लापता ग्रामीण की ही थी क्रेशर में मिली लाश,डीएनए रिपोर्ट आने के बाद हुई पुष्टी
अम्बिकापुर, 24 फरवरी 2022(घटती-घटना)। अंबिकापुर मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित जिला बलरामपुर के ग्राम बरियो में डेढ़ वर्ष पूर्व हुई एक आदिवासी युवक की संदिग्ध अवस्था में मौत के मामले में अब छत्तीसगढ़ शासन के अनुसूचितजाति जनजाति आयोग ने संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है।
राजपुर थाना क्षेत्र के बरियों में 17 जून 2020 को क्रेशर में क्षतविक्षत लाश मिली थी। उसी समय से बरियों निवासी 38 वर्षीय शिवनारायण लापता था। पूरे मामले का खुलासा डेढ़ वर्ष बाद डीएनए रिपोर्ट आने के बाद हुआ है। डीएनए रिपोर्ट में शिवनारायण की ही लाश होने की पुष्टि हुई है। इधर शिवनारायण के परिजन ने क्रेशर संचालक पर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया है। परिजन ने बताया कि क्रेशर से सटी मृतक की दो एकड़ जमीन है। क्रेशर के डस्ट के कारण फसल नहीं हो पाती था। इसे लेकर मृतक और क्रेशर संचालक के बीच विवाद हुआ था, क्रेशर संचालक मृतक से जमीन दे देने का दबाव बना रहा था। लेकिन मृतक ने जमीन देने से इंकार कर दिया था। इस पर क्रेशर संचालक ने शिवनारायण को क्रेशर में डाल कर मार देने की बात कही थी। इसके एक सप्ताह बाद उसकी क्षतविक्षत लाश क्रेशर में मिली थी। मृतक की मां-पुत्री ने अनुसूचित जनजाति आयोग से पूरे मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है। वहीं परिजन ने पुलिस पर भी सवाल खड़े किए हैं। डीएनए रिपोर्ट आने के बाद भी अब तक हत्या का मामला दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस क्रेशरसंचालक को बचाने में लगी है। गुरुवार को अनुसूचित जनजाति के आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह के साथ मृतक की मां लक्ष्मनिया बाई व बेटी सुनीता ने अंबिकापुर सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता आयोजित कर पूरे मामले की जानकारी दी है। मृतक शिवनारायण की बेटी सुनीता ने पत्रवार्ता में बताया कि मेरे पिता हलवाई का काम करते थे। वह अक्सर बिना बताए कहीं दो-तीन दिनों तक काम के सिलसिले में अक्सर घर से बाहर रहते थे। 16 जून 2020 की देर रात को उन्हें कमरे में सोते देखा था। सुबह उठी तो घर का दरवाजा खुला था और मेरे पिता शिवनारायण नहीं थे। उनका मोबाइल भी कमरे में ही था। इसी बीच 17 जून 2020 को बरियों निवासी विनोद अग्रवाल के क्रेशर में एक व्यक्ति की क्षत-विक्षत लाश मिलने की जानकारी मिली थी। बरियों पुलिस द्वारा आनन-फानन में उक्त लाश को दफना दिया गया। पुलिस ने हम लोगों को मृतक का कपड़ा तक नहीं दिखाया कि पहचान की जा सके।
पुलिस कहती थी-मान लो तुम्हारे पिता की ही है लाश
मृतक की बेटी ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि घटना के बाद बरियों पुलिस अक्सर शाम को घर आती थी और कहती थी कि मान लो तुम्हारे ही पिता की लाश है और उसका क्रियाकर्म कर दो। इसके लिए कुछ पैसा भी क्रशर मालिक विनोद अग्रवाल से दिलवा देता हूं। परिजन इस बात पर तैयार नहीं हुए और घटना के तीन महीने बाद परिजन ने लाश की शिनाख्ती के लिए पुलिस से डीएनए टेस्ट की मांग की थी। पुलिस द्वारा मृतक की मां लक्ष्मनिया व बेटी सुनीता का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा था। डीएनए रिपोर्ट में मृतक की शिनाख्त शिवनारायण के रूप में ही हुई। रिपोर्ट आने पर बरियों पुलिस ने परिजन को जानकारी दी। इसके बाद परिजन ने उसका क्रियाकर्म किया।
पुलिस की घोर लापरवाही उजागर
इधर डीएनए रिपोर्ट में क्रेशर में मिली लाश की पहचान शिवनारायण के रूप में होने के बाद भी बरियों पुलिस ने अब तक इस मामले में हत्या का मामला दर्ज नहीं किया है। आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप का कहना है कि अनूसूचित जनजाति के लोगों के साथ अक्सर जमीन को लेकर मामले आ रहे हैं। जमीन को लेकर अनुसूचित जनजाति के लोगों की जानें भी जा रहीं हैं। डीएनए रिपोर्ट मैच करने के साथ ही पुलिस को हत्या का मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए थी।
परिजन ने क्रेशर मालिक पर लगाया हत्या का आरोप
डीएनए रिपोर्ट आने के बाद परिजन ने क्रेशर मालिक पर शिवनारायण की हत्या का आरोप लगाया है। मृतक की मां का कहना है कि बरियों में विनोद अग्रवाल का क्रेशर है। उसके क्रेशर से सटी हम लोगों की दो एकड़ जमीन है। लेकिन क्रेशर के डस्ट के कारण फसल नहीं हो पाती है। घटना से कुछ दिन पूर्व मेरा बेटा शिवनारायण ने क्रेशर मालिक विनोद अग्रवाल से घेरावा कर डस्ट रोकने की बात कही थी। इस बात को लेकर विनोद अग्रवाल गुस्से में था और कहा था कि डस्ट रोकने के लिए कोई उपाय नहीं करेंगे। ज्यादा परेशानी है तो सभी जमीन दे दो। मृतक ने पूरे मामले की जानकारी अपनी मां को दी थी। मां जमीन बेचने से इंकार कर दी थी। मृतक की मां का कहना है कि विनोद अग्रवाल ने मेरे बेटे की हत्या करा देने की धमकी दी थी और एक सप्ताह बाद उसकी हत्या करा दी है।
परिजन ने आयोग में की है शिकायत
अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने बताया कि मृतक के परिजन ने पूरे घटना की शिकयत आयोग में की है। बयान दर्ज किया गया है। परिजन ने पूरे मामले की जांच आयोग से कराने की कही है। पुलिस पर इनका विश्वास नहीं है। वहीं आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आए दिन आदिवासियों की जमीन का मामला सामने आ रहा है। जमीन के लिए आदिवासियों की जान तक ले ली जा रही है।