बैकुण्ठपुर@पाइप लाइन के टोटियों में कैसे पहुंचेगा पानी?

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  • बिना पानी की व्यवस्था किए पाइपलाइन बिछा लिए अब पानी टोटियों में कैसे आए पानी?
  • टोटियों में पानी आए चाहे मत आए पाइपलाइन तो बिछ गई भुगतान तो करना ही है।
  • केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना जल जीवन मिशन की नहीं हो रही सही मॉनिटरिंग।
  • निर्माण कार्यो पर लगातार उठ रहे सवाल ,जाच में स्कूलों में किए गए काम की गुणवत्ता की खुली पोल।
  • योजनाएं तो आती हैं और अच्छी भी होती है पर योजनाओं को देखने वाले जिम्मेदार बिना सर पाओं के होते हैं-अरविंद सिंह
  • आज जिले में इस विभाग के मंत्री भी मौजूद होंगे पर क्या सुध लेंगे?


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 01 मई 2022 (घटती-घटना)। जिले के प्रत्येक गांव का संपूर्ण विकास करने के लिए सरकार एक के बाद एक नई योजना ला रही है। जिसके क्रियान्वयन पर करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है। लेकिन इन योजनाओं का प्रतिफल आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन स्कीम की। जिसका उद्देश्य हर नागरिक को उसके घर तक पेयजल पहुंचाना है। जिसमें सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी भी शामिल हैं। इस योजना के तहत अब तक किए गए काम का जो रिजल्ट सामने आया है। वह काफी निराशाजनक है, इस योजना के तहत निर्माण कार्य पर भारी भरकम बजट तो खर्च कर दिया गया है लेकिन उसकी गुणवत्ता और अपूर्ण कार्य की वजह से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
मिलिजानकारी के अनुसार जाच टीम के अधिकारी ने बैकुंठपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत चिरगुड़ा में कार्य की गुडवत्ता को लेकर संबंधित पीएचई विभाग के ठेकेदार को फटकार भी लगाई किन्तु स्तिथि अब भी जस की तस हैं। वही सोलर टंकी व पाईप लाइन लगने के पश्चात भी ग्राम के सभी घरों में पानी नही पहुँच पा रहे है फिर भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी अंजान हैं! वही दूसरी और जल जीवन मिशन के तहत कोरिया जिले में 1396 शासकीय प्राथमिक/ मीडिल स्कूल व 1502 आंगनबाड़ी भवनों में बच्चो को साफ पानी उपलब्ध कराने जल जीवन मिशन योजना के तहत स्कूलों में एक लाख 36 हजार व आंगनबाड़ी भवन में एक लाख 6 हजार रुपये की योजना तैयार कर स्वीकृति हेतु भेजा गया जहा पूर्व में यह कार्य पीएचई विभाग के द्वारा किया जाना था, किंतु जिले के उच्च अधिकारी ने इन कार्यो को जल्द पूरा करने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाने का निर्देश दे दिया, किन्तु अब ग्राम पंचायत के अधिकारी ही इस योजना को मटिया मेट करने में जुटे हैं जहा कई ग्राम पंचायत में स्कूलों व आँगनबॉडी में यह कार्य ठेका में ठेकेदार को दे दिया गया तो वही कुछ ग्राम पंचायत में तो बिना स्वीकृति ही कुछ कार्य पूर्ण भी करा दिए गया, साथ ही कुछ ग्राम पंचायतों में तो अधूरे कार्य को भी पूर्ण बता अब मूल्यांकन करने की तैयारी हैं जब कि यह मामला बैकुंठपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत चिरगुड़ा में सामने आ चुका हैं वही जाँच में आये अधिकारी को भी पंचायत के सरपंच व पंचों ने लिखित में कार्य मे ठेकेदारी होने व गुडवत्ता को लेकर शिकायत की जिससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि जिले के अन्य स्थानों में इस योजना का क्या हाल होगा जब कि जिले के कुछ ग्रामीण का कहना है की कुछ स्थानों में तो नल टोटी ही गायब हैं साथ ही स्कूलों में पेयजल के लिए जो इन्फ्रा स्ट्रक्चर बनाया गया है वह उपयोगविहीन होकर क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच रहा है।
जल जीवन मिशन स्कीम की शुरूआत प्रधानमंत्री
ने 15 अगस्त 2019 को की थी

जानकारी के मुताबिक जल जीवन मिशन स्कीम की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को की थी। इस योजना को लागू करने के पीछे की वजह बताते हुए कहा था कि आज भी देश में लगभग 50 प्रतिशत ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां अभी भी लोगों को पानी की समस्या है। उन क्षेत्रों में पीने के पानी को पहुंचाने के लिए ही जल जीवन मिशन योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत ही कोरिया जिले के ऐसे ग्राम, सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी चिन्हित गिए थे, योजना के तहत ठेकेदार द्वारा स्कूल परिसर में पेयजल के लिए नया स्ट्रक्चर बनाया गया। पानी के लिए एक या दो टंकी रखकर पाइप लाइन के जरिए नल कनेक्शन जोड़े गए, बेसिन तक लगाई गईं, यह सब काम तो कर दिया गया। लेकिन पेयजल की समस्या में जो मूल जड़ थी उसका निदान नहीं निकाला गया। यही कारण रहा कि यह नई व्यवस्था उपयोगविहीन होकर रह गई है।
यह मुख्य कमियां
स्कूलों में टोंटी से पानी की व्यवस्था न होने के कारण ही टॉयलेट का उपयोग नहीं हो पा रहा। उनकी सफाई नियमित नहीं हो पा रही। बिना पानी के शौचालय भी उपयोगविहीन हो गए हैं। पानी निकासी की व्यवस्था भी नही किया गया, कुछ भवनों में पाईप लगने के बाद प्लास्टर भी नही किया गया, वही जिम्मेदार अधिकारी के समय पर मॉनिटरिंग नही होने से ठेकेदार भी कार्य की गुडवत्ता को ध्यान न देते हुए स्टीमेट से हटकर सामग्री लगा दिए, वही अधूरे कार्य मे अब पूरे स्वीकृति राशि की मांग कर रहे जिससे अब पंचायतो में इस भुगतान को लेकर सरपंच /पंच व सचिव में कुछ स्थानों में विवाद बना हुआ है जब कि जिले में कुछ स्थानों में सत्यापन में कुछ अधिकारी ने लगभग 70 से 80 हजार रुपये ही व्यय होना बता रहे ऐसे में पूरा भुगतान होने पर शासकीय राशि मे बड़ा गड़बड़ झाला होने की संभावना हैं।
गुणवत्ता से आम जनता संतुष्ट नहीं है
जल जीवन मिशन के तहत जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत में काम चल रहा है। लेकिन इसके काम की गुणवत्ता से आम जनता संतुष्ट नहीं है। कई बार स्थानीय ग्रामीण जनसुनवाई के माध्यम से इसकी शिकायत कर चुके हैं। जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों को मौके पर जाकर निरीक्षण करने के निर्देश दिए। अधिकारी मौके पर पहुंचे भी और ठेकेदार को सही काम करने की हिदायद भी दी। लेकिन बाद में इन कामों की मॉनीटरिंग ठीक से नहीं की गई। यही वजह हैं कि निर्माण कार्य पूर्ण होने पर कोई न कोई कमी सामने आ रही है।
कई स्कूल/आंगनबाड़ी
में क्या है स्थिति

जिले के कुछ स्कूलों व आंगनबाड़ी में पेयजल के लिए स्ट्रक्चर बना हुआ है। पाइप लाइन फिट कर टोंटियां लगा दी गईं हैं पर टोंटियां में पानी पहुचाने की व्यवस्था नहीं है। कुछ स्कूल परिसर में पहले हैंडपंप लगा था। जिसमे बाद में मोटर डालकर पानी खींचने का प्रयास किया। लेकिन कभी मोटर खराब तो कभी भू-जल स्तर नीचे चले जाने से समस्या बरकरार है। जल जीवन मिशन के तहत जो नई व्यवस्था की गई उसमें यह ध्यान नहीं रखा गया कि पानी कहां से आएगा। यही कारण है कि पेयजल के लिए जो नया स्ट्रक्चर बनाया गया, उसमें टोंटियां गायब हो गई। कुछ स्कूल परिसर में हैंडपंप के अलावा पेयजल का अन्य कोई साधन नहीं है। अधिकांश बच्चे घर से बॉटल लेकर आते हैं। गौर करने वाली बात है कि स्कूल परिसर में आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र भी है। इसके बावजूद पेयजल के लिए टोंटी व्यवस्था नहीं की गई है। यदि किसी बच्चे को पानी पीना है तो उसे खुद ही हैंडपंप चलाना होगा। जब यह हैंडपंप खराब हो जाता है तो कई-कई दिनों तक ठीक नहीं हो पाता।
योजनाएं तो आती हैं और अच्छी भी होती है पर योजनाओं को देखने वाले जिम्मेदार बिना सर-पाओं के होते हैं
समाजसेवी चिरगुडा निवासी अरविंद सिंह का कहना है की योजनाएं जब बनती है तो उसे बनाने के पीछे कई बुद्धिजीवियों का दिमाग होता है और उन बुद्धिजीवियों के दिमाग से योजना उत्पन्न होती है और वह योजना कारगर भी होती है पर कारगर बनाने के लिए अच्छी सोच रखनी पड़ती है, योजना अच्छी सोच के तहत उत्पन्न होती है, पर धरातल तक आते-आते धारा सही हो जाती है क्योंकि जिम्मेदार इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार बिना सर पाओं के हो जाते हैं यदि वह इस योजना को सही में अच्छी तरीके से चलाएं तो वह योजना कभी फेल नहीं होगी, योजना फेल होना सरकार की देन नहीं जिम्मेदार अधिकारियों की देन है पर सरकार भी इन पर ना जाने क्यों मेहरबानी बरसती है और इन पर कार्यवाही नहीं करती।


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