सूरजपुर@एन.एस.एस शिविरों एवं स्कूलों में चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान

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सूरजपुर,07 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। कलेक्टर श्री एस जयवर्धन के दिशा निर्देश एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रमेश साहू के मार्गदर्शन मे जिला सूरजपुर में युद्ध स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम किया जा रहा है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में जिला बाल संरक्षण इकाई, सखी वन स्टॉप सेंटर चाईल्ड लाईन की टीम विभिन्न स्कूलों व एन.एस.एस के शिविरों में कार्यक्रम कर सभी को बाल विवाह मुक्त सूरजपुर बाल विवाह मुक्त छ.ग. एवं बाल विवाह मुक्त भारत का शपथ दिला रहे है। सभी बच्चों को गुड टच बैड टच एवं अन्य कानूनों के प्रति जागरूक रहे हैं।
राष्ट्रीय सेवा योजना हाईस्कूल कोट एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल अघिना सलका के ग्रामीण शिविरों मे जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल ने कैम्प के स्वयं सेवकों एवं अन्य को किशोर न्याय अधिनियम की जानकारी दी और बताया कि बडो के लिए जैसे भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धाराएं लगती है, वैसे ही बच्चों को सुधारने के लिए किशोर न्याय अधिनियम बना है। बच्चो संबंधी समस्त न्याय उपचार उसी में उल्लेखित प्रावधान के अनुसार होता है। चाहे वह विधि विरुद्ध बच्चा हो या संरक्षण की आवश्यकता वाला बच्चा। उन्होंने सभी बच्चों को गुडटच व बैड टच के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी और बताया कि कुछ अंगों पर सिर्फ और सिर्फ हमारा अधिकार होता है उसे कोई टच नहीं कर सकता और यदि कोई गलत ढंग से टच करता है तो वह लैगिंक अपराध से बालको का संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपराध है। उसकी शिकायत जरूर करें। श्री जायसवाल ने मोटर व्हीकल एक्ट के सम्बन्ध में जानकारी दी उन्होने बताया कि बगैर 18 वर्ष पूर्ण हुए बिना लाइसेंस के गाड़ी न चलाये। पहले उम्र पुरी हो लाईसेन्स बनवायें तब गाडी चलाये घर में अपने अभिभावकों के बिना हेलमेट के गाडी चलाने से मना करें। आये दिन दुर्घटना से काफी जाने जा रही है, उन्होंने बच्चों को सखी वन स्टाप सेंटर एवं उसके पांच प्रकार की सेवाएं, घरेलू हिंसा अधिनियम टोनही प्रताड़ना अधिनियम, बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम, कुमार श्रम अधिनियम बाल भिक्षावृçा, एक युद्ध नशे के विरुद्ध बच्चों को नशा से दूर रहने के उपायों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी।
लडकियों को बताया की वो किसी से कम नहीं हैं यदि वो ठान ले तो कुछ भी कर सकती है। उन्हाने पूर्व बाली बाल खिलाडी और माउन्ट ऐवरेस्ट फतह करने वाले दिव्यांग बालिका अरूणिमा सिन्हा की कहानी बताई और वहा कि अरूणिमा सिन्हा जब ट्रेन की सफर कर रही थी तो कुछ बदमासी ने उसे चलती ट्रेन से ढकेल दिया और उसके पैर काटने पड़े उसके बावजूद उसने दुर्लक्ष माउन्ट एवरेस्ट चढ़ने का निर्णय लिया और जब बछेन्द्री पाल से मिली तो बछेन्द्री पाल ने उसका हौसला बढ़ाया बाद में अरूणिमा ने विश्व की पहली दिव्यांग महिला सिने माउन्ट एवरेस्ट चढ़ने का गौरव प्राप्त किया। इसलिए अपने आप को कमजोर नही मानना चाहिए बल्कि दृढ इच्छा शक्ति के साथ लगन से काम करने से कुछ भी प्राप्त हो सकता है।


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