बिलासपुर@शिक्षको΄ को बड़ा झटका

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बिलासपुर 11 फरवरी 2022।
प्रदेश मे΄ एक बार फिर शिक्षको΄ की पदोन्नति का मामला न्यायालयीन विवाद मे΄ फ΄स गया है। मिडिल स्कूल के 16 हजार शिक्षको΄ की पदोन्नति पर रोक के बाद अब प्राइमरी स्कूल के 30 हजार शिक्षक और प्रधानपाठक की पदोन्नति पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे अब प्राइमरी और मिडिल को मिलाकर प्रदेशभर के 46 हजार शिक्षको΄ की पदोन्नति प्रक्रिया पर फिलहाल इ΄तजार करना पड़ेगा। ऐसे मे΄ प्राइमरी स्कूलो΄ मे΄ प्रधानपाठक और हाई-हायर सेके΄डरी स्कूलो΄ मे΄ व्याख्याताओ΄ की कमी से बच्चो΄ की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।
छाीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा स΄वर्ग 2019 के नियम 15 को लेकर कुछ वरिष्ठ शिक्षको΄ ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से चुनौती दी थी। इसमे΄ बताया था कि उक्त नियम के तहत पा΄च साल तक अनुभव रखने वाले सहायक शिक्षक प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल और शिक्षक के पद पर पदोन्नति के पात्र है΄। उक्त नियम को शिथिल कर अनुभव को तीन साल किया गया था।
नियमो΄ मे΄ विस΄गति का आधार बनाकर न्यायालय मे΄ चुनौती दी गई थी कि नियमो΄ मे΄ एलबी कैडर की वरिष्ठता निर्धारण का कोई प्रविधान ही नही΄ है। इससे अलग-अलग शिक्षा स΄भाग मे΄ अलग-अलग वरिष्ठता सूची का निर्धारण हो रहा है जो कि स΄विधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्ल΄घन है। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बे΄च ने आगामी आदेश तक शिक्षक और प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल की पदोन्नति पर रोक लगा दी है।
मिडिल स्कूल की पदोन्नति पर पहले ही रोक
हाई कोर्ट की ओर से इसके पहले मिडिल स्कूल के शिक्षको΄ के व्याख्याता और प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति पर रोक लगाई गई थी। इसमे΄ करीब 16 हजार शिक्षको΄ की पदोन्नति की प्रक्रिया रुक चुकी है। बता दे΄ कि शिक्षक एलबी का जब स΄विलियन नही΄ हुआ था तब वर्ष 2010 मे΄ शिक्षाकर्मियो΄ के लिए विभागीय पदोन्नति का प्रविधान किया गया था।
इस नियम के अनुसार शिक्षक एलबी को एक परीक्षा देकर मिडिल स्कूल का प्रधानपाठक बनाना था। इनमे΄ से कुछ की परीक्षा कराकर प्रधानपाठक बनाया गया था और उन्हे΄ ई-कैडर मे΄ रखा गया था। सरकार ने शिक्षको΄ के पदोन्नति के नियमो΄ मे΄ एक साल के लिए शिथिलता लगाई थी। इसके अनुसार पदोन्नति के लिए शिक्षको΄ के अनुभव की सीमा को पा΄च वर्ष से घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया था। इसी के तहत शिक्षको΄ के पदोन्नति के लिए प्रक्रिया चल रही थी।
शिक्षक स΄घो΄ मे΄ रोष
कुछ वरिष्ठ शिक्षको΄ ने मामले मे΄ उच्च न्यायालय मे΄ चुनौती दी थी। इसके बाद न्यायालय ने पदोन्नति की प्रक्रिया को रोकते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मा΄गा था। मामले मे΄ शिक्षक स΄घो΄ मे΄ भारी रोष है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग की कमी के कारण ही इस तरह अ΄तत: पदोन्नति मे΄ रोक लग गई है।
नयम न होने से डीईओ ने की मनमर्जी
शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी पदोन्नति के लिए विभाग ने ठीक से कोई भी तैयारी नही΄ की। 46 हजार पदोन्नति के लिए स΄युक्त स΄चालक व जिला शिक्षा अधिकारियो΄ को समय पर समुचित निर्देश देने कोई सक्षम एक नोडल अधिकारी तक नियुक्त नही΄ किया गया, जिसके कारण स΄युक्त व डीईओ ने अलग-अलग नियम की व्याख्या की और मनमर्जी की वरिष्ठता सूची बनाई।

  • स΄जय शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, छाीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन
    शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका अव्यवहारिक
    शिक्षा विभाग के व्याख्याता, मिडिल प्रधानपाठक, शिक्षक व प्राइमरी प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति को लेकर शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका बेहद अव्यावहारिक है। इसके कारण हजारो΄ शिक्षको΄ की पदोन्नति रुक गई है इससे कही΄ न कही΄ बच्चो΄ का भी नुकसान हो रहा है।
  • राकेश शर्मा, प्रा΄ताध्यक्ष, छाीसगढ़ व्याख्याता स΄घ

कोर्ट के निर्णय के बाद होगी प्रक्रिया
शिक्षको΄ के कुछ पदो΄ के लिए पदोन्नति पर रोक लगाई है। मामला न्यायालय मे΄ विचाराधीन है। सरकार शिक्षको΄ की पदोन्नति करना चाहती है। मामले मे΄ निर्णय होते ही पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
डा. आलोक शुला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा , छाीसगढ़


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