पशु विभाग के कामचोर अधिकारी की खुली पोल
पृथ्वीलाल केशरी
रामानुजगंज 24 जनवरी 2022 (घटती घटना) बलरामपुर रामानुजगंज जिले में कामचोर अधिकारी कर्मचारी कोरोना काल का किस तरह फायदा उठाते हैं इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब जिले के एक विभाग के अधिकारी ने फर्जी कोरोना का सर्टिफिकेट विभाग को भेजकर सर्वे का काम करने से इंकार कर दिया। अब पोल खुलने के बाद पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के पशु औषधालय जोकापाठ शंकरगढ़ में पदस्थ सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी अंकुर सोनी को केंद्रीय एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण योजना के अंतर्गत भरतपुर में सर्वेक्षण करने हेतु दायित्व सौंपा गया था लेकिन अंकुर सोनी ने फर्जी कोरोनावायरस प्रमाण पत्र विभाग को सौंपते हुए अपने पत्र में लिखा कि मेरा स्वास्थ खराब होने के कारण यहां के एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण 2021 22 (शरद ऋतु) सर्वे कार्य किसी दूसरे से कराने के संबंध में मेरा कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ गया है। जिस कारण मैं ग्राम भरतपुर का एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण 2021-22 (शरद ऋतु) का सर्वे करने में असमर्थ हूं। अतः श्रीमान से प्रार्थना है,कि ग्राम भरतपुर का एकीकृत न्यादर्श सर्वे किसी दूसरे से कराने का कष्ट करें। फिर क्या था विभाग में सौंपे गए प्रमाण पत्र के आधार पर जब जांच पड़ताल शुरू किया तो प्रमाण पत्र जहां से जारी किया गया था वहां का आरएचओ ने उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं बलरामपुर को उनके पत्र को जवाब देते हुए उल्लेख किया कि श्री अंगुर सोनी के ष्टश1द्बष्ठ-19 टेस्ट के सम्बंध मे पत्र क्रमांक 62/द्म शापना / द्मड्ड1द्बस्र भ्द्गह्यह्ल रुड्ड21-22 में आपके द्वारा मांगी गई जानकारी श्री अंकुर सोनी,पिता श्री सुरेश सोनी ग्राम, ककनी विकासखण्ड- लुड्रा जिला- सरगुजा (छ.ग.) के द्वारा दिनांक 20-01-2022 को स्॥ष् ्यड्डह्म्द्वड्ड में ष्टश1द्बष्ठ- 19 भ्द्गह्यह्ल हमारे संस्था में नहीं हुआ है यह जानकारी गलत है। फिर क्या था कामचोर अधिकारी की पोल खुलते हैं पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब सवाल ये उठता है कि कामचोर अधिकारी किस तरह से कोविड-19 का फायदा उठा रहे हैं इसी हरकत से अंदाजा लगाया जा सकता है। कि केंद्र एवं राज्य की योजनाओं को किस तरह पलीता लगाने में लगे हुए हैं।
सर्वेक्षण कार्य तीन ऋतुओं में ग्रीष्म,वर्षा एवं शरद
पशुधन विकास विभाग के मैदानी अमले एवं विभागीय सांख्यिकी शाखा द्वारा प्रतिवर्ष निरंतर, भारत सरकार की एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण योजना अंतर्गत प्रमुख पशुधन उत्पादन (दूध, अण्डा, मांस एवं ऊन) का सांख्यिकी विधि द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। यह योजना भारत के सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में संचालित है। योजनांतर्गत सर्वेक्षण कार्य संपूर्ण राज्य में वर्ष भर संपादित किया जाता है। भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के द्वारा जारी ‘त्रिस्तरीय स्ट्रेटीफाईड रेन्डम सैम्पलिंग विधि’ से सर्वेक्षण कार्य तीन ऋतुओं (ग्रीष्म, वर्षा एवं शरद) में पृथक-पृथक किया जाकर एवं संकलित कर वार्षिक आंकड़ों को ज्ञात किया जाता है। विभागीय सांख्यिकी शाखा द्वारा राज्य, अन्य राज्यों तथा केन्द्र से समन्वय कर, पशुधन विकास से संबंधित अन्य आंकड़ों को एकत्र करते हुए, समय समय पर विभिन्न साझेदारों की आवश्यकता अनुसार उपलब्ध कराया जाता है।