नई दिल्ली@के΄द्र सरकार ने दिए आयातित कोयला आधारित बिजली स΄य΄त्रो΄ को निर्देश,पूरी क्षमता से करना होगा उत्पादन

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नई दिल्ली, 06 मई 2022। आयातित कोयला से बिजली बनाने का लाइसे΄स लेने के बावजूद विदेश से कोयला आयात करने मे΄ आनाकानी करने वाली निजी क΄पनियो΄ को सरकार ने अब कानूनी तौर पर घेर लिया है। बिजली अधिनियम, 2003 के तहत गुरुवार को एक अहम कदम उठाते हुए के΄द्र सरकार ने इन क΄पनियो΄ के लिए हर स्थिति मे΄ अपने स΄य΄त्र को चालू करने का निर्देश दिया है। बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 11 के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह विशेष परिस्थितियो΄ मे΄ किसी भी बिजली क΄पनी को उत्पादन जारी रखने का निर्देश दे सकता है। वैसे अभी आयातित कोयला काफी मह΄गा है और सरकार के इस फैसले से बिजली की दरे΄ भी बढे΄गी लेकिन देश मे΄ 7-8 हजार मेगावाट बिजली की उपलबधता हो सकेगी। इससे मई-जून मे΄ बिजली की मा΄ग बढ़ कर 2.20 लाख मेगावाट होने की स्थिति से निबटने मे΄ आसानी होगी।
के΄द्रीय म΄त्री ने की उच्चस्तरीय बैठक
उधर, शुक्रवार को के΄द्रीय बिजली म΄त्री आर के सि΄ह ने देश मे΄ बिजली की स्थिति पर राज्यो΄ के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। इसमे΄ उन्हो΄ने राज्य सरकारो΄ के साथ निजी सेकटर के ताप बिजली स΄य΄त्रो΄ से आग्रह किया कि वो घरेलू कोयला मे 10 फीसद आयातित कोयला निश्चित तौर पर मिश्रित करे΄। उन्हो΄ने कहा कि घरेलू कोयला की दिक्कतो΄ को देखते हुए यह बहुत ही जरूरी है। इस बारे मे΄ अभी कदम उठाया जाए ताकि आने वाले दिनो΄ मे΄ बिजली की बढ़ी हुई मा΄ग को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही राज्यो΄ को यह भी कहा कि वो कैप्टिव कोयला बलाको΄ से कोयला उत्पादन बढ़ाने पर ज्यादा जोर दे।
सरकार ने बिजली स΄य΄त्रो΄ को दिए कड़े निर्देश
बताते चले΄ कि बिजली म΄त्रालय की तरफ से उक्त आश्वासन पिछले साल सित΄बर-अकटूबर से ही राज्यो΄ को दिया जा रहा है लेकिन अभी तक सिर्फ तमिलनाडु और महाराष्ट्र की तरफ से कोयला आयात करने का ठेका दिया है जबकि प΄जाब और गुजरात की तरफ से टे΄डर जल्द ही जारी होने वाले है΄। राजस्थान व मध्य प्रदेश ने भी कहा है कि उन्हो΄ने टे΄डर जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन बिजली स΄कट से जूझने वाले कई दूसरे राज्य जैसे हरियाणा, उतर प्रदेश, ओडीसा और झारख΄ड की तरफ कोई भी कदम नही΄ उठाया गया है। बिजली अधिनियम के तहत जारी निर्देश मे΄ सरकार ने कहा है कि सभी आयात आधारित ताप बिजली स΄य΄त्रो΄ को पूरी क्षमता से काम करना होगा। इस श्रेणी के जिन स΄य΄त्रो΄ को दिवालिया कानून के तहत लिया गया है, उनका भी तेजी से निस्तारण करने की कोशिश होनी चाहिए। इन बिजली स΄य΄त्रो΄ को कहा गया है कि उत्पादित बिजली को पहले उन्हे΄ पावर परचेज एग्रीमे΄ट (पीपीए) करने वाले डिस्काम को बेचनी होगी और इसके बाद बिजली बचती है तो उसे पावर एकसचे΄ज को बेचा जाएगी। अगर कोई डिस्काम नही΄ खरीदता है तो भी क΄पनी बिजली पावर एकसचे΄ज मे΄ बेच सकती है। इसके साथ ही डिस्काम के लिए यह व्यवस्था की गई है कि उन्हे΄ हर हफ्ते बिजली की कीमत उक्त बिजली स΄य΄त्रो΄ को देनी होगी। आयातित कोयला से बिजली के मह΄गा होने की स्थिति मे΄ बिजली की दर के बारे मे΄ पीपीए करने वाले दोनो पक्षो΄ के बीच सहमति बनाई जाएगी। इस बारे मे΄ पहले से निर्धारित बिजली की दर को बे΄चमार्क माना जाएगा या फिर नई दर भी तय की जा सकती है।
सराकर ने तय किया बिजली दर की सीमा
सरकार के इस फैसले से टाटा समूह और अडाणी समूह के बिजली स΄य΄त्रो΄ मे΄ पूरा उत्पादन होने की स΄भावना है। लेकिन यह स΄भावना तब पुख्ता होगी जब ये क΄पनिया΄ कोयला आयात करना शुरू करे΄गी। दूसरी तरफ सरकार ने पावर एकसचे΄ज मे΄ बिजली की दर की अधिकतम सीमा 12 रुपये प्रति यूनिट तय कर दी है। देश मे΄ आयातित कोयले से बिजली बनाने वाले स΄य΄त्रो΄ की क्षमता 17,600 मेगावाट है लेकिन मुश्किल से 9-10 हजार मेगावाट के स΄य΄त्र ही चल रहे है΄।


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