बैकुंठपुर/पटना@कांग्रेस के कद्दावर नेता की साख लगी पटना नगर पंचायत चुनाव में दांव पर…पूर्व विधायक की पसंद से प्रत्याशी नहीं हुआ तय…नामांकन रैली से उन्होंने बनाई दूरी

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  • यवत सिंह ने अपने दम पर नामांकन रैली को बनाया सफल वरिष्ठ कांग्रेसी भी रहे साथ,चुनाव में भीतरघात होने की भी संभावना दोनों पार्टियों में,जो भीतरघात को रोक पाएगा वही चुनाव में जीत पाएगा
  • इस चुनाव में…क्या पूर्व विधायक ने खेल दिया बड़ा दाव,अपने प्रत्याशी को टिकट के लिए की लड़ाई पर मिली हार और अगले विधानसभा के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी का मुंह चुप करने की मानी जा रही रणनीति:सूत्र


-रवि सिंह-
बैकुंठपुर/पटना,29 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। पटना नगर पंचायत के लिए स्कू्रटनी की प्रक्रिया भी संपन्न हो गई वहीं 31 जनवरी को नाम वापसी की प्रक्रिया सम्पन्न होने उपरांत यह तय हो जायेगा कि कितने लोग अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी रहने वाले हैं और कितने कितने प्रत्येक वार्ड पार्षद पद के प्रत्याशी शेष रहेंगे। वहीं मुख्य मुकाबला भी किनके बीच होगा यह भी देखने वाली बात होगी। वैसे अब तक 6 लोग अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी बतौर नामांकन कर चुके हैं। पटना का पहला नगर पंचायत चुनाव किसी के लिए महत्वपूर्ण हो न हो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए यह साख का सवाल है क्योंकि उन्होंने अपनी पसंद के उम्मीदवार को कांग्रेस पार्टी से टिकट दिलवाया है और जीत का आश्वासन पार्टी को दिया है, वैसे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष यवत कुमार सिंह के साथ यह भी दिक्कत आन खड़ी हुई है कि उनके खास कहलाने वाले उनके कभी सिपहसालार रह चुके ने भी अपने घर से नामांकन करा दिया है अध्यक्ष पद के लिए, वहीं कांग्रेस से ही एक अन्य ने भी बगावत कर नामांकन कर दिया है। वैसे अभी यवत सिंह के लिए अवसर बचा हुआ है और वह चाहें तो नाम वापसी दिनांक तक एक दो का नामांकन वापस करा सकते हैं लेकिन क्या ऐसा सम्भव होगा यह भविष्य के गर्भ की बात है? वैसे माना जा रहा है कि कुछ नामांकन वापस होंगे जो सौदे के लिए नामांकन दर्ज किए हैं और वह कौन से नाम होंगे यह देखने वाली बात होगी।
यवत सिंह यदि इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत दिला ले गए यह भी कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि वह पटना 84 के कद्दावर और बड़े नेताओं की श्रेणी में अव्वल हो जायेगे। यवत सिंह के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने अपना मनपसंद प्रत्याशी तय कराने अपनी एडी चोटी का जोर लगा दिया और यहां तक कि उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य की भी चिंता नहीं की और पूर्व विधायक को भी उन्होंने पटखनी राजनीतिक दे डाली जो टिकट वितरण में देखी गई जहां पूर्व विधायक की पसंद को पार्टी ने नकार दिया और कांग्रेस से यवत सिंह के पसंद की प्रत्याशी को टिकट मिल गया। अब चुनाव परिणाम पक्ष में आए इसके लिए यवत सिंह को कड़ी मेहनत करने की जरूरत पड़ने वाली है। बता दें कि उन्हें काफी कुछ साधना होगा जिसमें नगर के मतदाताओं को पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में लाने उन्हें मतदाताओं को विश्वास में अपने लेना होगा क्योंकि अब प्रत्याशी की छवि की बजाए यवत सिंह की छवि दांव पर है और हार जीत के साथ उन्हीं का राजनीतिक भविष्य तय होना है, वहीं पूर्व विधायक को भी वह यह साबित कर पाएंगे कि उनके साथ पटना है और आगे चुनावों में उनके बिना कोई जीत सुनिश्चित होनी कठिन होंगी।
भाजपा-कांग्रेस दोनों की नामांकन रैली पटना हनुमान मंदिर से निकलने वाली थी…पर समय एक होने की वजह से कांग्रेस को दूसरे स्थान से शुरू करनी पड़ी रैली
भाजपा कांग्रेस दोनों की नामांकन रैली हनुमान मंदिर से ही निकलने वाली थी लेकिन समय एक होने की वजह से ऐसा सम्भव नहीं हुआ और कांग्रेस ने रैली बीच रस्ते से निकाल ली। कांग्रेस की रैली जहां बाजारपारा से शुरू हुई वहीं भाजपा की रैली हनुमान मंदिर से निकली। भाजपा ने रैली करके नामांकन किया और बाद में आमसभा करके कार्यक्रम समाप्त किया।
अकेले के दम पर नामांकन रैली को सफल कर दिखाया यवत सिंह ने…
यवत सिंह ने अकेले के दम पर नामांकन रैली को कांग्रेस के सफल कर दिखाया। नामांकन रैली में जिलेभर के कांग्रेसियों का आह्वान कर उन्होंने उनकी उपस्थिति भी दर्ज कराई और नामांकन रैली की सफलता तय की। यवत सिंह ने इस तरह अपनी जुझारू छवि से भी लोगों को पार्टी के अवगत कराया, यवत सिंह ने रैली के लिए काफी मेहनत की थी यह बताया जा रहा है। यवत सिंह नामांकन रैली के दिन तब तक चैन से बैठे नजर नहीं आए जबतक उन्होंने रैली को सफल नहीं बना लिया।
पूर्व विधायक ने नामांकन रैली से बनाई दूरी,अपने पसंद की प्रत्याशी न मिलने से थीं नाराजःसूत्र
पूर्व विधायक ने कांग्रेस पार्टी की पटना नगर पंचायत के लिए निकाली गई नामांकन रैली से दूरी बनाई ऐसा बताया जा रहा है वहीं सूत्रों का कहना है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्होंने अपनी पसंद से पार्टी प्रत्याशी की घोषणा की मांग की थी जो पार्टी ने नकार दी और जिससे वह आहत हुईं और उन्होंने नामांकन रैली से ही दूरी बना ली। वैसे उन्होंने अपनी नाराजगी नामांकन रैली से बनाई थी आगे वह समाचार प्रकाशन उपरांत अवश्य प्रचार में उतरेंगी यह भी सूत्रों का दावा है। पूर्व विधायक को यह बड़ा झटका लगा है टिकट वितरण के दौरान यह माना जा रहा है क्योंकि उनकी तरफ से उनके पसंद के प्रत्याशी का नाम तय किया जा चुका था।
सिर्फ नामांकन रैली ही रह गई आमसभा नहीं हुआ
कांग्रेस की नामांकन रैली आमसभा में तब्दील नहीं हुई, रैली हुई और नामांकन हुआ केवल और नामांकन के बाद सभी अपने अपने गंतव्य को रवाना हो गए। कांग्रेस की रैली और नामांकन के दौरान आमसभा क्यों नहीं हुआ इसका भी पता नहीं चल सका और बताया जा रहा है कि आमसभा के लिए शायद अनुमति नहीं लेना ही इसकी वजह रही। खैर आमसभा की बजाए कांग्रेस ने केवल रैली से ही काम निपटाया ऐसा कहना सही होगा।


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