अम्बिकापुर,13 फ रवरी 2022(घटती-घटना)। . ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए जिले के मैनपाट क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करना कदनई और समनिया में 8 करोड़ की लागत से सडक़ निर्माण की स्वीकृति मिली है। पर ठेकेदार की मनमानी के कारण जिस स्थान पर सडक़ निर्माण की स्वीकृति मिली है उस गांव में न बना कर दूसरे गांव में बनाया जा रहा है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है। रविवार को ग्राम करना कदनई और समनिया दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों में पिकअप में भर कर अंबिकापुर खाद्य मंत्री से मिलने पहुंचे। ग्रामीणों ने सर्किट हाउस में खाद्य मंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन सौंप कर शिकायत की है। ग्रामीणों ने खाद्य मांत्री से आग्रह किया है कि जिस स्थान के लिए सडक़ निर्माण की स्वीकृति हुई है वहीं बनाया जाए।
गौरतलब है कि सरगुजा जिले के मैनपाट क्षेत्र अंतर्गत एक मामला सामने आया है जहां ठेकेदार की मनमानी की वजह से ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है। दरअसल करना कदनई और समनिया के ग्रामीणों को सडक़ के अभाव में ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचने के लिए लगभग 60 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। ग्रामीण जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सडक़ निर्माण की मांग को लेकर कई बार गुहार लगा चुके थे। वहीं जब जिम्मेदारों ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली तो अपनी समस्या के निराकरण के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान कर सडक़ निर्माण कार्य शुरू किया। जिसके बाद जिला प्रशासन नींद से जागा वहीं ग्राम करना कदनई और समनिया तक सडक़ निर्माण कार्य के लिए लगभग 8 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई। सडक़ निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी। क्योंकि उन्हें पक्की सडक़ की सौगात मिली थी। जबकि सडक़ निर्माण के बाद ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचने के लिए इन क्षेत्र के ग्रामीणों को महज 15 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता। लेकिन ग्रामीणों की उम्मीद एक बार फिर टूट गई क्योंकि ठेकेदार की मनमानी की वजह से इस क्षेत्र में सडक़ का निर्माण नहीं हो रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा ग्राम करना कदनई और समनिया तक सडक़ का निर्माण ना कराकर नियम विरुद्ध तरीके से पंचायत भवन कदनई से ग्राम सुगा झरिया होते बूढ़ाआमा तक सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है। ठेकेदार की मनमानी के विरोध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने मंत्री अमरजीत भगत को ज्ञापन सौंपकर मामले की शिकायत की है। ग्रामीणों की मांग है कि नियम अनुसार प्रस्तावित सडक़ का निर्माण किया जाए नहीं तो आने वाले दिनों में ग्रामीण उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
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