- घोषणा हुई जीत की प्रमाण-पत्र में मिली हार, भाजपा सरकार में ऐसे ही चलेगा चुनाव?
- सूरजपुर त्रिस्तरीय चुनाव: भाजपा में कलह,निर्दलीय प्रत्याशी ने लगाया षड्यंत्र का आरोप
- भाजपा ईवीएम से ही जीत सकती है चुनाव बैलेट पेपर से नहीं:कांग्रेस
- गणनापत्रक जीते हुए प्रत्याशी को मिला जिसमें वह 19 वोटो से जीत गए थे पर जीत का प्रमाण-पत्र हारे हुए प्रत्याशी को थमा दिया गया
- कैबिनेट मंत्री पर धोखाधड़ी से भाजपा समर्थित प्रत्याशी को जितवाने का आरोप
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-ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर,21 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। वर्तमान भाजपा सरकार में एक बार फिर ईवीएम को लेकर सवाल उठने लगे हैं जहां ईवीएम से भाजपा ने पूरे नगरीय निकाय चुनाव को जीत लिया वहीं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में करारी हार मिल रही है,जो बैलेट का चुनाव है बैलेट से हो रहे चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को जीत मिल रही है, कुछ ऐसा ही हाल मुख्यमंत्री के क्षेत्र में भी देखने को मिला और बाकी जिले में भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को ही जीत मिल रही है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान सूरजपुर जिले का एक ऐसा मामला सामने आया है जो सभी को चौंकाने वाला है जहां एक भाजपा समर्थित प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी की जीत की घोषणा को हार में बदला गया ऐसा आरोप लगा है, आरोप के अनुसार पहले मतगणना का जो गणनापत्रक मिला वह स्वतंत्र बिना समर्थन लड़ रहे प्रत्याशी को जीत बताते हुए जारी हुआ लेकिन जब दूसरे दिन प्रमाण पत्र जारी हुआ उसे हार का प्रमाण पत्र मिला, जिसके बाद पूरा मामला आरोप प्रत्यारोप का शुरू हो गया। हारे हुए भाजपा गैर समर्थित प्रत्याशी का आरोप है कि उसे हराने के लिए षड्यंत्र का सहारा लेना पड़ा है, जीत की घोषणा हुई उसकी और जीत का प्रमाण मिला भाजपा समर्थित प्रत्याशी को जो कई मामले में षड्यंत्र की बात को साबित करता है, सूरजपुर में हाल ही में संपन्न हुए त्रिस्तरीय चुनावों के नतीजों ने भाजपा की अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया है। भाजपा समर्थित जिला पंचायत उम्मीदवारों की हार के बीच, स्वतंत्र बिना समर्थन चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी गिरीश कुमार ने चुनाव परिणाम में धांधली का आरोप लगाते हुए अपनी ही सरकार और प्रशासन पर निशाना साधा है।
आपको बता दें कि गिरीश कुमार, जो जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 8 से बिना किसी दलीय समर्थन के चुनाव लड़ रहे थे और जिनका चुनाव चिन्ह पतंग था, उन्होंने दावा किया कि उन्हें चुनाव जीतने के बाद षड्यंत्रपूर्वक हराया गया। पहले चरण के मतगणना के बाद उन्हें 19 मतों से विजयी घोषित किया गया था, लेकिन 20 फरवरी को जिला पंचायत में हुई पुन: गणना में उन्हें 32 मतों से हारा हुआ बताया गया। गिरीश कुमार और उनके समर्थकों का आरोप है कि कुछ बड़े नेताओं और अधिकारियों के दबाव में गलत मतगणना कर उन्हें हराने की साजिश रची गई। इसको लेकर जिला पंचायत कार्यालय में भारी हंगामा हुआ और स्थानीय लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान विरोध में पूरा बाजार भी बंद रहा। गिरीश कुमार मीडिया के सामने भावुक होकर रोते नजर आए और न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही। पर सवाल यह उठता है कि आखिर जब निर्वाचन प्रक्रिया निष्पक्ष है तो फिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही है क्या साा के दबाव में अधिकारी काम कर रहे हैं निष्पक्षता अब बची नहीं ऐसे में तो चुनाव करना या ना करना एक बराबर जैसी है यह भी लोग कहते सुने जा रहे हैं।जहां लोकतंत्र ने जनता को अपना प्रतिनिधित्व चुनने के लिए चुनाव का निर्णय लिया था आज वही चुनाव सवालों के घेरे में है आज पूरी निर्वाचन प्रक्रिया पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है जहां साा होती है वहां क्या धांधली ही चुनाव में देखी जाती है क्या प्रशासनिक अधिकारी साा के दबाव में निष्पक्ष चुनाव से डर जाते हैं या फिर उन्हें तबादला का डर साापक्ष के फेवर में परिणाम देने के लिए मजबूर करता है? बाकी चुनाव से पीडि़त व्यक्ति के लिए सिर्फ अब न्यायालय ही एक सहारा है वहां पर भी उसे पक्ष में परिणाम आने में 5 साल लग जाएंगे तब तक फिर से अगला चुनाव आ जाएगा।