नई दिल्ली@ बोफोर्स के मामले में भारत ने अमेरिका से मांगे अहम सबूत

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बोफोर्स घोटाले की जांच फिर से शुरू होने की संभावना
सीबीआई ने अमेरिका से मदद के लिए लेटर रोगेटरी भेजा
हर्शमैन के पास रिश्वत से जुड़ी जानकारी होने का शक
क्वात्रोची की भूमिका पर बड़े सवाल अभी भी बने हुए हैं
नई दिल्ली,05 मार्च 2025 (ए)।
बोफोर्स तोप घोटाले की जांच फिर से शुरू हो सकती है। यह कथित घोटाला 1980 के दशक में राजीव गांधी सरकार के समय हुआ था। स्वीडन से 155एमएम की तोपें खरीदने के सौदे में घोटाला हुआ था। सीबीआई ने अमेरिका से मदद मांगी है। कुछ दिन पहले सीबीआई ने अमेरिकी न्याय विभाग को एक पत्र भेजा है। इस पत्र को लेटर रोगेटरी कहते हैं। इसे एक विशेष अदालत ने जारी किया है।सीबीआई माइकल हर्शमैन से जुड़ी जानकारी चाहती है। हर्शमैन अमेरिका की एक प्राइवेट जासूसी कंपनी फेयरफैक्स के प्रमुख हैं। सीबीआई को शक है कि स्वीडिश कंपनी ए बी बोफोर्स ने भारत से तोपों का सौदा पाने के लिए रिश्वत दी थी। हर्शमैन के पास इस रिश्वत से जुड़ी जानकारी हो सकती है।
अमेरिका की प्राइवेट जासूसी कंपनी के चीफ से जानकारी चाहता है भारत
साल 2017 में हर्शमैन ने दावा किया था कि राजीव गांधी उस समय बहुत गुस्से में थे, जब उन्हें एक स्विस बैंकं खाते मोंट ब्लैंक के बारे में पता चला था। हर्शमैन के मुताबिक, इसी खाते में बोफोर्स की रिश्वत का पैसा रखा गया था। हर्शमैन ने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन सरकार ने उनकी जांच में बाधा डाली थी।


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