- निर्वाचन प्रक्रिया में देखी जा रही है कई सारी त्रुटियां
- आरक्षण प्रक्रिया को भी नजरअंदाज करके प्रत्याशियों का हो रहा चयन?
- ग्राम पंचायत के दो वार्ड पांच प्रत्याशी कर लेते नाम वापसी,उसके बाद दूसरा व्यक्ति फिर जाकर दोबारा फॉर्म भर के निर्विरोध बन जाता है पंच:सूत्र
- नाम वापसी से लेकर आरक्षण प्रक्रिया में चुनाव में लगा दल क्या नहीं कर पा रहा सही ढंग से कार्य…कैसे त्रुटि की बात आ रही सामने?
- पंचायत निर्वाचन आयोग की गड़बड़ी आई सामने…जनपद पंचायत बैकुंठपुर के चिरगुड़ा पंचायत का मामला
-रवि सिंह-
कोरिया 09 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना है जिसे लेकर निर्वाचन सभी को जागरुक कर रहा है कि अधिक से अधिक मतदान पर मतदान के बीच निर्वाचन के कार्यों में लगे अधिकारियों की गड़बड़ी है भी सामने आ रही है, जिसे शायद नजरअंदाज किया जा रहा है, 23 जनवरी पंचायत चुनाव होने को है, वहीं निर्वाचन आयोग की गड़बड़ी कहें या फिर साजिश, उनके कारनामे से निर्वाचन आयोग संदेह के घेरे में नजर आ रहा है। एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां ग्राम पंचायत चिरगुड़ा में वार्ड न 01 और 07 में निर्विरोध पंच की घोषणा होने से ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिल रहा। क्योंकि जब दोनों ही वार्डो में आवेदन दिए दोनों अभ्यर्थियों ने पटना तहसील स्थित पंचायत निर्वाचन केंद्र में आवेदन वापसी लेने के अंतिम दिन स्वेच्छा से ग्रामीणों के उपस्थिति में दोनों वार्ड के सभी प्रत्याशियों ने अपना आवेदन वापस लिया व एक ने प्रस्ताव अपने प्रत्याशी के कहने पर वापसी का आवेदन दिया। चारों का आवेदन स्वीकार भी हो गया। जिसका नतीजा यह होता कि वह वार्ड निरंक जाता, फिर किसके दबाव में वार्ड 01 व 07 में पूर्व सरपंच के एक ही परिवार से दोनों पंच निर्विरोध हो गए। जिसे लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। निर्वाचन में लगे अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध हैं, जो कि जांच का विषय है। क्योंकि इसी पंचायत में वार्ड नंबर 12 जो कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है, जहां एक पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति को पंच हेतु पंचायत रिटर्निग अधिकारी के हस्ताक्षर युक्त सूची में नाम आया। जिसकी शिकायत पर बाद में सुधारे जाने की बात कही जा रही। जबकि यह सूची सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि आरक्षित वार्ड में अनारक्षित वर्ग का प्रत्याशी ने जब वार्ड पंच के लिए फॉर्म भरा तो उसका फॉर्म तत्काल निरस्त किया जाना था। परंतु अंतिम स्क्रुटनी के बाद और नाम वापसी के बाद उसे पंचायत प्रत्याशी के रूप में दर्शाया गया है, जो घोर लापरवाही का सूचक है। यह खबर सूत्रों से मिली जानकारी पर तयार किया गया इसकी सत्यता की पुष्टि दैनिक घटती घटना नहीं करता यह केवल सूत्रों का दावा है।
निर्वाचन आयोग के लापवाही से पूरे पांच साल लोगो को भुगतना पड़ेगा खामियाजा?
चिरगुड़ा के पूर्व उप सरपंच रहे जागेश्वर राजवाड़े ने बताया कि निर्वाचन में बैठे अधिकारी भी कुछ प्रभावशील लोगों के प्रभाव में आकर एसा काम कर रहे हैं। वार्ड 07 व 01 में ग्रामीणों के उपस्थिति में चारों प्रत्याशियों की आपसी सहमति बनी और सभी ने नाम वापसी का आवेदन दिया, जो स्वीकार हुआ। फिर सारी कार्रवाई पूरी होने के बाद जो अंतिम सूची आई उसमें नाम वापसी वाले वार्डों में दो पंच निर्विरोध कैसे चुने गए? यह एक बड़ा सवाल है या फिर पंचायत निर्वाचन में संलग्न कर्मचारी की मिलीभगत का परिणाम है।
पूर्व सरपंच पति पर लगा गड़बड़ी का आरोप
पूर्व सरपंच रह चुके सरपंच पति लालबहादुर सिंह जिनके परिवार के ही सदस्य वार्ड 01 व 07 में नाम वापसी के बाद भी पंच निर्विरोध होने की सूची वायरल होने पर ग्रामीणों ने गड़बड़ी करने का आरोप लगाया, क्यों कि इनके द्वारा वापसी पर्ची ग्रामीणों के द्वारा मांगने पर उसे फाड़ देने का हवाला देकर उच्च अधिकारी से जानकारी लेने का जिक्र किया गया। अब ये उच्च अधिकारी कौन हैं, इसे लेकर सवाल उठना लाजमी हैं।