- कोरिया जिले में स्वीप कार्यक्रम कर्मचारियों को शपथ दिलाने तक सीमित,कर्मचारी भी नहीं डाल पाएंगे अपना मत
- अधिकांश कर्मचारी उसी दिन निर्वाचन कार्य में रहेंगे कर्तव्यस्थ जिस दिवस उनके क्षेत्र ग्राम में भी होना है मतदान
- कर्मचारियों का मतदान भी पंचायत चुनाव में हो सुनिश्चित,इस मामले में जिला निर्वाचन विभाग नहीं है गंभीर
- कर्मचारी अब असमंजस और तनाव में,कई कर्मचारियों के घरों से पंचायत चुनाव में परिवार के लोग हैं प्रत्याशी
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-रवि सिंह-
कोरिया,14 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में कर्मचारी पंचायत चुनाव में अपने मत का प्रयोग नहीं कर पाएंगे ऐसा अब कम से कम बैकुंठपुर विकासखंड के कर्मचारियों को लेकर कहा जा सकता है खासकर ग्रामीण क्षेत्र के कर्मचारी।
बता दें कि कोरिया जिले के बैकुंठपुर विकासखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान का दिवस 23 फरवरी है और इस दिवस ही बैकुंठपुर के ही कर्मचारियों को सबसे अधिक संख्या में चुनाव कार्य संपन्न कराने में कर्तव्यस्थ किया गया है। अब जो कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्र के हैं जो खासकर बैकुंठपुर विकासखंड के कर्मचारी हैं वह यदि 23 फरवरी को ही मतदान दल में नियोजित रहकर चुनाव संपन्न कराएंगे वह कैसे मतदान कर सकेंगे? वैसे कर्मचारियों की माने तो उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी सहित सभी जिम्मेदारों से अपनी बात रखी और मतदान करने के लिए अपने अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया जहां उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि राज्य निर्वाचन आयोग को इस संदर्भ में अवगत कराया गया और वहां से कोई मार्गदर्शन या कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ और एक तरह से यह बता दिया गया कि वह मतदान से वंचित ही रहेंगे।
विधानसभा लोकसभा व नगरीय निकाय में विकल्प रहता है पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में विकल्प क्यों नहीं?
कर्मचारियों को हर चुनाव में मतदान का अधिकार मिलता है,पहले ही उनका या तो पोस्टल बैलेट से मतदान करा लिया जाता है या फिर ईडीसी से मतदान दिवस ही मतदान करा लिया जाता है,पंचायत चुनाव में पहले यह ध्यान दिया जाता था कि विकासखंड अनुसार अलग अलग तिथियां हुआ करती थीं और एक विकासखंड के कर्मचारी दूसरे विकासखंड जाया करते थे वहीं दूसरे के अन्य विकासखंड और इस तरह वह अपने मतदान के अधिकार का उपयोग कर लिया करते थे। केवल यही अवसर है जब कर्मचारियों को उनके मतदान का अधिकार नहीं मिलने वाला। वैसे निर्वाचन आयोग चाहता पोस्टल बैलेट वाला विकल्प कर्मचारियों के लिए रखा जा सकता था क्योंकि पोस्टल बैलेट के लिए केवल लिफाफे की ही जरूरत पड़ती मतपत्र पहले से ही छपा चूंकि पंचायत चुनाव में उपलध रहता है।
क्या कर्मचारी अपने ही गांव,जिला व जनपद के प्रतिनिधि नहीं चुन पाएंगे?
कर्मचारी विधायक सांसद चुनकर प्रदेश व देश की सरकार चुन में अपनी भागीदारी रखते है पर अपने ही गांव की सरकार चुनने के लिए वह अपने मत से वंचित रह जा रहे हैं यह कैसा संविधान है? त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बैकुंठपुर विकासखंड के जो कर्मचारी मतदान दल में नियोजित हैं और जिन्हें 23 फरवरी को मतदान कराने जाना है उनका कहना है कि कईयों के यहां से परिवार के ही लोग त्रिस्तरीय चुनाव में पंच से लेकर जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में प्रत्याशी हैं और जहां एक एक मत का महत्व है और वह ऐसे महत्वपूर्ण अवसर पर भी मतदान नहीं कर पाएंगे और कई प्रत्याशी उनके परिवार के एक दो मत से हार भी सकते हैं जो उनके लिए भविष्य और जीवनभर के आलोचना और पारिवारिक उलाहना का विषय बन जाएगा। वैसे जिला निर्वाचन विभाग प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों को 100 प्रतिशत मतदान का भी अपील करवा रहा है और यह शपथ वही कर्मचारी ले रहे है जो खुद 23 फरवरी को मतदान से वंचित होने वाले हैं। एक तरह से देखा जाए तो स्वीप कार्यक्रम अंतर्गत जो शपथ दिलाया गया वह शपथ झूठा साबित हुआ,क्योंकि शपथ लेने वाले अब खुद मतदान से वंचित हैं।
क्या राज्य निर्वाचन आयोग ऐसे मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं?
पूरे मामले को देखकर सुनकर यही लगता है कि राज्य निर्वाचन आयोग पूरे मामले में जरा भी गंभीर नहीं। राज्य निर्वाचन आयोग का स्वीप कार्यक्रम अंतर्गत चलाया जाने वाला मतदान का शपथ कार्यक्रम भी एक तरह से दिखावा मात्र है। कुलमिलाकर राज्य निर्वाचन आयोग कर्मचारियों के मतदान के अधिकार विषय में गंभीर है ही नहीं और वह इसके लिए जरा सा भी विचार नहीं करना चाहती। राज्य निर्वाचन आयोग चाहता कर्मचारी मतदान के अधिकार से वंचित नहीं रहते है, लेकिन निर्वाचन आयोग की अनदेखी की वजह से अब कर्मचारियों को मतदान से वंचित रहना होगा और ग्राम की सरकार में शिक्षित मतदाताओं का कोई किरदार नहीं होगा।
कर्मचारियों को मतदान का अधिकार न मिलने पर प्रत्याशी भी परेशान और कर्मचारी भी परेशान
कर्मचारियों को मतदान का अधिकार नहीं मिलने पर कर्मचारी भी परेशान हैं और वह निराश हैं वहीं प्रत्याशी भी परेशान हैं। वार्ड पंच और सरपंच पद के प्रत्याशी सबसे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि इन दोनों पदों में कई बार एक एक वोट से जीत हार हो जाता है। प्रत्याशियों को काफी निराश देखा जा रहा है कई जगह क्योंकि कई जगह प्रत्याशियों ने मतों की गणना कर ली है।