नई दिल्ली@बजट अगले महीने की पहली तारीख एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी

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बजट से जुड़ी अहम परंपरा नहीं होगी हलवा सेरेमनी


नई दिल्ली,29 जनवरी 2022 (ए)।
अगले वित्त वर्ष यानी 2022-23 का बजट अगले महीने की पहली तारीख यानी एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. बजट में वित्त वर्ष के दौरान सरकार की कमाई और खर्च के ब्यौरे के साथ अर्थव्यस्था को सहारा देने वाली घोषणाएं होती हैं. इसमें वित्तीय घाटा, विनिवेश और बैलेंस ऑफ पेमेंट जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है. ऐसे में बजट को समझने के लिए जरूरी है कि इसमें इस्तेमाल होने वाले शब्दों का अर्थ समझ ले. नीचे बजट की पूरी शब्दावली के बारे में आसान भाषा में जानकारी दी जा रही है.
सरकारी काम-काज वित्त वर्ष के हिसाब से होते हैं
आमतौर पर हम सभी जनवरी से दिसंबर तक एक वर्ष मानते हैं लेकिन सरकारी काम-काज वित्त वर्ष के हिसाब से होते हैं. भारत में वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है, जो अगले साल 31 मार्च को खत्म होता है. यानी सरकार, बैंकों, कंपनियों इत्यादि का नया खाता 1 अप्रैल से खुलता है, जिसमें अगले साल 31 मार्च तक एंट्री होती है.
प्रमुख आंकड़ों वाले नीले रंग के सीक्रेट शीट को ब्लू शीट कहते
बजट डॉक्यूमेंट के सैकड़ों पेज और प्रमुख आंकड़ों वाले नीले रंग के सीक्रेट शीट को ब्लू शीट कहते हैं. यह बजट प्रक्रिया का बैकबोन है और इसे गुप्त रखा जाता है, यहां तक कि वित्त मंत्री से भी.
आमतौर पर बजट से ठीक एक दिन पहले सरकार संसद में इकनॉमिक सर्वे पेश करती है. इसमें अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर पेश की जाती है और देश की आर्थिक सेहत का पूरा लेखा-जोखा होता है. इसके जरिए सरकार देश को अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में बताती है. इसमें साल भर में विकास का क्या ट्रेंड रहा, किस क्षेत्र में कितनी पूंजी आई, विभिन्न योजनाएं किस तरह लागू हुईं इत्यादि इन सभी बातों की जानकारी होती है. इसमें सरकारी नीतियों की जानकारी होती है. आर्थिक सर्वे को बजट का मुख्य आधार माना जाता है. हालांकि इसकी सिफारिशें सरकार लागू ही करे, ऐसा जरूरी नहीं होता है


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