- बिना तकनीकी स्वीकृति ठेके में शुरू है जल जीवन मिशन योजना का रनिंग वाटर कार्य।
- विद्यालय व आंगनबाड़ड़ी केंद्रों में आधा कार्य पूर्ण होने के बाद तकनीकि स्वीकृति लेने की तैयारी।
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,19 अप्रैल 2022(घटती-घटना)। केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना जल जीवन मिशन के तहत ग्राम पंचायत के शासकीय विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र व पंचायत भवनों में शुद्ध पेयजल स्रोत निर्मित करने के लिए पंचायत में पंद्रहवे वित्त के राशि से कार्य की स्वीकृति मिलने पर कार्य कराया जाना है किंतु कुछ पंचायत में बिना स्वीकृति ही कार्य पूर्ण कर लिया गया है जब कि शासन की जो मंशा थी उसे भी अब पंचायत के पदाधिकारियों के द्वारा पतीला लगाया जा रहा वही अब कागजो में कार्य पूर्ण हो चुके हैं किन्तु कार्य की स्वीकृति नही मिली हैं ऐसे में अब इस योजना में गड़बड़ी होने की आशंका हैं क्यो की स्टीमेट के अनुसार कार्य हुआ ही नही हैं वही कुछ पंचायतो में पुराने बोर में ही पंप लगा दिया गया है व बिल नए बोर के लगाने की तैयारी हैं जिससे अब ऐसे में इस योजना में भी बड़े गड़बड़झाले का अंदेशा सामने आ रहा है।जो कि मामला बैकुंठपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत चिरगुड़ा का हैं जहा प्रभारी ग्राम पंचायत के सचिव ने पूर्व सरपंच के अविस्वास प्रस्ताव लगने पर इसे बिना स्वीकृति ही ठेके में दे दिया जिससे अब भुगतान को लेकर पंचायत प्रतिनिधियो में यह विवाद का कारण बना हुआ है।
मिली जानकारी अनुसार केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण जल जीवन मिशन के तहत सभी ग्राम पंचायत के आंगन बाड़ी व विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए शुद्ध पेयजल स्रोत निर्मित करने के लिए पंद्रहवे वित्त से राशि खर्च करने का निर्देश जिला प्रशासन से दिया गया है किन्तु कुछ पंचायत के ग्राम सचिव बिना ग्राम पंचायत के सरपंच को जानकारी दिए ही ठेके में कार्य करा लिए है वही कार्य भी अधूरा हैं किंतु कार्य को पूर्ण बताने का दबाव सरपंच पर बनाया जा रहा ऐसे में इस योजना में भी बड़े गड़बड़झाले का अंदेशा सामने आ रहा है। वहीं इस खुलासे से ग्राम पंचायत चिरगुड़ा में भी खलबली मचा हुआ है और ग्राम पंचायत सचिव कार्यालय पहुंच कर अधिकारी के दबाव में कार्य पूर्ण करने का हवाला देते हुए अपनी सफाइयां पेश करते नजर आई।
क्या हैं हालात ग्राम पंचायत चिरगुड़ड़ा का
ग्राम पंचायत के विद्यालय व आंगनबाड़ी में पेयजल व्यवस्था के लिए जल जीवन मिशन के तहत रनिंग वाटर कार्य के लिए एक लाख छत्तीस हजार की स्वीकृति एक कार्य के लिए किया जाना था जो कि ग्राम पंचायत में सात स्थानों में किया जाना था जिसकी स्वीकृति मिलने पर इस राशि की स्वीकृति जारी कर वहां बोरवेल खोद कर पानी की टंकी से जोड़ा जाना था व टोटी के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने के साथ पानी निकासी के साथ सोखता बनाया जाना था किंतु ग्राम पंचायत सचिव ने जल्दबाजी में कार्य पूरा करने में ठेके में कार्य दे दिया जो कि ठेकेदार के द्वारा कई कार्यो को अधूरा छोड़ दिया गया हैं वही ग्राम पंचायत सचिव कार्य को पूर्ण बता सरपंच को प्रस्ताव बना कार्य पूर्ण होने की सहमति देने को कह रही जिससे कार्य की बिना स्वीकृति ही कार्य के हो जाने से सरपंच व पंच इस कार्य का विरोध कर रहे जबकि पंचायत समिति द्वारा जिला प्रशाशन को भी सचिव के कार्यप्रणाली को लेकर शिकायत की गई है। ग्रामीणों के हाथ जब यह सूची लगते ही ग्रामीणों में नाराजगी पैदा हो गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण, युवा विद्यालय में जमा हो गए और विद्यालय के प्रधानाध्यापक से इस सम्बंध में जानकारी मांगी तो उसने बताया कि विद्यालय में तो हमने कोई कार्य नही कराया हैं यह कार्य ग्राम पंचायत सचिव ने करवाया है वही बेहतर बता पाएंगे कि कार्य की लागत क्या है क्यो की जो राशि बताया जा रहा उतना खर्च होना संभव नही। मामले में एक ओर बड़ा खेल सामने आ रहा है कि सभी सात विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों में स्वीकृत राशि भी एक लाख छत्तीस हजार है। खर्च की गई राशि भी उतनी ही है। ऐसे में बड़ा संदेह यह है कि योजना में बड़ा खेल हुआ है और सिर्फ आंकड़ेे मिला दिए गए हैं, जबकि वास्तविक खर्च हर आंगनबाड़ी व विद्यालय की परिस्थिति और हालात के हिसाब से अलग-अलग आता है।
घरों से ही कर लेते हैं खाना पूर्ति
ग्राम पंचायतों के नागरिकों का आरोप है कि ग्राम पंचायत की सचिव कार्यालय पहुंचते ही नहीं हैं, बल्कि घरों में बैठकर ही निर्माण कार्यो की समीक्षा और रिपोर्ट बना लेते हैं। ऐसे में ग्राम पंचायतों का कोई औचित्य ही नहीं बचता, न ही ग्राम स्वराज्य की अवधारणा की ही प्रतिपूर्ति हो पा रही है। उप सरपंच नारायण सिंह का कहना है कि ग्राम पंचायत ने विद्यालय व आंगनबाड़ी में कोई कार्य नहीं करवाया है न ही कोई भुगतान लिया है न ही भुगतान दिया गया हैं। जो कुछ भी हुआ है, वह पंचायत सचिव स्तर पर हुआ होगा, वही बेहतर बता पाएंगे।