
चार डीएसपी समेत 25 अफसर सस्पेंड, 17 अन्य फंसे
सस्पेंशन वालों में 4 डीएसपी,3 एसएचओ, 8 छात्रों पर भी एफआईआर
हरियाणा में इन दिनों 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं। परीक्षा के पहले ही दिन से नकल रूपी दानव ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। सहयोगी बनने वालों की कोई कमी नहीं। जिसे देखो वहीं चार किताब काख़ में डाल परीक्षा केंद्रों के बाहर मंडरा रहे हैं। बोर्ड एग्जाम के पहले ही दिन से प्रश्न पत्र बाहर पहुंच रहे हैं। दसवीं बोर्ड की गणित विषय की परीक्षा ने इस बार ऐसी किरकरी कराई है कि खुद मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी को मोर्चा संभालना पड़ा है। कार्रवाई भी ऐसी हुई है कि दूसरे राज्यों के लिए भी यह उदाहरण बनेगी। बड़े-बड़े अधिकारियों को लपेट दिया गया है। डीसी-एसपी सब दौड़े फिर रहे हैं।
हुआ यूं कि परीक्षा शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद तीन जगह परीक्षा केंद्र से पेपर बाहर आ गया। जगह-जगह पेपर हल कर परीक्षा केंद्र में खिड़की और छतों से परीक्षार्थियों तक पर्चियां पहुंचाती देखी गई। यहां तक कई जगह पुलिस और अध्यापकों की मौजूदगी में भी पर्चियां को भिजवाना देखा गया। मीडिया में मामला उछला तो सरकार और प्रशासन की खूब किरकरी हुई। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री को इस मामले में तुरंत प्रभाव से लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी करने पड़े। इस मामले में अब तक 4 पुलिस उप अधीक्षक, 3 थाना प्रभारी समेत 25 पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है। इसके अलावा चार राजकीय और एक निजी स्कूल के परीक्षा निरीक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है। यहीं नहीं चार परीक्षा निरीक्षकों और इन केंद्रों के समस्त परीक्षा स्टाफ को भी निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा 8 परीक्षार्थियों और 4 अन्य के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करवाया गया है।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के डीसी और एसपी को भी यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि धारा-163 की पालना सुनिश्चित हो। परीक्षा केंद्र के 500 मीटर के दायरे में कोई व्यक्ति अनाधिकृत प्रवेश करता पाया गया तो पुलिस की जिम्मेदारी होगी। साथ ही पेपर आउट व नकल की शिकायत आती है तो जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा। एसपी को निर्देश दिए हैं कि बोर्ड परीक्षा के दिन परीक्षा केंद्र की सुरक्षा चाकचौबंद होनी चाहिए। सीएम के निर्देश मिलते ही पुलिस और प्रशासन पूर्ण रूप से सक्रिय हो गया है। सोमवार की परीक्षा में आला अधिकारी खुद मोर्चा संभालते दिखे। प्रदेश सरकार ने अब यह भी फैसला लिया है कि परीक्षाओं में जहां इस बार बाहरी हस्तक्षेप है या नकल के मामले सामने आएंगे, वहां भविष्य में परीक्षा केंद्र ही नहीं बनाया जाएगा। शिक्षा निदेशालय ने भी पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि जिस दिन बोर्ड की परीक्षा हो, उस दिन नॉन वर्किंग-डे घोषित किया जाए। जिन कर्मचारियों की डयूटी परीक्षा में लगी है, वहीं आयेंगे।
शिक्षा बोर्ड ने 588 केंद्रों पर पूर्ण समय के लिए ऑब्जर्वरों की नियुक्ति की गई है। बोर्ड सचिव के अनुसार प्रश्न-पत्रों पर अल्फा न्यूमेरिक कोड, क्यूआर कोड और हिडन सिक्योरिटी फीचर हैं। अगर कोई प्रश्न पत्र की फोटो खींचेगा तो तुरंत पता लग जाएगा कि प्रश्न पत्र कहां से आउट हुआ है और किस परीक्षार्थी का है। इस पर केंद्र के अधीक्षक, पर्यवेक्षक व अन्य स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। चलिए अब बात को थोड़ा आगे बढ़ाते है कि इस तरह की सख्ती की जरूरत क्यों पड़ी? नकल सामाजिक बुराई है। नकल करना पाप है। नकल से बचे, यह धीमा जहर है। नकल भविष्य से भटकाने वाली है। नकल करना और करवाना युवा वर्ग को लक्ष्य और दिशाहीन करना है। नकल के परिणाम दूरगामी होते हैं। जब भी परीक्षाओं का दौर शुरू होता है तो इस तरह के स्लोगन और विचार आम देखने को मिलते हैं । प्रत्येक परीक्षा केंद्र के बाहर बड़े-बड़े इश्तिहार लगाए जाते हैं, जिन पर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा होता है- ‘परीक्षा में नकल करना पाप है/ सामाजिक बुराई है। फिर भी परीक्षाओं में नकल रूक ही नहीं पा रही। वर्ष 2015 में बिहार में भी नकल की तस्वीरें देशभर में वायरल हुई थी। परीक्षा के दौरान तीन मंजिले स्कूल की खिड़कियों और दीवारों से चिपक कर विद्यार्थियों के सहयोगियों और अभिभावकों ने बच्चों को नकल की पर्चियां पहुंचाने की तस्वीरें मीडिया में खूब चली थी। अगले ही दिन नकल कर रहे छात्रों को मदद करने के आरोप में होमगार्ड के 8 जवानों को गिरफ्तार किया गया। 500 से ज्यादा परीक्षार्थियों को निष्काषित भी कर दिया गया था। इसके बाद संभवतः हरियाणा में नकल के मामले में यह बड़ी कार्रवाई हुई है। ऐसा फिर न हो इसके लिए सिर्फ सरकार और प्रशासन से काम नहीं चलने वाला। इसके लिए सबसे पहले अभिभावकों और वहां के स्थानीय निवासियों का सहयोग जरूरी है। वे सहयोग करेंगे तो क्या मजाल कोई परीक्षा केंद्र में पहुंच जाए। इससे पहले भी काफी पंचायतों द्वारा ऐसा प्रयास किया गया है। पुलिस कर्मियों की कमी भी इस घटना का बड़ा कारण है। परीक्षा केंद्र में बाहरी तत्व पांच सौ और पुलिस कर्मी दो तो किस तरह नकल रुकेगी। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद भी तो परीक्षा केंद्रों पर सख्ती हुई है। यही पहले होती तो किरकरी तो न होती। चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य का एक प्रसिद्ध श्लोक है:-
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः॥
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति का ज्यादा सीधापन भी कई बार गले की फांस बन सकता है। उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि वन में सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं। क्योंकि इन्हें काटने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।
सुशील कुमार ‘नवीन‘,
हिसार, हरियाणा