बैकुण्ठपुर@आखिर क्यों कोरिया पुलिस करती है मुंह देखी कार्यवाही?

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  • गंभीर धाराओं के तहत रसूखदार पर मामला पंजीबद्ध होने के बावजूद क्यों गिरफ्तारी में छूट रहा पसीना।
  • गंभीर मामलों में अन्य व्यक्तियों की तत्काल हो जाती है गिरफ्तारी?
  • राजनीतिक इशारे पर काम कर रही है क्या कोरिया पुलिस?
  • मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी को अपराध पंजीबद्ध करने में लगा 15 दिन आरोपी को पकडऩे के लिए ना जाने लगेंगे कितने महीने?
  • क्या आरोपी थाने से ही दोष मुक्त होगे और प्रकरण खात्मा/खारिजी किया जाएगा?
  • फर्जी एनओसी मामले में गंभीर धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध होने के बावजूद पुलिस गिरफ्तारी के लिए देख रही मुहूर्त।


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 29 मार्च 2022 (घटती-घटना)। पुलिस महकमा ऐसे ही बदनाम नहीं होता उसकी बदनामी के पीछे की वजह कुछ पुकिसकर्मी स्वयं होते हैं क्योंकि उनकी मुंह देखी कार्यवाही पूरे विभाग की बदनामी की मुख्य वजह होती है, पुलिस निष्पक्ष होकर काम करना बिल्कुल नहीं चाहती पक्षपात में काम करना कुछ पुलिसकर्मियों की नियत होती है, यही वजह है कि अपराध पंजीबद्ध होते हैं पर अपराध पंजीबद्ध होने के बाद अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी तत्काल हो जाती है और पुलिस अपना पीठ भी थपथपा लेती है पर जैसे ही मामला किसी रसूखदार या सत्ता पक्ष या विपक्ष के व्यक्ति से जुड़ी होती है तो उसकी गिरफ्तारी में पुलिस के पसीने छूट जाते हैं, कुछ ऐसा ही मामला है जिले के सबसे बड़े थाना मनेंद्रगढ़ की है जहां के थाना प्रभारी लंबे समय से जमे हुए हैं और सभी से मधुर संबंध निभा रहे हैं यही वजह है कि इनकी कार्यवाही भी पक्षपात व मुंह देखी होती है फर्जी एनओसी तैयार कर गाड़ी बेचने के मामले में रिंकेश खन्ना की गिरफ्तारी को लेकर पूरे शहर में इस बात की चर्चा है कि आरोपी खुलेआम घूम रहा है पर पुलिस अपने 60 दिन की समय की दुहाई देकर दस्तावेज जुटाने की बात कह रही है, जबकि सारे दस्तावेज उसके पास फाइनेंस कंपनी द्वारा उपलब्ध करा दिए गए हैं फिर भी समय लगा रहा है यह ताकि उक्त वाहन की जप्ती तक नहीं कर पाए है, पर लगता है थान प्रभारी साहब का अभी मन कतई भी नहीं है गिरफ्तारी करने का क्योंकि रिंकेश खन्ना को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है अब थाना प्रभारी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह उसकी गिरफ्तारी कर सकें क्योंकि मामला रसूखदार से जुड़ा है और वह रसूखदारों पर कार्यवाही से परहेज करते हैं, वह तो सिर्फ गिरफ्तारी उन्ही की कर सकते हैं जिसके पीछे कोई आने वाला ना हो या फिर मालदार या व्यक्ति रसूखदार न हो। वैसे अब कब तक गिरफ्तारी होती है रिंकेश खन्ना की या नहीं होती है यह मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी ही बता सकेंगे।
ज्ञात होकी वाहन की फर्ज़़ी एनओसी तैयार कर ज़िला परिवहन अधिकारी बैकुण्ठपुर के समक्ष फर्ज़़ी दस्तावेज पेश कर, बेचे गए वाहन मामले में न्यायालय के आदेश के बाद भी थाना प्रभारी अपराध पंजीबद्ध करने में घबरा रहे थे लगातार खबर प्रकाशन के बाद जैसे तैसे अपराध पंजीबद्ध कर लिया पर अब आरोपी को गिरफ्तार कब करेंगे यह सवाल उठने लगा है? वहीं आरोपी खुलेआम घूम रहा है पर मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी की आरोपी को गिरफ्तार करने की मंशा नहीं है ऐसा स्पस्ट नजर भी आ रहा है, क्योंकि आरोपी खुलेआम घूम देखा जा रहा है, ऐसे में सवाल ये उठता है की एक पत्रकार को पकडऩे के लिए दूसरे जिले पहुंच गए थे मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी पर क्या खुद अपने थाना के अंतर्गत जिस आरोपी पर मामला पंजीबद्ध किया है क्या उसे गिरफ्तार कर पाएंगे या फिर उसे फरार होने का मौका देंगे।
एफआईआर दर्ज पर गिरफ़्तारी कब
मामले में मनेंद्रगढ़ न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश के आदेश के पश्चात मनेंद्रगढ़ पुलिस ने रिंकेश खन्ना के विरुद्ध भादवि 1860 की धारा 420, 468, 471 के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया है और अब आरोपी की गिरफ्तारी की जानी शेष है। अब मामले में आरोपी की गिरफ्तारी कब होगी यह आने वाले समय मे पता चलेगा लेकिन न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस को अपराध पंजीबद्ध करना पड़ा जो फायनेंस कंपनी के लिए राहत का विषय रही। न्यायालय के आदेश को लेकर खबर प्रकाशित होने के बाद थाना प्रभारी बड़ी हिम्मत जुटाकर मामला पंजीबद्ध तो कर पाए पर अब भी आरोपी की गिरफ्तारी करने से बचना चाह रहें है, सूत्रों की माने तो थाना प्रभारी आरोपी को गिरफ्तार करना नहीं चाह रहे हैं। अभी पुलिस तक उक्त वाहन तक भी नहीं पहुच सकी है।
क्या खुलेआम घूम रहे आरोपी को गिरफ्तार कर पाएगी मनेंद्रगढ़ पुलिस
विशेष सूत्रों की माने तो जिस आरोपी के ऊपर गंभीर धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध हो गया है वह शनिवार को एक मनेंद्रगढ़ में आयोजित पंजाबी गाने के कार्यक्रम में देखे गए, जिस कार्यक्रम में कोरिया पुलिस के उच्च अधिकारी व खुद थाना प्रभारी सहित स्थनीय विधायक व जनप्रतिनिधि के साथ तमाम मीडिया कर्मी भी उपस्थित थे, मनेंद्रगढ़ में यह चर्चा का विषय है कि पुलिस खुले आम घूम रहे आरोपी को पकडऩे दिलचस्पी नहीं दिखा रही है जिसे लेकर थाना प्रभारी व उच्च अधिकारी की आलोचना भी हो रही है। यदि थाना प्रभारी जाँच के नाम पर अपना दस्तावेज साक्ष्य जुटाए रहे हैं और दस्तावेज प्रस्तुत होना का इंतजार कर रहे है उसके बाद गिरफ्तारी की जाएगी। ऐसा ही जाँच सब के साथ होनी चाही ताकि लोग खुले आम घुम सके।
समाचार प्रकाशन मामले में पत्रकार पर एक दिन में एफआईआर दर्ज 5 दिन बाद पुलिस पकडऩे टूट पड़ी थी
ज्ञात हो कि 2 फरवरी को पुलिस कर्मियों की आपसी बातचीत का चैट एक ग्रुप में वायरल हुआ था जिसे पर पत्रकार ने खबर प्रकाशित कर 3 फरवरी 2022 को उक्त मामला सबके संज्ञान में लाया था और मामले को संज्ञान में लाने वाले पत्रकार पर ही 3 फरवरी को पुलिस स्वयं प्रार्थी बन कर अपराध पंजीबद्ध कर लेती है और 5 दिन बाद पत्रकार को पकडऩे के लिए भारी संख्या में पुलिस दूसरे जिले जाकर टूट पड़ती है और वही कोरिया जिले में ऐसे कई मामले हैं जिसमें गंभीर धाराओं के तहत रसूखदार के ऊपर मामला पंजीबद्ध है पर पुलिस में दम नहीं कि जाकर पकड़ सके, क्योंकि उन्हें पकडऩे में पुलिस वालों के पसीने छूटते है। वैसे कोरिया पुलिस बिना अपराध एक पत्रकार को लेकर लगातार गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है जबकि पत्रकार पर जिस समुदाय के विरुद्ध गलत लिखने का आरोप लगाया गया है वह समाज भी पत्रकार को सचेतक मान रहा है न कि दोषी।

थाना प्रभारी से कुछ सवाल
सवाल- न्यायालय के आदेश अनुसार 21 मार्च तक जांच कर न्यायालय को सूचित करना था क्या किया गया?
सवाल- क्या जांच पूरी हो गई आदि पूरी हो गई यदि हां तो जाँच में क्या पाया गया? क्या रिंकेश खन्ना पर यह मामला बनता है या नहीं, क्या उक्त वाहन जप्त किया गया?
सवाल- क्या जाँच में देरी कर के थाना प्रभारी आरोपी को उच्च न्यायलय जाने का समय देकर सहयोग कर रहे?
सवाल- क्या 60 दिन तक जाँच करते रहेगे तबतक क्या गिरफ्तारी नहीं होगी? क्या कहता नियम?
सवाल- थाना प्रभारी प्रार्थी के शिकयात पर क्यों एफआईआर दर्ज नहीं किए थे? प्रार्थी ने जब न्यायलय का शरण लिया तब न्यायलय आदेश पर एफआईआर दर्ज हुआ?
सवाल- फाइनेंस कंपनी प्रार्थी बन कर आरोपी पर काफी बड़ा आरोप लगाए और दस्तावेज भी प्रस्तुत किए जिस आधार पे गंभीर धारे के तहत मामला पंजीबद्ध हुआ पर प्रभारी साहब क्यों नहीं कर रहे गिरफ्तार?


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