जन्म के बाद बेटी ने पहली बार देखा पिता का चेहरा
गाजियाबाद ,29 सितम्बर 2021 (ए) । आखों में आंसू, जूबां पे खामोशी और पहली बार 16 साल बाद एक टक देख रही बेटी अपने पिता को। ये तस्वीर बहुत कुछ कह रही है। आखिर क्या हुआ होगा। दरअसल बेटी अपने पिता का शव पहली बार चेहरा देखा वो भी मृत हालत। जब उसके पिता शहीद हुए, तब वह गर्भ में थी। गाजियाबाद के मुरादनगर के गांव हिसाली के रहने वाले जवान अमरीश त्यागी का शव 16 साल बाद बर्फ से दबा मिला। वह 23 अक्टूबर, 2005 में सियाचीन से लौटते समय उत्तराखंड के हरशील की खाई में गिर गए थे।
आपकों बता दें कि अमरीश त्यागी सेना में नायक के पद पर तैनात थे। 2005 सितंबर में सेना का 25 सदस्यीय दल ने हिमालय की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ (7075) पर तिरंगा फहराया था।
हादसे के बाद बिहार रेजिमेंट के जवान शव लेकर मंगलवार को हिसाली गांव पहुंचे। सैन्य सम्मान के नायक अमरीश त्यागी का अंतिम संस्कार किया गया। और इलाके के लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाएं। अंतिम विदाई में भीड़ के कारण मेरठ हाइवे पर 3 घंटे तक जाम भी रहा।
हिमालय की संतोपत चोटी (70-75) के पास आखिरी लोकेशन मिली थी। 16 साल पहले 24 अक्टूबर को आगरा से चोटी पर तिरंगा फहराने गए थे। अपनी पोस्ट पर लौटते समय 3 साथियों के साथ बर्फीली तूफान की वजह से लापता हो गए थे। उनके 3 साथियों के शव तो मिल गए थे, लेकिन अमरीश का पता नहीं चला था।
लेकिन काफी खोज बीन करने के बाद एक शव बरामद हुआ अमरीश त्यागी का निकला। सेना की बिहार रेजिमेंट के जवान मनोज कुमार, मंटू कुमार यादव, पराधी गणेश, संजय और चंदन कुमार गंगोत्री से शहीद अमरीश का शव लेकर मुरादनगर पहुंचे।
कौन है अमरीश त्यागी
और क्या है कहानी ?
अमरीश त्यागी वर्ष 1995-96 में मेरठ में सेना में भर्ती हुए थे। कई जगह तबादले के बाद 1999 में करगिल युद्ध के दौरान उनकी तैनाती लेह लद्दाख में हुई थी। अमरीश का हवाई जहाज से सबसे ज्यादा ऊंचाई से कूदने के मामले में जवान शहीद अमरीश त्यागी हिसाली गांव के सेना की ऑर्डिनेंस कोर में नायक थे।
जवान की दो शादियां हुई थी
जवान अमरीश त्यागी ने दो शादियां करी थी जिसमे पहले पत्नी की मौत हो गयी थी और दूसरी शादी में अमरीश ने एक बेटी को जन्म दिया और पहली पत्नी का बेटा है उसका नाम दीपक त्यागी है।