माताओं ने निर्जला व्रत रख सुना जीऊतिया की कथा

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रामानुजगंज 29 सितम्बर 2021(घटती-घटना)। जीवित्पुत्रिका व्रत इसे जिउतिया या जितिया भी कहते हैं संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। यह व्रत हर साल अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया मनाया गया। आज कन्हर नदी के तट पर स्थित मां महामाया मंदिर में महिलाओं ने अपने पुत्र की दीर्घायु आरोग्य एवं सुखमय जीवन के लिए माताओं ने निर्जला व्रत रख पूजा अर्चना कर कथा श्रवण की। यह पर्व तीन दिनो तक मनाया जाता है
सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि और उन्नती के लिए निर्जला व्रत रखती हैं इसके बाद नवमी तिथि यानी अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है।

जितिया व्रत की पौराणिक कथा

जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से है युद्ध में पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज था सीने में बदले की भावना लिए वह पांडवों के शिविर में घुस गया शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला कहा जाता है कि वो सभी द्रौपदी की पांच संतानें थीं अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को पुन: जीवित कर दिया भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया तभी से संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए हर साल जितिया व्रत रखने की परंपरा है।


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