- जनपद का वार्षिक बजट 4 से 5 करोड़ जिला पंचायत का वार्षिक बजट 10 करोड़ लेकिन इस बार हुए चुनाव में सभी प्रत्याशियों द्वारा किया गया खर्च वार्षिक बजट से अधिक माना जा रहा है
- जनपद सदस्य प्रत्याशीयों ने जनपद सदस्य बनने के लिए इस चुनाव में 6 करोड़ से अधिक रकम खर्च की
- जिला पंचायत प्रत्याशी भी नहीं रहे पीछे उन्होंने भी निर्वाचित होने के लिए लगभग 10 करोड़ किया खर्च
- जिला पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष से लेकर जनपद पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनने तक एक करोड़ और खर्च होने का अनुमान
- त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुनावी खर्च का यदि आकलन लगाया जाए तो विधानसभा व लोकसभा चुनाव से भी अधिक माना जा रहा है खर्च
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–रवि सिंह –
कोरिया,01 मार्च 2025 (घटती-घटना)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो गया है लेकिन यह चुनाव जितने के लिए सैकड़ो प्रत्याशियों ने चाहे वह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हो या फिर जनपद पंचायत सदस्य का चुनाव दोनों ही तरह का सदस्य बनने के लिए पैसे खर्च किए गए कहा जाए तो मतदाताओं को पैसे से खरीदा गया, अब खरीदने के बाद अब यदि हम आकलन करें जनपद पंचायत के वार्षिक बजट का तो वह बजट 4 से 5 करोड़ का होता है वहीं जिला पंचायत की बात की जाए तो वार्षिक बजट 10 से 11 करोड़ का होता है साथ ही सदस्यों सहित अध्यक्ष उपाध्यक्ष की निधि को लें लें तो 30 लाख और बढ़ जाते हैं पर इस चुनाव में इस वार्षिक बजट की राशि से ज्यादा प्रत्याशियों ने चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं को रिझाने के लिए मतदाताओं का मत खरीदने के लिए जनपद में तकरीबन 6 से 7 करोड़ खर्च किए हैं, सभी प्रत्याशियों ने तो वहीं जिला पंचायत की बात की जाए तो वहां भी लगभग 8 से 9 करोड़ खर्च चुनावी माना जा रहा है, पर इसी बीच यदि पंच व सरपंच पद के भी प्रत्याशियों का भी खर्च जोड़ दिया जाए तो पूरे जिले में चुनावी खर्च 20 करोड़ होने का अनुमान है, यह आंकड़े भले ही कम ज्यादा हो सकते हैं पर जो चुनाव से लेकर चुनाव खत्म होने के बाद प्रत्याशियों की जुबानी ही खर्च की बात कही जा रही है उसे देखते हुए चुनावी खर्च के आंकड़े का अनुमान लगाया गया है, पर सवाल यह उठता है कि जब इतनी राशि खर्च कर लोग निर्वाचित हुए हैं तो फिर इसकी भरपाई वह क्या जनपद व जिला पंचायत के बजट से होने वाले विकास को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाकर करेंगे? जनता ने एक बार फिर नोटों के प्रमोभन में आकर अपना मत बेच दिया है यह कहना गलत नहीं होगा।
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जनपद सदस्य बनने करोड़ों खर्च किया एक जनपद अंतर्गत आने वाले जनपद क्षेत्र के प्रत्याशियों ने
बैकुंठपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ही यदि प्रत्याशियों के चुनावी खर्च की बात की जाए तो यह कई करोड़ो का खर्च माना जा रहा है। कई जनपद क्षेत्रों में तो खर्च विधानसभा लोकसभा चुनाव के हिसाब से तुलनात्मक ज्यादा है। करोड़ों का खर्च कर जनपद सदस्य निर्वाचित हुए प्रत्याशी अब विकास की बात के साथ जनपद में बैठेंगे और क्षेत्र विकास की अपनी घोषणा को अमली जामा पहनाएंगे। वैसे वह अपना किया गया खर्च वसूलेंगे की वह विकास की परिकल्पना और अपना वादा साकार करेंगे यह देखने वाली बात होगी।
अध्यक्ष,उपाध्यक्ष पद के लिए भी करोड़ों खर्च की तैयारी
जनपद उपाध्यक्ष बनने के लिए भी अब करोड़ों की तैयारी है। जनपद सदस्य से अध्यक्ष,उपाध्यक्ष बनने के लिए करोड़ों सभी कोई खर्च नहीं करेंगे वह केवल कुछ लोग ही करेंगे लेकिन वही चंद लोग खर्च की सीमा को करोड़ों तक ले जाएंगे। अब लाखों फिर करोड़ों खर्च करने वाला जब अध्यक्ष सहित उपाध्यक्ष बनेगा कैसा विकास होगा क्षेत्र का यह विचारणीय है और समझा भी जा सकता है।
जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष के लिए भी करोड़ों खर्च का अनुमान
जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनने के लिए भी करोड़ों खर्च करने वाला ही योग्यता के पैमाने पर सही उतरेगा। अब खर्च करने वाला कैसे विकास की परिकल्पना साकार करेगा यह सोचने वाली बात है। वैसे यह आज की और इसी चुनाव की बात नही है, हर बार यही होता है और अंततः खर्च करने वाला मतदाताओं से लेकर निर्वाचित सदस्यों तक को खरीदने का माद्दा रखने वाला ही अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनता है।