विनाश के कगार पर है कौडीमार बीट का वन क्षेत्र चिरमिरी वन अमले की उदासीनता एवं लापरवाही से वनों कि हो रही है अंधाधुंध कटाई
- राजेन्द्र शर्मा –
खड़गवां,07 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। वन मंडल कोरिया के चिरमिरी वन परिक्षेत्र के कौडीमार वन क्षेत्र में वन कर्मी एवं डिप्टी रेंजर की लापरवाही के कारण कौमीमार बीट वन क्षेत्र ठूंठ में तदील हो रहा है।
जबकि वन विभाग पर वनों के रक्षा का दायित्व है, परन्तु वन कौडीमार (छोटे कलुआ) के वन कर्मी डिप्टी रेंजर की हठधर्मिता और कार्यो के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता से कौडीमार बीट क्षेत्र के वनों को भारी नुकसान पहुँच रहा है। ऐसे में लापरवाह अधिकारी, वन कर्मियों के निठल्लेपन से वन माफियाओं की चांदी हो गई है। विभागीय अमला कार्यालय बैठे- बैठे अपना कर्तव्यपालन कर रहे है। इस पर आला अफसरों का नियंत्रण दूर- दूर तक देखने को नही मिल रहा है। जिससे वनों के विनाश का क्रम चल रहा है।
वन व प्राकृतिक संपदा से वन मंडल कोरिया के चिरमिरी वन परिक्षेत्र में वनों पर एक बार फिर विनाश के बादल मंडरा रहा है।
कौडीमार बीट वन क्षेत्र में हसदेव नदी पर पुल निर्माण कार्य शिवानी कंस्ट्रक्शन के द्वारा किया जा रहा है जहां वन भूमि पर लगे छोटे बड़े झाड़ के जंगल को पुल निर्माण कार्य करने वाले शिवानी कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार ने अपनी आगोश में लेकर विनाश कर दिया है वन परिक्षेत्र के छोटे बड़े सैकड़ों पेड़ों को क्षतिग्रस्त कर मिट्टी की खोदाई भी किया गया है।
हरे भरे पेड़ों का बड़े ही बेरहमी से मशीन से काटा गया है और उस पेड़ों को जलाऊ लकड़ी बनाया जा रहा है।
और कुछ वन माफियाओ के चक्कर मे हरे- भरे, छोटे पेड़ों को बेदर्दी से काटकर जंगल का उजाड़ कर रहे है। वनों की अवैध कटाई के बारे में जानकारी वन विभाग के छोटे- बड़े फील्ड के नौकरशाहों को भी है, लेकिन उच्चाधिकारी के पकड़ से बाहर होने का फायदा उठाकर इस ओर ध्यान नही दे रहे है। जबकि करोड़ो रूपये प्रतिवर्ष खर्च कर वन बचाने की सरकार की मंशा पर पानी फिरता जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण उदाहरण वन परिक्षेत्र चिरमिरी कार्यालय से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर छोटे कलुआ के कौडीमार के जंगल मे देखा जा सकता है।
पुल निर्माण कार्य करने वाले शिवानी कंस्ट्रक्शन के द्वारा जंगल के छोटे बड़े पेड़ो की अंधाधुंध कटाई कर उजाड़ किया जा रहा है। पेड़ो को काटने के बाद बड़े पेड़ों की लकड़ीओ को काटाकर जलाऊ लकड़ी बना रहा है।
स्थानीय सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि वन कर्मी एवं डिप्टी रेंजर कभी वन क्षेत्र में भ्रमण के लिए आते ही नहीं है तो उन्हें वन क्षेत्र में क्या हो रहा है कैसे जानकारी होगी।
पूर्व पदस्थ रहे परिक्षेत्राधिकारियों के सक्रियता से यह जंगल पूरी तरह सुरक्षित रहा है, किन्तु वर्तमान पदस्थ वन कर्मी एवं डिप्टी रेंजर के निष्कि्रयतापन से वनों की कटाई और वनभूमि पर अवैध कजे करने वालो को मानो छूट मिल गया है। इसका अंदाजा छोटे कलुआ एवं कौडीमार के जंगल मे दिख रहे अनगिनत ठूंठ से लगाया जा सकता है। वनों के संरक्षण, संवर्धन के नाम पर छोटे कलुआ बीट का वन अमला सरकार से मोटी तनख्वाह ले रहा है परंतु अधिकारी जहां कार्यालय के वातानुकुलित कक्ष में तो कर्मचारी घर बैठे अपने- अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए उजड़ रहे वनों की सुरक्षा के नाम पर वन मंत्रालय छाीसगढ़ को चूना लगा रहे है।
इस संबंध पर जानकारी देने और प्रतिक्रिया जानने जब चिरमिरी वन परिक्षेत्राधिकारी से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने ने फोन ही नहीं उठाया।
छोटे कलुआ बीट के वन कर्मी सत्य प्रकाश सिंह से फोन कर संपर्क करने की कई बार कोशिश कि गई उन्होंने भी फोन नहीं उठाया।
एस डी सिंह
वन परिक्षेत्राधिकारी चिरमिरी