पूर्णिया 31 जनवरी 2022 (ए)। बिहार के पूर्णिया सिविल कोर्ट में यह पहली बार होगा जब किसी पीडि़ता को मुआवजे की रकम लौटानी होगी। अक्सर कई मामलों में पीडि़ता आरोपी के मेल में आकर कोर्ट में पूर्व के बयान से पलट जाती है और इसका फायदा आरोपी को मिल जाता है। ऐसा करना एक पीडि़ता को भारी पड़ रहा है। तीन साल पहले रेप केस की इस तथाकथित पीड़िता को मिली मुआवजे की राशि अब लौटानी पड़ेगी। उसे अदालत के आदेश से साढ़े दस लाख रुपए का भुगतान हुआ था। रकम लेने के बाद महिला अपने बयान से पलट गई। उसने अदालत में आकर रेप होने की बात को गलत ठहराया और उसका समर्थन उसके घरवालों ने भी किया, जबकि पूर्व में पीड़िता ने 164 के बयान में रेप की पुष्टि की थी। आखिरकार अदालत को साक्ष्य के अभाव में आरोपी को मुकदमा से बरी करना पड़ा। वहीं पीडि़ता को मिली मुआवजे की सारी रकम की वसूली के लिए अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को निर्देश जारी किया है।
पीड़िता के खिलाफ यह सख्ती पॉक्सो कोर्ट ने बरती है। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश प्रशांत कुमार झा को जानकारी हुई कि पीडि़ता को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के आदेश पर 15 जनवरी 2019 को 10,50,000 रुपए प्रतिकर राशि के रुप में दी गई है। उन्होंने माना कि अनुसंधान के दौरान पीडि़ता को मुआवजे के रूप में बड़ी रकम दी गई। पीड़िता और उसके परिवार वाले न्याय प्रणाली और लोक कल्याणकारी प्रावधानों का दुरूपयोग कर धोखाधड़ी किया क्योंकि पीडि़ता ने अदालत में आकर स्पष्ट कहा कि उसके साथ कोई घटना नहीं हुई है। इसके बाद बिहार राज्य पीडि़त प्रतिकर स्कीम 2014 की धारा 7 संशोधन स्कीम 2019 की कंडिका 13 के प्रावधान के तहत मुआवजे की रकम की वापसी की दिशा में कार्रवाई का फर डगरूआ थानाक्षेत्र की रहने वाली नाबालिग लडक़ी ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इसमें उसने आरोप लगाया कि 19 अप्रैल 2018 को वह मायके में थी। उसके माता-पिता ननिहाल गए थे। रात करीब दस बजे उसके गांव का एक युवक उसे जबरन मकई खेत में ले जाकर दुष्कर्म किया। माता-पिता के आने पर घटना की जानकारी दी। इसके बाद थाने में शिकायत दर्ज करायी। अदालत में 164 के तहत पीडि़ता बयान भी दर्ज कराया गया। इसके बाद न्यायालय में मुकदमें का ट्रायल शुरू हुआ। अदालत में पीडि़ता एवं उसके परिवार वालों ने आकर बयान दिया कि दुष्कर्म की कोई घटना नहीं हुई। आरोपी युवक के साथ पीडि़ता का झगड़ा हुआ था और दूसरे के बहकावे में आकर रेप केस कर दिया। दूसरी तरफ पीडि़ता और आरोपी युवक की तरफ से एक सुलहनामा भी अदालत में दाखिल किया। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया।
मुआवजे की व्यवस्था
बिहार राज्य पीडि़त प्रतिकर संशोधन स्कीम 2019 के तहत कानून ने पीडि़ता के जख्मों को भरने की कोशिश की है। उसे आर्थिक मदद देकर जीवन को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास किया जाता है। वहीं अगर पीडि़ता ा नाबालिग है तो मुआवजे की तय रकम को पचास फीसदी तक बढ़ाकर मदद की जाती है। इसके लिए जिला जज की अध्यक्षता में एक कमेटी होती है जिसके निर्देश पर पीडि़ता को भुगतान किया जाता है। इस तरह के मामले में पीड़िता के बयान को महत्वपूर्ण माना जाता है। कानून के जानकारों का मनाना है कि कई मामलों में छोटे-छोटे विवादों में भी संगीन आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज करा दी जाती है और बाद में ऐसे मामलों में सुलह कर लिया जाता है। वहीं अदालत को गुमराह कर लोग कानूनी सहायता भी प्राप्त कर लेते हैं। अदालत को गुमराह कर पीडि़ता ने मुआवजे की राशि प्राप्त की है। ऐेसे में पूरी राशि अवश्य वापस होनी चाहिए। वहीं इस मामले में सख्त कार्रवाई भी होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के धोखाधड़ी पर रोक लगायी जा सके।
जीवन कुमार ज्योति,
विशेष लोक, अभियोजक, पॉक्सो कोर्ट पूर्णिया
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