अम्बिकापुर,06 अप्रैल 2022 (घटती-घटना)। कांचहि बांस के बहंगिया जैसे कर्णप्रिय गीतों के साथ चैती छठ के दूसरे दिन छठ व्रतियों ने बुधवार को खरना कर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया। व्रतियों ने मिट्टी के बनाए चूल्हे व आम की लकड़ी से खरना का प्रसाद बनाया। महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। चैत मास की पंचमी को नहाय-खाय के अगले दिन खरना मनाया जाता है। छठ व्रतियों को इस दिन का विशेष इंतजार रहता है। लोक आस्था के महापर्व मैं करना पर्व की विशेष महता मानी जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और रात में रसिया (खीर) का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो चुका। गुरुवार को पहला अघ्र्य डूबते सूर्य को देंगे और शुक्रवार को सुबह का उगते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिनों तक चलने वाला महा पूर्व संपन्न हो जाएगा।छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है। व्रतियों द्वारा नहाय खाय के दिन ही पूरे घर को पवित्र कर लिया जाता है। अगले दिन खरना के लिए तैयारियां शुरू हो जाती हैं। खरना में व्रतियों द्वारा सुबह में स्नान करके भगवान की पूजा की जाती है पूरे दिन उपवास होने के साथ शाम में मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से खीर बनाई जाती है।
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