अम्बिकापुर 27 जनवरी 2022 (घटती-घटना)। कोविड संक्रमण काल मे 3 अप्रैल 2020 से शिक्षा की अलख जगाने वाली दीपलता देशमुख को 26 जनवरी 2022 को श्रम एवं नगरीय प्रशासन मंत्री डॉक्टर शिव डहरिया के कर कमलों से सम्मानित किया गया। दीपलता देशमुख शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय असोला में व्याख्याता संस्कृत के पद पर कार्यरत हैं ।जिन्होंने ावअपक के शुरुआती दौर पर विद्यालय संकुल के 5 गांव में असोलाए सोनपुरएरनपुरए रजपुरी खुर्द देवगढ़ में हर घर में बच्चों को इस कठिन परिस्थितियों में शिक्षासे वंचित ना होने पाए इसलिए उनकी माताओं एवं गांव के सम्मानीय नागरिक जनों का संपर्क कर मोहल्ले में पढऩे हेतु तैयार किया। शुरुआत में कठिनाई बहुत आई परंतु कोई भी कार्य कठिन नहीं होता हैए मानने वाली दीपलता देशमुख मोहल्ला मे पढ़ाने वाली राज्य भर में प्रथम शिक्षिका बन गई अप्रैल महीने की भरी दोपहरी में अपनी स्कूटी से प्रत्येक घर में घूम घूम कर बच्चों को इक_ा करने के लिए घूमने लगी। इस कारण उन्हें गांव में मोटरसाइकिल बहन जी के नाम से जानने लगे। शिक्षा सचिव डॉण्आलोक शुक्ला के किताब में ष्महामारी लेकिन पढऩा लिखना जारीष्में मोटरसाइकिल बहन जी के रूप में कवरेज प्राप्त है। 2020 मार्च के लाकडाउन के समय अपने निवास स्थान में दो बच्चों से शिक्षा का अलख श्शिक्षादीपश् के माध्यम से निशुल्क शिक्षा की शुरुआत कर की। उनके निवास स्थान में आज भी निशुल्क शिक्षा श्शिक्षादीपश् के माध्यम से दी जा रही है। आज192 बच्चे जिसमें मिडिल एवं हाई स्कूल के बच्चे सम्मिलित हैंएपढ़ाने लगी बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जिस तरह विद्यालय में गतिविधियां आधारित शिक्षा दी जाती है उसी तरह प्रार्थना से शुरुआत करके योग आसन ध्यान कराते हुए मोहल्ला क्लास में प्रतिदिन 4 घंटे पढ़ाती थी जिसमें लगभग 140 बच्चे हर दिन शिक्षा का लाभ शिक्षिका से ले रहे थे। सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से उन बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार का वितरण भी करती थी। कोरोना काल के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए लगभग 3000 मास्क का वितरण कर महिलाओं को मास्क बनाने केलिए जागरूक किया। बाकायदा गृह कार्य दिया जाता था एवं विद्यालय की तरह जून महीने में प्रायोजना कार्य सभी बच्चों से बनवा कर क्लास में ही प्रतिदिन जांच करती। सहायक सामग्री के रूप में प्रोजेक्ट शीट को प्रतिदिन कक्षा में उपयोग में लाए जाने लगे। शिक्षिका ने संस्कृत की पढ़ाई श्लोकों की तरह व्याकरण खंड को भी सस्वर वाचन कराते हुए पढ़ाती हैं। जिससे कक्षा में रोचकता बनी रहती है और सभी बच्चे शीघ्र ग्रहण कर लेते हैं। खेल खेल में एवं क्रियात्मक गतिविधियों के माध्यम से हमेशा पढ़ाने वाली शिक्षिका ने मोहल्ला क्लास में भी गतिविधियों को पढ़ाई का आधार बनाया। कहानी से भी बच्चों में रोचकता आती है। कहानीकार दीपलता देशमुख ने भी कहानी को भी शिक्षा का आधार बनाया। नवीन तकनीकों का प्रयोग मोहल्ला क्लास में करने से कम समझने वाले बच्चों में भी संस्कृत की भाषा में समझ विकसित हुई । ऑगमेंटेड रियालिटी जैसे नवीन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके बच्चों में समझ विकसित करने में सफल हुई। मोहल्ला क्लास में बच्चों की संख्या में और भी वृद्धि होने लगी। इस गोविंद काल को दुखद एवं सुखद भी मानती हैं। जिससे सभी बच्चों को टेक्नोलॉजी सीखने का बहुत मौका मिला। गांव के बच्चों की आर्थिक स्थिति अत्यधिक खराब हैए ऑनलाइन क्लास शुरू हुई तो उनके पास मोबाइल नहीं था। यदि मोबाइल है तो बैलेंस नहीं है और बैलेंस भी है तो मोबाइल का प्रयोग कैसे करें। सभी परेशानियों में सहायता करती रही।सेवा भावना से ओतप्रोत बच्चों के लिए कार्य करने वाली शिक्षिका का कार्य अनुकरणीय है उनका कहना है. बच्चों के लिए है मेरा जीवन समर्पित है।वर्तमान में बालिका शिक्षा एवं सुरक्षा दिव्यांग बच्चों की शिक्षा एवं नशा मुक्ति अभियान में कार्य कर रही है।
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