बैकुण्ठपुर@राज परिवार का जमीन विवाद पहुंच तहसील कार्यालय तक

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,04 मार्च 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले का राजपरिवार और उसका जमीन विवाद सुर्खियों में आया है। मामला तरगवां सहित बैकुंठपुर एवम अन्य जगहों की जमीन का है। राजपरिवार वैसे तो माना जा रहा था की जमीन विवाद से दूर है ऐसा अब लगता नहीं है क्योंकि वारिसदारों ने तहसील कार्यालय में आपत्तियां दर्ज की हैं। दैनिक घटती-घटना ने तरगवां की जमीन को लेकर और पूर्व विधायक बैकुंठपुर जो राजपरिवार की ही सदस्य हैं के द्वारा उक्त जमीन पर कब्जा किया जा रहा है इस आशय का खबर प्रकाशित किया था और अब वह बात सही साबित हो रही है जब राजपरिवार के वारिसदार सामने आकर ऐसा खुद आपत्ती दर्ज कर रहे हैं। तरगवां की जमीन पर पूर्व विधायक ने अपना घर भी बना लिया है और यह घर कब्जा दर्ज करने के उद्देश्य से बनाया गया है ऐसा अंदेशा दैनिक घटती-घटना ने पहले ही दर्ज किया था। वैसे पूर्व विधायक का घर अब बन चुका है और वह रह भले नहीं रही हैं लेकिन उन्होंने कब्जा दर्ज कराने की पूरी तैयारी कर ली थी उसी बीच यह आपत्ती दर्ज हुई है जो राज परिवार के ही वारिसदारों ने दर्ज की है। राज परिवार के वारिसदारों ने तरगवां,भण्डारपारा,और बैकुंठपुर की राजपरिवार की जमीनों के खरीदी बिक्री पर रोक लगाने की भी मांग की है और उनका कहना है कि उनके बिना सहमति ऐसा न किया जाए।
बताया जा रहा है कि कुछ जमीनें राजपरिवार की बिक्री की जाने वाली थीं और तभी यह आपत्ती लगाई गई है राजपरिवार के ही वारिसदारों के द्वारा। वैसे मामला राजस्व न्यायालय का है और फैसला उन्हें ही करना है कि वह जमीन को लेकर क्या निर्णय लेते हैं प्रारंभिक तौर पर वारिसदारों की आपत्ती वह दर्ज कर आगामी किसी खरीदी बिक्री या निर्माण पर रोक लगाते हैं की नहीं वहीं एक बात इस आपत्ती से साफ हो गई कि दैनिक घटती-घटना की खबर सही थी और तरगवां की जमीन पर पूर्व विधायक कब्जा ही कर रही थीं। वैसे राजपरिवार के वारिसदारों की आपत्ती के बाद अब राजपरिवार का जमीन विवाद राजस्व न्यायालय में विचाराधीन हो गया और अब उन्हें राजस्व न्यायालय से ही मामले का निपटारा करना होगा और इस तरह यह भी सामने आया कि राजपरिवार की जमीनों का अभी भी असल बंटवारा बाकी है या बंटवारा सही नहीं हुआ है। वैसे पूर्व विधायक के लिए यह बड़ा झटका है और वह अब विपक्ष में रहते हुए कैसे इस विवाद का और आपत्ती का निपटारा करेंगी यह देखने वाली बात होगी। राजपरिवार की तरगवां की ही जमीन लगभग 50 एकड़ से ज्यादा जमीन है इसी तरह बैकुंठपुर की भी जमीन 50 एकड़ से ज्यादा है वहीं भण्डारपारा की भी जमीन अब विवाद में जा फंसी है। पूर्व विधायक जो एक तरह से मायके पक्ष की जमीन पर काबिज हुई हैं तरगवां की वह क्या उतराधिकारी बन पाती हैं यह भी देखने वाली बात होगी वहीं तरगवां की जमीन जो हेलेन नाम की विदेशी मूल जहां तक जानकारी मिली है के नाम पर फौती दर्ज जमीन है उस जमीन पर उनका हक अधिकार साबित होता है कि नहीं यह भी देखने वाली बात होगी।
दैनिक घटती-घटना की खबर एक बार फिर सही साबित होती दिख रही है
दैनिक घटती घटना की खबर फिर एकबार सही साबित होती दिख रही है। राजपरिवार की तरगवां की जमीन जो राजपरिवार की ही एक विदेशी मूल की महिला के नाम पर दर्ज थी पर पूर्व विधायक कब्जा कर रही हैं इस आशय की खबर दैनिक घटती घटना ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। तब खबर के आधार पर कोई भी कार्यवाही राजस्व विभाग ने संज्ञान लेकर नहीं की थी लेकिन अब जब राजपरिवार के ही वारिसदार सामने आकर अपना हक अधिकार जता रहे हैं ऐसे में यह कहना गलत जी नहीं है कि दैनिक घटती घटना की खबर सही थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि कैसे राजस्व विभाग मामले में राजपरिवार के वारिसदारों को न्याय दिलाता है और कैसे मामले में न्याय करता है।
जिनका जमीन पर नहीं है कोई हक वह कर रखे हैं जमीन पर कब्जा
तरगवां की जमीन एक विदेशी मूल की महिला के नाम पर फौती दर्ज जमीन है जो राजपरिवार की सदस्य हैं वहीं पूर्व विधायक राजपरिवार की सदस्य हैं जरूर लेकिन राजपरिवार उनका मायका पक्ष है और ऐसे में शायद ही उनका हक जमीन पर बनता है। अब बिना हक के वह जमीन पर कब्जा जमा रहीं थीं। राजपरिवार वारिसदारों की माने तो पूर्व विधायक का जमीन पर कोई हक बनता ही नहीं है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वह कब्जा जिस जमीन पर दर्ज कर रही थीं जिस जमीन पर कोई उनका हक ही नहीं था।
राज परिवार की जमीन पर अपना हक लेने वारिसदार आए कोरिया
राजपरिवार की जमीनों पर अपना हक दर्ज करने राजपरिवार के सदस्य कोरिया पहुंचे हैं। गुजरात से कोरिया पहुंचे राजपरिवार महाराज कुमार लाल हरि शरण सिंह देव के पोते महाराज कुमार राजदीप सिंह देव व उनकी पुती राजकुमारी अनुराधा सिंह देव राणावत व उनके पति राजकुमार महिपाल सिंह राणावत (कोरिया राजपरिवार के जमाई साहब) ने परिवार सहित कुमार साहब की समाधि पर पुष्प घुच भेट कर सबसे पहले आशीर्वाद लिया उसके बाद दैनिक घटती घटना से मिलकर अपनी आपत्तियां दिखाई और न्याय के लिए उन्होंने खबर प्रकाशन की बात कही। कुल मिलाकर अब मामला राजपरिवार के वारिसदारों का और पूर्व विधायक के बीच का फंसता हुआ नजर आ रहा है।
महल सहित महल के आसपास व तरगवां की जमीन पर अपना नाम चढ़ाने गुजरात से राज परिवार के बेटे व बेटी पहुंचे कोरिया
कोरिया पहुंचे राजपरिवार के बेटे बेटी अपना नाम राजपरिवार की जमीनों पर दर्ज कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि वह असली वारिसदार हैं और उनका जमीन पर हक है। जमीनों में वह तरगवां की जमीन और बैकुंठपुर महल के पास की जमीन पर अपना कब्जा दर्ज कराना चाहते हैं और जिसके लिए उन्होंने तहसीलदार को आवेदन किया है जिसपर तहसीलदार को न्याय करते हुए कार्यवाही करना है।
सत्ता में रहने की वजह से नहीं हो पा रही थी पूर्व विधायक के विरुद्ध कोई कार्यवाही…अब मिल सकता है वारिसदारों को वर्तमान सत्ता का लाभ
पूर्व विधायक जब विधायक बनी तभी उन्होंने तरगवां की जमीन पर कब्जा जमाया। माना जा रहा है एक तहसीलदार की मदद से वह इस जमीन पर कब्जा जमाना शुरू की थीं। तब वह सत्ता में थीं और विधायक सहित राज्य के मंत्री का उन्हें दर्जा प्राप्त था और उनके विरुद्ध कोई बोलने या करने की जुर्रत नहीं कर पा रहा था खासकर राजस्व विभाग। अब जब वह विधायक नहीं हैं और जब सत्ता भी बदल चुकी है यह उम्मीद जताई जा रही है कि अब असल वारिसदारों को वर्तमान सत्ता का लाभ मिलेगा और उन्हें न्याय मिल सकेगा।वैसे पूर्व विधायक चुप बैठने वाली नहीं हैं और वह पूरा जोर लगाएंगी लेकिन देखना है सत्ता विपरीत होते हुए उन्हें कैसी मदद या कोई मदद मिलती है कि नहीं ।


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