एमसीबी@एमसीबी जिले में पूर्व विधायक व पूर्व संसदीय सचिव को बनाया गया भाजपा जिलाध्यक्ष

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एमसीबी,06 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में भाजपा के जिलाध्यक्ष बदले जा रहे हैं पहली सूची में 11 जिले के जिलाध्यक्ष बदले गए थे दूसरी सूची भी जारी हो चुकी है दूसरी सूची में एमसीबी व कोरिया के जिलाध्यक्ष बदले गए हैं, गजब का इत्तिफाक है जो महिला नेत्री सूरजपुर जिले के जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा करने गई हुई थी, उसके दूसरे दिन वह खुद अपने जिले की जिलाध्यक्ष बन गई, उनका नाम पैनल में कहीं भी नहीं था पर सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट मंत्री व बैकुंठपुर विधायक की वजह से वह सीधे जिला अध्यक्ष की सूची में शामिल हो गई और उनके नाम की घोषणा भी हो गई। विधायक की भी यह पुनः दावेदार थी और पूर्व में विधायक व संसदीय सचिव भी रह चुकी थी इसके बाद इन्हें पहली बार संगठन में जिलाध्यक्ष का दायित्व दिया गया है, कयास ऐसे भी लगाए जा रहे हैं कि उनकी राजनीति को बचाए रखने के लिए यह पद देना भी जरूरी हो गया था वहीं एक विधायक की सहमति नहीं होने की भी बात सामने आ रही है। वैसे संभाग में आदिवासी समुदाय से साथ ही किसी महिला का जिलाध्यक्ष बनना पार्टी के हिसाब से बेहतर साबित होगा यह मानकर पार्टी ने ऐसा निर्णय लिया है क्योंकि एमसीबी जिले में आदिवासी समुदाय से विधायक साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय से विधायक साथ ही मंत्री हैं हीं अब वहां आदिवासी समुदाय से महिला जिलाध्यक्ष होगा जो पार्टी के लिए वोट बैंक के हिसाब से बेहतर होगा यह पार्टी की शायद सोच होगी ऐसा माना जा रहा है।
भाजपा जिला कार्यालय में जैसे ही नए जिला अध्यक्ष के रूप में श्रीमती चंपा देवी पावले के नाम की घोषणा हुई, कार्यकर्ताओं में एक जबरदस्त उत्साह का माहौल बन गया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस खुशी के मौके पर एक-दूसरे को बधाई दी और जोश में आकर नारे लगाए। इस मौके पर पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल केशरवानी,पूर्व जिलाध्यक्ष लख़न लाल श्रीवास्तव, दुर्गा शंकर मिश्रा,रामचरित द्विवेदी,अनिल सिंह,डोमरू बेहरा, राहुल सिंह, जे के सिंह, अधि. आशीष सिंह, हिमांशु श्रीवास्तव,दया शंकर यादव,पार्षद सरजू यादव,विनीत जायसवाल, अमित भोजवानी,महेंद्र सिंह,हरित शर्मा, डा. रश्मि सोनकर, विवेक अग्रवाल, अंकुर जैन, प्रखर जायसवाल, सुमित सैकड़ो की संख्या में जिले भर के कार्यकर्ता मौजूद रहे।
विधायक संसदीय सचिव के कार्यकाल के दौरान परिवार सहित कुछ लोगों के कारण ही चंपा देवी पावेल का कार्यकाल हुआ था अस्वीकार,क्या वह पुनः देंगी उन्हें ही मौका जिनके कारण हार गईं थी चुनाव?
चंपा देवी पावले का पूर्व कार्यकाल सत्ता से जुड़ा हुआ था। वह सत्ता में शामिल थीं और विधायक और संसदीय सचिव बतौर खुद सत्ता शासन थीं लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान उनके परिवार सहित कुछ लोग काफी हावी थे और निज स्वार्थ में इतने रत रहते थे कि उन्हें पता ही नहीं चला की उनका कितना विरोध दर्ज हो चुका है। वैसे वह खुद के परिजनों सहित कुछ खास कार्यकर्ताओं के कारण चुनाव हार गई थीं अब देखना है कि क्या वह पुनः हावी होगें जिन्हें उनके हार का कारण माना जाता है। वैसे नागपुर सहित कुछ कोरिया जिले में शामिल हो चुके क्षेत्र के लोगों को उन्होंने किनारे नहीं किया उनकी पुनः वही गति होगी 2018 वाली ऐसा भी कहते सुने जाते हैं लोग।
पैतृक घर सहित ससुराल क्षेत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी है हावी,क्या चंपा देवी पावले अब भाजपामय कर पाएंगी दोनों क्षेत्र
चंपा देवी पावले का पैतृक मायके क्षेत्र और ससुराल गांव एक ही रास्ते में कुछ ही किलोमीटर के दरम्यान स्थित है, यह राष्ट्रीय राज्यमार्ग 43 पर स्थित दो ग्राम हैं दोनों ही ग्राम क्षेत्र सहित अन्य आसपास के ग्राम क्षेत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी हावी है। अब क्या चंपा देवी पावले दोनों जगह भाजपा की मानसिकता वाले वातावरण का माहौल तैयार कर पायेगी क्योंकि वह पहले सत्ता थी अब संगठन हैं अब उन्हें पार्टी के लिए सोचना होगा?
ठेकेदारी की मानसिकता का करना होगा त्याग
चम्पा देवी पावले को ठेकेदारी वाली मानसिकता का त्याग करना होगा। वह अब संगठन हित में आगे बढ़े यही उनसे पार्टी की अपेक्षा होगी। उन्हें पूर्व सत्ता कार्यकाल की गलतियों से सीख लेनी होगी और अब उन्हें परिवार सहित अन्य की ठेकेदारी से दूरी बनाकर आगे बढ़ना होगा जिससे उनका यह कार्यकाल पार्टी के लिए मिसाल बन सके।
निर्णय संगठन की मजबूती और भविष्य की दिशा को देखते हुए लिया: श्याम बिहारी
इस अवसर पर उपस्थित छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक श्याम बिहारी जायसवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी ने श्रीमती चंपा देवी पावले को जिले की कमान सौंपी है, यह निर्णय संगठन की मजबूती और भविष्य की दिशा को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने भरोसा जताया कि श्रीमती पावले अपने नेतृत्व में पूरी तरह से खरे उतरेंगी और जिले में भाजपा को और मजबूती देंगे। विधायक श्याम बिहारी जायसवाल ने आगे कहा, “श्रीमती पावले का नेतृत्व प्रदेश और जिले के पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि वे अपनी कार्यशैली और प्रतिबद्धता के साथ भाजपा की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाएंगी और संगठन को और मजबूत बनाएंगी।
जिम्मेदारी उन्हें दी है,वह उसे पूरी ईमानदारी और मेहनत से निभाएंगी
इस दौरान श्रीमती चंपा देवी पावले ने अपने संबोधन में कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेदारी उन्हें दी है, वह उसे पूरी ईमानदारी और मेहनत से निभाएंगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर पार्टी को मजबूत करने का आह्वान किया और कहा कि वे सभी के साथ मिलकर पार्टी के विकास की दिशा में काम करेंगी। कार्यकर्ताओं के बीच जोश और उमंग की इस लहर ने यह साबित कर दिया कि भाजपा संगठन के प्रति उनका समर्थन पूरी तरह से मजबूत है और अब वे नए जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में पार्टी को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कोरिया जिले सहित एमसीबी जिले की नई जिलाध्यक्ष की जोड़ी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए पड़ी थी भारी
कोरिया जिले के नए जिलाध्यक्ष साथ ही एमसीबी जिले की नई जिलाध्यक्ष की जोड़ी एक बार पहले भी साथ में काम कर चुकी है। यह अवसर था वर्ष 2013 से वर्ष 2018 तक का जब एमसीबी जिलाध्यक्ष नवीन विधायक थी संसदीय सचिव थीं वहीं कोरिया के आज के अध्यक्ष भाजपा उनके सबसे खासमखास थे। वैसे दोनों की जोड़ी ही भाजपा की हार की वजह मानी गई थी तबके चुनाव में वर्ष 2018 के चुनाव में और वर्तमान एमसीबी जिलाध्यक्ष को पुनः जिताऊ नहीं मानकर ही टिकट भाजपा ने नहीं दिया था वर्ष 2023 में और जो फायदेमंद साबित हुआ पार्टी के लिए और पार्टी ने केंद्रीय राज्यमंत्री को मैदान में उतारा और चुनाव पार्टी जीत गई।
ऐसा क्यों थे पूर्व जिलाध्यक्ष जिन्हें हटाने की खुशी भाजपाइयों में थी अधिक?
भाजपा एमसीबी जिलाध्यक्ष नया बनाने से अधिक पुराने को हटाने की खुशी ज्यादा थी भाजपाइयों में। अब पुराने में क्या ऐसा था कि उनका विरोध था यह विचारणीय है। उनका कार्यकाल क्या ज्यादा तानाशाही वाला था क्या वह एकाकी चलने वाले थे जिसके कारण एमसीबी जिले जैसे जिले के लिए आनन फानन में नए जिलाध्यक्ष के नाम का ऐलान हो गया जो शायद सूची में दर्ज नहीं था। पुराने जिलाध्यक्ष का विरोध काफी व्यापक ही कारण बना यह बताया जा रहा है। एमसीबी, कोरिया व सूरजपुर के तत्कालीन जिलाध्यक्ष के हटने की खुशी ज्यादा भाजपाइयों में देखने मिला,क्या उनका कार्यकाल इतना खराब था या अपने कार्यकाल में वह अपने आप को सुपर समझ चुके थे जिस वजह से नया कौन बना इसका उत्साह कम देखा गया पर पुराने से छुटकारा मिला इसका उत्साह ज्यादा रहा। पुराने जिलाध्यक्ष जिसे चाह रहे थे वह भी नहीं बना इस वजह से वह भी खास मायूस देखें, ऐसा लगा कि उनके मन मुताबिक नहीं हुआ और वह अब क्या करेंगे कहां के रहेंगे?
मंत्री खुद रहे मौजूद,उन्हें भी नए जिलाध्यक्ष की खुशी
स्वास्थ्य मंत्री खुद रहे मौजूद और उन्हें भी शायद नए जिलाध्यक्ष के मनोनयन की खुशी रही ।


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