
क्या सत्ता दीमक बन लोकतंत्र के चौथा स्तंभ को खोखला कर रही है ताकि वह गिर जाए?
पत्रकारों पर लगातार दर्ज होते एफआईआर से पत्रकार सच मे न बन जाएं अपराधी?
निष्पक्षता प्रकाशित करने वाले पत्रकारों पर लगातार क्यों दर्ज हो रहे एफआईआर?
लगातार क्यों पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज होते आंकड़ों में हो रही वृद्धि?
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलने पूरी व्यवस्था क्यों हो रही एकजुट?
क्या निष्पक्ष पत्रकारिता करना जुर्म करने जैसा, चापलूसी करने वाले पत्रकार के मजे?


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