अंबिकापुर@आंकड़ों से हेराफेरी कर छत्तीसगढ़ को बदनाम कर रहे हैं नेताम

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कहा छत्तीसगढ़ कुपोषण खत्म करने में अव्वल,शिशु और बाल मृत्यु दर में भी आई कमी

अंबिकापुर,17 फ रवरी 2022(घटती-घटना)। जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने भाजपा के राज्य सभा सांसद की पत्रकार वार्ता पर पतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम आंकड़ों में हेराफेरी कर छत्तीसगढ़ को बदनाम कर रहे हैं।21-22 में शिशु और बाल मृत्युदर में उल्लेखनीय कमी आयी है।
2015-16 की अपेक्षा में नवजात एवं शिशु मृत्युदर में 23 एवं 18 प्रतिशत की कमी आई है। रमन सरकार के दौरान राज्य के 37.71 प्रतिशत बच्चे कुपोषित एवं 41 प्रतिशत महिलाये एनिमिया से पीड़ित थी। मुख्यमंत्री कुपोषण अभियान एवं मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक, मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान से कुपोषण एवं एनिमिया के मामले में 32 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है। सुपोषित बच्चो की संख्या में तीन साल में वृद्धि हुयी है। अधिनायकवादी मोदी सरकार में अपनी उपेक्षा के शिकार भाजपा के सांसद रामविचार नेताम अपने निकम्मेपन को छुपाने, मनगढ़ंत आंकड़े प्रस्तुत करके छत्तीसगढ़ में कुपोषण और बाल मृत्यु दर के संदर्भ में तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। कोरोना काल के बाद भी संख्या बढ़ी है लेकिन औसत कम हुआ है।2021-22 में नवजात एवम बाल मृत्यु दर में अभूतपूर्व कमी आयी है। विदित हो कि 2014 से 2018 तक केंद्र और छत्तीसगढ़ दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। उस दौरान केंद्र सरकार की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5(हृ॥स्नस्-5)के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्ष 2015-16 में नवजात मृत्यु दर 42.1 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2020-21 में घटकर 32.4 हो गई। इसी प्रकार शिशु मृत्युदर वर्ष 2015-16 में 54 प्रति हजार थी, जो घटकर 2020-21 में 44.3 पर आ गई है। केंद्र सरकार के ही आंकड़ों में 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर जो वर्ष 2015-16 में 64.3 प्रतिहजार थी जो 2020-21 में 50.4 प्रतिहजार पर आ गई है। इसी तरह कुपोषण के आंकड़ों में रमन सरकार के दौरान 2012 से 2018 के 7 सालों में केवल 16 प्रतिशत सुधार आया था। जबकि कांग्रेस की सरकार में केवल 2 वर्षों में 32 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से बाहर आए हैं।जनवरी 2019 में चिन्हित 433541 कुपोषित बच्चों में से 140556 बच्चे मई 2021 तक कुपोषण से मुक्त हुए। पूरी दुनिया में सुपोषण अभियान के इससे बेहतर कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में संस्थागत प्रसव में तेजी से बढ़ोतरी हुई है वर्ष 2015-16 में जहां 70.2 प्रतिशत था अब बढ़कर 85.7 प्रतिशत हो गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, रोजगार और आमजनता की समृद्धि के मामले में तेजी से स्थापित होते “छत्तीसगढ़ मॉडल” से डरे हुए भाजपा के सांसद मनगढ़ंत आंकड़े प्रस्तुत करके केवल मीडिया में बने रहने का प्रयास कर रहे हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम
जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद स्वस्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के अथक प्रयास से स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुए हैं।स्वस्थ्य मंत्री स्वयं शिशु मृत्यु दर और कम करने के कार्यो का सतत मोनिटरिंग कर रहे हैं।प्रदेश में 5 मेडिकल कालेज,21जिला अस्पतालों में सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट की स्थापना की गई है।संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के साथ साथ उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की व्यक्तिगत ट्रेकिंग कर प्रसव के लिये माइक्रो बर्थ प्लानिंग की जा रही है।इसके लिए प्रदेश में 25 मातृत्व एवं शिशु अस्पताल था 58 एफआरयू क्रियाशील है।स्वस्थ्य केंद्रों के उन्नयन, हमर अस्पताल,ब्लड बैंक की स्थापना से स्वस्थ्य सेवक विस्तार हुआ है। सुदूर आदिवासी अंचल में 356 मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से हाट बाजारों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है।अब तक 21 लाख 62 हजार से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हुए है।मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान से बस्तर में मलेरिया के मामलों में 55 प्रतिशत कमी आयी है।मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान से राज्य में मलेरिया परजीवी सूचकांक 5.31 से हटकर 0.76 रह गया है।छत्तीसगढ़ में विगत 3 वर्षों में हेल्थ का इंफ्रास्ट्रक्चर लगभग 240 प्रतिशत अर्थात् ढ़ाई गुना बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र स्वास्थ्य सेवाओं के के लिए उनके द्वारा अब तक क्या प्रयास किए गए।


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