- कोरिया जिले में निकल गया टेंडर काफी कम रेट पर दिया गया है टेंडर कैसे होगा गुणवाा के साथ निर्माण?
- कोरिया जिले में चार महतारी सदन की मिली स्वीकृति, 98 लाख 80 हजार में होना है निर्माण
- एक महतारी सदन की लागत है 24 लाख 70 हजार
–रवि सिंह –
कोरिया,10 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। यदि सत्ता पक्ष की विधायक को अधिकारी इग्नोर करें तो आप समझ सकते हैं कि अधिकारी अपने आप को सुपर समझ बैठे हैं, जबकि अधिकारियों को सत्ता पक्ष की विधायक के साथ विकास कार्यों को साझा करना चाहिए, क्योंकि सत्ता पक्ष के विधायक का ही विकास कार्य में रुचि होती है, विकास कार्यों को अपने क्षेत्र के लिए वह स्वीकृत करते हैं, बस काम निर्माण एजेंसियां करती हैं पर इस समय अधिकारी अपने आप को जनप्रतिनिधियों से अलग करके अपने मन मुताबिक कार्य कर रहे हैं, यह बात इसलिए हो रही है क्योंकि अभी कोरिया जिले में चार जगह महतारी सदन का निर्माण होना है जिसके लिए 98 लाख 80 हजार रुपए कोरिया जिले को मिले हैं, एक महतारी सदन के लिए 24 लाख 70 हजार दिया गया है, यह काम ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के पास है, यह काम शुरू भी हो गया और भूमि पूजन भी हो गई पर इसकी भनक विधायक को नहीं लगी, वही कोरिया जिले में इसके लिए टेंडर निकाला गया है और यह भी टेंडर कुछ कांग्रेसियों को सेटिंग से मिला है, और सभी काम बिलो में गए हैं अब इसके बाद यह बात आ रही है कि क्या इतने काम में काम मिलने पर क्या सही ढंग से कम होगा? आखिर इन निर्माण कार्य को शुरू करने की इतनी जल्दी बाजी ग्रामीण यांत्रिक की विभाग के ईई को क्या थी? जो बिना विधायक से भूमि पूजन कराए ही शुरू कर दिया, क्या उसमें वह गड़बड़ी करना चाह रहे हैं या फिर गुणवत्ता की अनदेखी करेंगे?
मिलिजानकारी के अनुसार ग्रामीण यांत्रिकी विभाग कोरिया निर्माण गुणवत्ता को लेकर सुर्खियों में रहता है कार्यों को चाहते ठेकेदार को उपलब्ध कराने के जुगाड़ व कार्यों की गुणवत्ता भगवान भरोसे होने की शिकायत विभाग की होती रहती है, अब एक नया मामला सामने आया है जहां शासन द्वारा महतारी सदन योजना अंतर्गत कोरिया जिले के चार भवन की स्वीकृति स्थानीय विधायक भईया लाला राजवाड़े के प्रयास से मिल सकी है, उक्त कार्यों के लिए निर्माण एजेंसी जिला पंचायत और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की सेवा संभाग को बनाया गया है, कोरिया जिले में शहरी क्षेत्र छोड़कर कर ग्रामीण क्षेत्रों में महतारी सदन योजना के अंतर्गत भवन निर्माण करना है, जिनमें ग्राम सरडी,सावांरावां, सरभोका व उमझर ग्राम पंचायत शामिल है, प्रत्येक भवन निर्माण के लिए 24 लाख 70 हजार रुपए के हिसाब से कुल 98 लाख 80 हजार रुपए की स्वीकृति संचालक पंचायत से प्राप्त हुई है, उक्त कार्य को आरंभ करने से पहले स्थानीय विधायक ने पूर्व में ही व्यवस्थित स्थल चयन के बाद भूमि पूजन कर आरंभ करने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग के अधिकारी ने विधायक के निर्देशों को भी नहीं माना, अनान-फानन में ठेकेदारों को कार्य सौप कर बिना भी भूमि पूजन कराये काम की शुरुआत कर दी।
भूमि पूजन व निर्माण संबंध बोर्ड तक नहीं
हर निर्माण कार्य शुरू होने से पहले निर्माण संबंधित बोर्ड का होना अनिवार्य होता है, पर नई सरकार में भी यह प्रथा लग रहा है खत्म हो गई है या फिर विभाग के अधिकारी अपने आप को सुपर समझ बैठे हैं, यही वजह है की महतारी सदन योजना के तहत भवन निर्माण के कार्य बिना भूमि पूजन के तो शुरू हुआ ही, वहां पर निर्माण संबंधित बोर्ड तक लगाने की जहमत उन्होंने नहीं उठाई, क्या यह बोर्ड इसलिए नहीं लगाया गया ताकि किसी को पता चल सके कि यह काम किसको मिला है? या फिर इसकी लागत ना पता चले ताकि ठेकेदार को भ्रष्टाचार करने की मौन स्वीकृति विभाग के इंजीनियर व ईई से मिल सके, कार्य कब पूरा होगा कार्य कब खत्म होगा यह सब का उल्लेख भी लगता है कि जानने की जरूरत किसी को नहीं है?
क्या ग्रामीण यांत्रिक विभाग में चल रही है मनमानी
ग्रामीण यांत्रिक विभाग कोरिया पर मनमानी का आरोप लग रहा है, यह आरोप कई तरीके से लगाए जा रहे हैं पहले तो कार्यों में गुणवत्ता भगवान भरोसे है, वही मनचाहे ठेकेदारों को सेटिंग से कम देना यह भी सुर्खियों में है, अतिरिक्त कक्ष का काम भी विभागीय अपने चाहते ठेकेदार को विभाग की द्वारा दे दिया गया था, पांच नाग अतिरिक्त कक्ष बने थे जिसके लागत 50 लाख थी, एक कक्षा की लागत 10 लाख बताई जा रही है, वहीं यह काम सिर्फ विभागीय तौर पर चाहते ठेकेदारों को देने का मामला सामने आया है, कहीं ना कहीं ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के ईई पर तमाम तरह के गंभीर आरोप है, जहां निर्माण में गुणवत्ता पर सवाल तो उठी रहे हैं साथ ही सेटिंग से काम देने का आरोप भी लग रहा है?
भाजपा समर्थित ठेकेदार भी अपने विधायक से भूमि पूजन करवाना क्या उचित नहीं समझते?
भाजपा समर्थित ठेकेदार काम तो पाते हैं भाजपा के नाम से पर अपनी ही विधायक से वह भूमि पूजन करवाने से परहेज करते हैं आखिर इसकी वजह क्या है? यह बात अब एक साल की सरकार होने के बाद उठने लगा है, अन्य ठेकेदारों का तो समझ में आता है पर भाजपा समर्थित ठेकेदार भी अपने विधायक की पूछ परख नहीं रखना चाहते, सिर्फ उनसे कम लेकर लाभ कमा कर किनारे होना चाहते हैं? जबकि काम उनके विधायक द्वारा स्वीकृत कराया जाता है फिर भी उन्हीं के क्षेत्र में विकास कार्य के लिए उन्हें न पूछना यह बड़ा सवाल बन गया है।