बीजापुर@ आजादी के बाद पहली बार हिड़मा के गांव में हुआ मतदान

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मतदाताओं में दिखा उत्साह
बीजापुर,2३ फरवरी 2025(ए)।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के पूर्ववर्ती गांव में इतिहास रच दिया गया। खूंखार नक्सली हिड़मा के इस गांव में आजादी के बाद पहली बार मतदान हुआ। बरसों तक नक्सलियों के खौफ के साए में जीने वाले ग्रामीणों ने पहली बार लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लिया।
पहली बार वोट डालने पहुंचे ग्रामीण, लोकतंत्र में जताया विश्वास
इस चुनाव के दौरान ग्रामीणों में उत्साह और आशा का माहौल देखा गया क्योंकि वे पहली बार अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम हो सके हैं। बता दें सुकमा जिले का यह इलाका वर्षों से नक्सलवाद से प्रभावित रहा है और यहां के निवासी कई बार नक्सलियों के आतंक के कारण चुनावों से दूर रहे हैं।
सरकार और सुरक्षा बलों की मेहनत लाई रंग
लेकिन अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में पुलिस और प्रशासन ने लगातार प्रयासों से इलाके की स्थिति को बदलने में सफलता हासिल की है। पिछले कुछ वर्षों में यहां सुरक्षाबलों और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयासों ने नक्सलियों के प्रभाव को कम किया है, जिससे ग्रामीणों में अब बदलाव की लहर महसूस हो रही है।
पहली बार पूर्ववर्ती
गांव में चुनाव
पूवर्ती गांव में यह चुनाव ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि यह गांव अब तक किसी भी चुनाव का हिस्सा नहीं रहा था। हिड़मा जैसे कुख्यात नक्सली नेता का घर होने के बावजूद इस गांव के लोग आजादी के बाद पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा के विशेष प्रयासों से इस बार मतदान में भाग लेने के लिए गांववासियों का उत्साह देखा गया, जो पहले किसी भी प्रकार के चुनावों से दूर रहे थे।
नक्सलवाद से जूझते हुए ग्रामीणों ने जताया उत्साह
पूर्ववर्ती गांव के ग्रामीणों ने इस चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह न केवल उनके लोकतांत्रिक अधिकार की जीत है, बल्कि यह नक्सलवाद के खिलाफ उनके संघर्ष का भी प्रतीक है। गांववासियों का कहना था कि, यह उनका पहला मौका है जब वे अपनी आवाज उठा सकते हैं और अपने भविष्य के लिए एक ठोस कदम उठा सकते हैं। चुनाव में मतदान का उत्साह यह साबित करता है कि, अब इन इलाकों में नक्सलवाद का असर कम हो चुका है और लोग अपने भविष्य के लिए संजीदगी से मतदान कर रहे हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की भूमिका
पूवर्ती गांव और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की तगड़ी व्यवस्था की गई थी। नक्सलियों से खतरे के बावजूद, पुलिस और सुरक्षाबलों ने यह सुनिश्चित किया कि चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से पूरा हो। प्रशासन और सुरक्षाबलों के समन्वय से यह सुनिश्चित किया गया कि, किसी भी प्रकार की हिंसा या उपद्रव की स्थिति उत्पन्न न हो।
नक्सल प्रभावित इलाकों में लोकतंत्र की नई शुरुआत
इस घटना ने यह साफ कर दिया कि, जब प्रशासन और स्थानीय नेतृत्व ईमानदारी से काम करते हैं तो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो सकती हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के लगातार प्रयासों से इस क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष को नई दिशा मिली है। पूवर्ती गांव में मतदान के इस ऐतिहासिक दिन को छत्तीसगढ़ में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल इलाके के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन चुका है कि, कैसे सरकारी प्रयासों और स्थानीय सहयोग से नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास की राह बनाई जा सकती है।
अमित शाह और विजय शर्मा ने बढ़ाया हौसला
हिड़मा के इस गांव पूवर्ती में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे थे। यहां उन्होंने 3 घंटे से ज्यादा का समय बीताया था। इनसे पहले डिप्टी सीएम विजय शर्मा भी पहुंचे थे। नक्सलियों के गढ़ में पहली बार पहुंचने वाले वे पहले मंत्री हैं।


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