कोरिया/पटना@पटना नगरी निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस ने रैली के साथ दिखाया दमखम,पर क्या चुनाव में कांग्रेस हो गई विलंब?

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-रवि सिंह-
कोरिया/पटना,09 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। प्रथम नगरी निकाय चुनाव को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस की सक्रियता पर सवाल उठने लगा है, प्रत्याशी तय करने से लेकर प्रत्याशी के जीत दिलाने व उसके प्रचार प्रसार में भी वह पीछे ही दिखाई दिए, अब देखना यह है कि परिणाम में आगे निकल पाते है या नहीं? ठीक चुनाव के प्रचार समाप्ति के दिन व मतदान से दो दिन पहले रविवार को कांग्रेस ने रैली निकाला और अपना शक्ति प्रदर्शन करके दिखाया, शक्ति प्रदर्शन की जो भीड़ थी वह नगर पंचायत चुनाव के दृष्टिकोण से ठीक-ठाक थी, यह नहीं कहा जा सकता कि कम थी या फिर यह नहीं कहा जा सकता कि ज्यादा थी, पर जो भी था ठीक-ठाक थी, मंचों से वरिष्ठ कांग्रेसियों ने दहाड़ा भी और साा को घेरने का प्रयास भी किया पर अंतिम समय में यह प्रयास कितना कारगर होता है कांग्रेस प्रत्याशी के लिए यह तो अब परिणाम के दिन ही पता चलेगा, पर जहां चर्चाओं की बात करें तो लोगों का यही कहना है कि कांग्रेस विलंब से हर आयोजन कर रही है, जिसका कांग्रेस को नुकसान भी हो सकता है चुनाव मैनेजमेंट कांग्रेस उसे तरह के से नहीं कर पा रही जिस तरीके से साा पक्ष पर आसीन भाजपा कर रही हैं।


रविवार को कांग्रेस की रैली निकल गई और अपने प्रत्याशी के लिए लोगों से मत मांगा गया और जीतने की अपील की गई है, रैली की भीड़ जो कुछ भी कह रही हो पर जिस समय पर ऐसी रैलियां आयोजित की गई वह समय शायद विलंब से हुआ, यह चर्चा का विषय बना रहा, वहीं अंतिम समय में कांग्रेस का अपने प्रत्याशी के लिए पूरी शक्ति झुकाना क्या परिणाम को बदल पाएगा? यह देखने वाली बात होगी पर रैली के बाद आम सभा के दौरान वरिष्ठ कांग्रेसियों ने साा पर हमला तो किया और उनकी कमियों को भी गिनवाया, पर इस बीच यह सब कांग्रेस प्रत्याशी के लिए कितना कारगर होगा यह अभी से कह पान गलत होगा। वैसे लड़ाई अभी तक बीजेपी कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच ही मानी जा रही है पर निर्दलीय प्रत्याशी भी समीकरण बिगड़ना में पीछे नहीं है। प्रचार थम चुका है और अब डोर टू डोर के लिए एक दिन का समय बचा हुआ है ऐसे में कांग्रेस कितने दमखम के साथ अपने प्रत्याशी को डोर टू डोर पहुंचकर जीत दिला पाती है? यह भी अब बड़ा सवाल है चुनावी कैंपियन में कांग्रेस कहीं ना कहीं काफी पीछे रह गई ऐसा माना जा रहा है, जिस प्रकार से कैंपेनिंग होनी थी वह कैंपेनिंग नहीं देखी, वह रणनीति वह जुझारु पर नहीं दिखा सब टिकट वितरण के बाद छितिर बितिर की स्थिति हो गई।


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