अम्बिकापुर@दबाव में 334 लोगों का पीओआर तक नहीं काटा वन विभाग

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भाजपा पार्षद ने पत्रकारवार्ता में दी जानकारी

अम्बिकापुर,18 फरवरी 2022(घटती-घटना)। सरगुजा प्रेस क्लब भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुए भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने कहा की महामाया पहाड़ में संरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत कक्ष क्रमांक-2581 एवं कक्ष क्रमांक-2582, करीब 900 एकड़ का वन संरक्षित वन क्षेत्र है। उनकी शिकायत पर वन विभाग के दो एसडीओ एवं तीन रेंजर के द्वारा वन भूमि की विस्तृत जांच कराई गई। इस संबंध में 22 पन्नों का जांच रिपोर्ट वनमंडलाधिकारी सरगुजा को पेश किया गया, जिसमें 468 व्यक्ति अतिक्रमणकारी पाए गए। आश्चर्य का विषय है कि जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है उस वार्ड के अल्पसंख्यक पार्षद ने आठ लोगों के संरक्षित वन क्षेत्र में राजीव आश्रय योजना का नियम विरूद्ध पट्टा दिलवा दिया है। इस पर जांच कमेटी ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है। उसी तरह जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट है कि उस समय के तत्कालिन वनमंडलाधिकारी मो. शाहीद द्वारा रिजर्व फारेस्ट कक्ष क्रमांक 2581 में झारखंड से आकर रिजर्व फारेस्ट में बसे 60 लोगों को 0 अप्रैल 2017 को वन अधिनियम की धारा 1927 की धारा 80 ए के तहत अंतिम बेदखली नोटिस जारी की गई, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि तत्कालीन डीएफओ ने एक वर्ग विशेष के प्रति लगाव दिखाया क्योंकि 60 में 56 एक विशेष वर्ग के थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया है। इसी प्रकार भारतीय वन अधिनियम 80 के तहत 2008 से वर्ष 2019 तक रिजर्व फारेस्ट कक्ष क्रमांक 2581 में 74 लोगों को धारा 80 के तहत नोटिस जारी की गई है, आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी प्रकार इस जांच रिपोर्ट में 334 अतिक्रमण करने वालों की सूची है, जिनके पास कोई भी वैध कागजात नहीं हंै और इनके विरुध्द वन अपराध (पी.ओ.आर.) भी पंजीबद्ध नहीं है। जांच प्रतिवेदन में यह तथ्य सामने आया है कि एक निजी शिक्षण संस्थान का मुख्य भवन एवं उसका ज्यादातर हिस्सा वनक्षेत्र के बाहर आता है, लेकिन एक किनारे की जमीन 18 डिसमिल जो शैक्षणिक संस्थान की सीमा में वन विभाग की है आती है, ये भी जांच का विषय है। पत्रकारों से चर्चा के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश मिश्रा भी उपस्थित थे।
गूगल मैप में दिख
रहा बड़े पैमाने पर हुआ अतिक्रमण

जांच समिति ने महामाया पहाड़ क्षेत्र के गूगल मैप को भी वर्ष वार निकलवाकर देखा, जिससे स्पष्ट होता है कि 13 दिसम्बर 2005 के समय पर्याप्त वन क्षेत्र था। गूगल मैप में साफ दिखता है कि वर्ष 2008 से 2020 के बीच बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में अतिक्रमण हुआ है। आलोक दुबे का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं विशेषकर वर्तमान विधायक, जिला अध्यक्ष एवं तत्कालीन सभापति के दबाव पर महामाया पहाड़ में नियम विरूद्ध लगभग 500 लोगों को वन अधिकार मान्यता पत्र वोट बैंक के चलते दे दिया गया, जिसकी बारीकी से जांच हो तो 400 लोगों के पट्टे अवैध मिलेंगे।
जांच रिपोर्ट के रिजर्व फारेस्ट 2581 में 108 वन अधिकार पत्र प्राप्त 108 वैध व्यक्तियों की सूची है। सूची के पृष्ठ क्रमांक 8 में 74 नंबर पर शेखर झारिया का नाम है, जो घासीदास वार्ड अंबिकापुर के पूर्व पार्षद हैं। इसी क्रम में 81 क्रमांक पर मो.इस्माल अंसारी हैं जो झारखंड के निवासी हैं। इसको भी वन अधिकार पत्र दे दिया गया है। आरोप है कि पूर्व डीएफओ मो.शाहीद एवं वर्तमान डीएफओ पंकज कमल दोनों की भूमि अतिक्रमण हटाने के मामल्ने में संदिग्ध है। ये कांग्रेस नेताओं के दबाव में वर्ष 2017 से 60 लोगों के विरुद्ध अंतिम बेदखली आदेश के बावजूद एक भी व्यक्ति का अतिक्रमण नहीं हटाए हैं। वोट बैंक की राजनीति के आगे महामाया पहाड़ की हरीतिमा को नष्ट करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि कलेक्टर सरगुजा को ज्ञापन के माध्यम से आगाह कराया गया है कि एक माह के अंदर महामाया पहाड़ से संपूर्ण अवैध अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो पार्टी जनांदोलन करेगी। उन्होंने व्यक्तिगत पूर्व एवं वर्तमान डीएफओ के विरूद्ध न्यायालय में प्रकरण दायर करने की चेतावनी दी है।


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