- सूचना के अधिकार अधिनियम का भी हो रहा खुलेआम उल्लंघन
- एक माह से अधिक समय व्यतीत हो जाने पर भी प्रार्थी नहीं मिली जानकारी
- मामला ग्राम पंचायत में विद्यालय में अध्यनरत छात्रों के मनरेगा मजदूरी भुगतान के बाबत
- मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार कि पहले भी खबरें हो चुकी है घटती-घटना में प्रकाशित,जिले के अधिकारियों ने मामले में उचित जांच भी नहीं समझी आवश्यक
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,19 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। यह मामला बैकुंठपुर विकासखंड और जिला मुख्यालय से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत डकई पारा का है। जहां ग्रामीणों ने पंचायत सचिव, रोजगार सहायक और मनरेगा के तहत नियुक्त कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते हुए महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को विगत कई वर्षों से मनरेगा मजदूर के रूप में मास्टर रोल में हाजिरी भरकर मनरेगा मजदूरी भुगतान करने का है। जिसकी शिकायत करते हुए ग्राम पंचायत के भूतपूर्व सरपंच ने लगभग डेढ़ माह पूर्व ही संबंधित अधिकारियों से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी, जो कि आज तक प्रार्थी को प्रदान नहीं की गई है। इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार के इस मामले को लेकर कुछ ग्रामीणों ने कलेक्टर जनदर्शन में भी शिकायत दर्ज की थी। जिस पर आज तक किसी प्रकार की कोई जांच कार्यवाही संस्थित नहीं की गई है।
इस पूरे मामले पर दैनिक घटती-घटना ने पूर्व में लगातार खबरें प्रकाशित की थी और भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करने का प्रयास किया था। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों ने अपने स्तर पर कइ शिकायत दर्ज कराई, परंतु आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही न होने पर और कोई जांच न होने पर ग्रामीण व्यथित हैं। वहीं इस पूरे मामले में ग्रामीणों ने विगत कई वर्षों के मास्टर रोल की हाजिरी और मजदूरी भुगतान की ऑनलाइन प्रति के माध्यम से कलेक्टर जनदर्शन में उपस्थित होकर भी अपनी शिकायत दर्ज कराई, परंतु वहां से भी किसी प्रकार के कार्यवाही और मामले की जांच अभी तक प्रारंभ नहीं हो सकी है।
पहली नजर में ही यह मामला भारी भ्रष्टाचार को इंगित करता है…
पहली नजर में ही यह मामला भारी भ्रष्टाचार को इंगित करता है क्योंकि ग्रामीणों की शिकायत अनुसार जिन छात्रों के मनरेगा मजदूर के रूप में हाजिरी भरकर रूपयों का आहरण किया गया है, और शासन प्रशासन को चूना लगाने का काम किया गया है, वे छात्र-छात्रा उक्त वर्षों में उन समय में जब उनकी हाजिरी भरी गई है, ग्राम से सैकडों किलोमीटर दूर रहकर विद्यालय- महाविद्यालय में अपनी नियमित पढ़ाई कर रहे थे। यह जानते हुए भी की नियमित विद्यार्थी को मनरेगा मजदूर के रूप में दर्शित नहीं किया जा सकता, ग्राम पंचायत के सचिव और रोजगार सहायक की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध और संलिप्त है। परंतु विडंबना यह है कि मामला उजागर होने के बाद और शिकायत दर्ज होने के बाद भी आज तक प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की जांच की पहल नहीं की गई है। इस पूरे मामले के लिए ग्राम पंचायत के भूतपूर्व सरपंच द्वारा विगत 5 वर्षों में ग्राम पंचायत में हुए मनरेगा कार्य की समस्त जानकारी सूचना के अधिकार के तहत चाही गई थी। जिसके लिए उन्होंने विधिवत आवेदन भी प्रस्तुत किया। परंतु आज लगभग डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी प्रार्थी को जानकारी प्रदान ना करना उच्च स्तर पर मिलीभगत का संदेश संकेत देता है। यदि भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों में जांच और कार्यवाही कर भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही नहीं होती है, तो निश्चित ही भ्रष्टाचार के ऐसे मामले निरंतर बढ़ते जाएंगे, जिन पर अंकुश लगाना शासन प्रशासन के लिए कठिन होता जाएगा।