बैकुंठपुर@क्या विधानसभा हारने के बाद कांग्रेस के अंदर आत्मविश्वास की कमी आ गई है…विधायक प्रत्याशी बनना है पर जिला पंचायत चुनाव लड़ने से डरना है?

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-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,29 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। भाजपा को मात देने के लिए कांग्रेस को मजबूत होकर जिला पंचायत चुनाव लड़ना चाहिए था, पर भाजपा के सामने जिस प्रकार कांग्रेस प्रत्याशी तय कर रही है उससे तो लग रहा है कि भाजपा बहुत बुरी तरीके से कांग्रेस को हराने वाली है, ऐसा हम नहीं कह रहे ऐसा अब भाजपा कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों का जिला पंचायत चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित होने के बाद चर्चा होने लगा है, जहां भाजपा 5 दिन पहले ही अपने जिला पंचायत प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी थी तो वहीं कांग्रेस ने कोरिया जिले के लिए जिला पंचायत की सूची 28 जनवरी को जारी की, उसमें भी तीन नाम फाइनल नहीं कर पाए सात नाम की ही सूची उन्होंने जारी किया, जिस सूची को देखकर ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी के सामने बहुत बुरी तरीके से हारने वाले हैं, एक सीट ही ऐसा लग रहा है कि जहां पर भाजपा कांग्रेस की टक्कर होनी है, वह सीट है खड़गवां की क्षेत्र क्रमांक 10 जहां पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य के बीच मुकाबला होना है, जबकि भाजपा ने अपने 10 के 10 प्रत्याशी दमदार उतारे हैं,जिसमें से दो तो वर्तमान विधायक के घर के प्रत्याशी हैं, एक बहू है तो दूसरी बेटी है अब इन दोनों के हारने की संभावना तो ना के बराबर मानी जा रही है,वहीं भाजपा की एक प्रत्याशी पूर्व जनपद अध्यक्ष सौभाग्यवती सिंह है यह भी सीट बीजेपी जीतने की स्थिति में है, ऐसे में अब सवाल यह उठने लगा है क्या कांग्रेस उस आत्मविश्वास के साथ चुनाव नहीं लड़ना चाह रही जिस आत्मविश्वास के साथ सिर्फ विधायक प्रत्याशी बनने की दौड़ लगाते है नेता, विधायक प्रत्याशी बनने की दावेदारी तो करने वाले इस चुनाव में जिला पंचायत सदस्य के लिए लड़ने से कतरा रहे हैं स्वयं पूर्व विधायक भी इसमें पीछे हटती दिख रही है, क्योंकि उन्होंने अपने सीट पर अपने पूर्व विधायक प्रतिनिधि की धर्मपत्नी को मौका दिया है एक बार वह तो कुर्बान हो चुकी हैं अब दूसरी बार फिर वह कुर्बानी देने के लिए उतर गए है, जबकि लोगों का मानना था कि इस क्षेत्र से स्वयं पूर्व विधायक को लड़ना था और वर्तमान विधायक की बेटी को हराना था, पर क्या हुआ भयभीत है पूर्व विधायक की बेटी के सामने चुनाव लड़ने से जिस वजह से वह निर्णय नहीं ले पाई? वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता में शुमार होने वाले बिहारीलाल राजवाड़े वर्तमान विधायक की बहू के सामने क्या प्रत्याशी नहीं बन सकते थे? वही अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी करने वाले यवत सिंह को भी कांग्रेस प्रत्याशी नहीं बना पाई? कुछ ऐसा ही रहा कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रत्याशी वेदांती तिवारी व सदैव विधायक प्रत्याशी के दौड़ में रहने वाले योगेश शुक्ला के साथ इनका भी नाम अभी तक जिला पंचायत चुनाव के लिए सामने नहीं आ सका है या कहे तो कांग्रेस की प्रत्याशी सूची में यह नाम शामिल नहीं हुए यदि यह सब नाम शामिल होते तो शायद कांग्रेस बीजेपी को जिला पंचायत चुनाव में शिकस्त दे सकती थी।

पूर्व विधायक, पूर्व विधायक प्रत्याशी सहित दावेदारों के जनाधार को कांग्रेस परख सकती थी प्रत्याशी बनाकर
कांग्रेस जिला पंचायत चुनाव के माध्यम से पूर्व विधायक और पूर्व विधायक प्रत्याशी के जनाधार को जिला पंचायत सदस्य का प्रत्याशी बनाकर परख सकती थी। पूर्व विधायक का जहां नवीनतम घर बना है वहां से वर्तमान भाजपा विधायक की पुत्री चुनावी मैदान में हैं और उन्हें हराकर पूर्व विधायक अपना जनाधार बता सकती थीं, वैसे इसमें कोई बात गलत भी नहीं थी क्योंकि पूर्व विधायक मनेंद्रगढ़ अब महापौर के प्रत्याशी हैं और माना जा रहा है कि अप्रत्यक्ष चुनाव होता नगरीय निकाय का वह पार्षद बनकर भी महापौर बनने की जुगत लगाते, इसलिए पूर्व विधायक बैकुंठपुर को भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ना था और अपना जनाधार साबित करना था।
अगले विधानसभा से पहले विधायक प्रत्याशियों व दावेदारों की ली जा सकती थी परीक्षा
कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण और एक प्रयोग हो सकता था और वह प्रयोग अगले विधानसभा चुनाव से पहले का एक प्रयोग परीक्षा उनका हो सकता था जो लगातार विधायक के लिए दावेदारी प्रस्तुत करते हैं पार्टी में। पार्टी को उन्हें जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़वाना था जो लगातार विधायक की टिकट की मांग करते हैं,वहीं उन्हें उन उन सीटों से लड़वाना था जहां जहां वह नेता प्रभावशाली हैं और वहां का निवासी हैं। चुनाव लड़वाकर पार्टी को यह आंकलन कर लेना था कि कौन जीतकर आता है पार्टी के लिए कौन अपनी भी साख दाव पर लगाता है और उनमें से किसी एक को टिकट के लिए विधायक की तय करना था।
बीजेपी जीतने के लिए लड़ रही है और कांग्रेस अपने प्रत्याशी कुर्बान करने के लिए उतर रही?
भाजपा जहां जिला पंचायत का चुनाव जीतने के लिए लड़ रही है वहीं कांग्रेस कुर्बानी देने लड़ रही है चुनाव वह भी उन कार्यकर्ताओं की जो समर्पित और कर्मठ हैं और जिन्हें तब मौका नहीं देती पार्टी जब उनकी सरकार होती। भाजपा ने बड़ी समझदारी से अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं और वह उसी अनुरूप उन्हें जीत दिलाने प्रयासरत है। कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्थिति में कांग्रेस की रणनीति विफल मानी जा रही है।
विधायक का चुनाव लड़ने वाले क्या जिला पंचायत चुनाव लड़ने से घबरा रहे?
विधायक का टिकट कांग्रेस में हर कोई मांगता है लेकिन अब जब जिला पंचायत की बारी आई कोई सामने नहीं आ रहा है। अब ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस में सभी के पास केवल विधायक बनने के जनाधार है जिला पंचायत सदस्य का जनाधार किसी के पास नहीं है। वैसे यह बड़ा विचित्र मामला है कि विधायक का ख्वाब देखने वाला जिला पंचायत के लायक अपना जनाधार नहीं मानता।
कांग्रेस ने घोषित किए 7 प्रत्याशी
जिले में पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले ही सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है, जबकि कांग्रेस ने अब जाकर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की है। हालांकि, कांग्रेस ने अभी भी तीन सीटों पर फैसला नहीं लिया है, जिससे राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने बताया कि जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा तैयार सूची को सर्वसम्मति से पारित कर 7 प्रत्याशियों के नाम तय किए गए हैं। इनमें बैकुण्ठपुर (प्रथम) से श्रीमती अन्नू देवी, बैकुण्ठपुर (द्वितीय) से राजेश सिंह, बैकुण्ठपुर (पंचम) से श्रीमती आशा साहू, सोनहत (प्रथम) से सुरेश सिंह, सोनहत (द्वितीय) से श्रीमती जयवती चेरवा, खड़गवां (प्रथम) से श्रीमती रामबाई और खड़गवां (द्वितीय) से श्रीमती कलावती मरकाम को प्रत्याशी घोषित किया गया है।
तीन सीटों पर अब भी सस्पेंस बरकरार
क्षेत्र क्रमांक 03. 04 और 06 पर कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। क्षेत्र क्रमांक 04 में आस्तिक शुक्ला और बिहारी राजवाड़े के बीच कड़ा मुकाबला है, जबकि क्षेत्र क्रमांक 06 से बेदान्ति तिवारी दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी जल्द ही इन सीटों पर अंतिम निर्णय ले सकती है।
भाजपा ने पहले ही बना ली बढ़त
भाजपा ने काफी पहले ही अपने सभी 10 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी, जिससे उसे प्रचार अभियान में बढ़त मिल गई है। पार्टी के प्रत्याशी गांव-गांव में जनसंपर्क कर रहे हैं. जबकि कांग्रेस के कुछ प्रत्याशी अब चुनावी मैदान में उतरेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की देरी से पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
राजनीतिक माहौल गरमाया
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। कांग्रेस में जहां अभी भी कुछ सीटों को लेकर मंथन जारी है. वहीं भाजपा अपने प्रत्याशियों को लेकर पूरी तरह मैदान में उतर चुकी है। आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।


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