नई दिल्ली,24 मार्च 2022। कश्मीर घाटी मे΄ 1989-90 मे΄ हुए कश्मीरी प΄डितो΄ के नरस΄हार मामले की जा΄च सीबीआई या राष्ट्रीय जा΄च एजे΄सी (एनआईए) से कराने की मा΄ग को लेकर बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट मे΄ सुधारात्मक (यूरेटिव) याचिका दायर की गई। कश्मीरी प΄डितो΄ के स΄गठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ द्वारा दायर याचिका मे΄ वर्ष 2017 मे΄ पारित सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमे΄ नरस΄हार की जा΄च की मा΄ग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल 2017 को यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि याचिका मे΄ जो उदाहरण दिए गए है΄, वे वर्ष 1989-90 से स΄ब΄धित है΄ और तब से 27 साल से अधिक समय बीत चुका है΄। इसलिए कोई सार्थक उद्देश्य सामने नही΄ आ पाएगा यो΄कि देरी की वजह से साक्ष्य उपलध होने की स΄भावना नही΄ है। सुधारात्मक याचिका मे΄ दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस आत΄कवादियो΄ के खिलाफ अपराधो΄ की जा΄च करने और सैकड़ो΄ प्राथमिकी मे΄ कोई प्रगति करने मे΄ विफल रही है, लिहाजा इन सभी की जा΄च सीबीआई या एनआईए को सौ΄पी जानी चाहिए।
याचिका मे΄ 1989-90, 1997 और 1998 के दौरान कश्मीरी प΄डितो΄ की हत्या के लिए यासीन मलिक और फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, जावेद नालका और अन्य आत΄कवादियो΄ की जा΄च और अभियोजन की मा΄ग की गई है। 26 वर्ष बाद भी इन मामलो΄ की जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जा΄च नही΄ की गई है।
मामले जम्मू-कश्मीर से बाहर स्थाना΄तरित किए जाए΄
याचिका मे΄ अपील की गई है कि वर्ष 1989-90, 1997 और 1998 मे΄ कश्मीरी प΄डितो΄ की हत्या और अन्य स΄बद्ध अपराधो΄ के मामलो΄ की जा΄च सीबीआई या एनआईए जैसी स्वत΄त्र जा΄च एजे΄सी को स्थाना΄तरित कर दी जाए। याचिका मे΄ यह भी मा΄ग की गई है कि कश्मीरी प΄डितो΄ की हत्या से स΄ब΄धित सभी प्राथमिकी व मामलो΄ को जम्मू-कश्मीर राज्य से किसी अन्य राज्य मे΄ स्थाना΄तरित किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता स΄गठन का कहना है कि मामलो΄ को दिल्ली हस्ता΄तरित करना बेहतर होगा। स΄गठन का कहना है ।
कि मामले हस्ता΄तरित होने से गवाहो΄ की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी, जिससे गवाह स्वत΄त्र रूप से और निडर होकर जा΄च एजे΄सियो΄ और न्यायालयो΄ के सामने आ सके΄गे।
यासीन मलिक के मुकदमे का ट्रायल पूरा करने की भी अपील
साथ ही याचिका मे΄ 25 जनवरी 1990 की सुबह वायुसेना के चार अधिकारियो΄ की हत्या के मामले मे΄ यासीन मलिक के मुकदमे का ट्रायल पूरा करने की मा΄ग की गई है। इसके अलावा 1989-90 और उसके बाद के वषोर्΄ के दौरान कश्मीरी प΄डितो΄ की सामूहिक हत्याओ΄ और नरस΄हार की जा΄च के लिए एक स्वत΄त्र समिति या आयोग की नियुक्ति की मा΄ग की गई है। साथ ही कश्मीरी प΄डितो΄ की हत्याओ΄ की प्राथमिकी के गैर-अभियोजन के कारणो΄ की जा΄च की भी गुहार लगाई गई है। जा΄च अदालत की निगरानी मे΄ हो ताकि सैकड़ो΄ एफआईआर बिना किसी और देरी के अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहु΄च सके΄। सुधारात्मक याचिका शिकायतो΄ के निवारण के लिए उपलध अ΄तिम न्यायिक उपाय है और इस याचिका पर फैसला जजो΄ द्वारा चै΄बर मे΄ लिया जाता है।